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पराली ही नहीं, दिल्ली की हवाएं प्रदूषण से बचेंगी अगर इन पर भी ध्यान दे सरकार!

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बेंगलुरू। दिल्ली और एनसीआर में छाए धुंध के लिए हर बार राजनीतिक प्रत्यारोप का खेल खेला जाता है, लेकिन अभी दिल्ली हवा के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार उन तथ्यों को इग्नोर किया जाता है, जो हर साल खासकर सर्दियों में होने वाले धुंध के लिए जिम्मेदार होती हैं। सर्दियों में दिवाली त्योहार के आसपास अक्सर दिल्ली धुंध के चादर में लिपट जाती है और दिवाली के जाते-जाते धुंध की चादरों का सिमटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है।

Air

शायद यही वजह थी कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। स्कूलों और कॉलेजों को 4 नवंबर तक बंद रखने का आदेश जारी कर दिया गया, क्योंकि हवा में मौजूद जहर स्तर की कडुवाहट और सांस लेने की तकलीफ बच्चों को अधिक नुकसान पहुंचा सकती थी।

दिल्ली-एनसीआर की हवा में बढ़ते प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसानों द्वारा खेतों में धान के ठूंठ (पराली) को जलाने को जिम्मेदार ठहराया है। कोई दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या और बिल्डिंग निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर ले रहा है, लेकिन कोई यह नहीं मान रहा है।

Pollution

इसके लिए दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट उद्योग का विस्तार प्रमुख है, जिसके लिए दिल्ली में प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित दोहन और उसका कुप्रबंधन भी ज्यादा जिम्मेदार है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पिछले पांच वर्षों से दिल्ली के मुखिया है, लेकिन दिल्ली के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई रोड मैप तैयार करने की बात करने के बजाय हरियाणा और पंजाब को किसानों पर ठीकरा फोड़ते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 की तैयारियों में जुट गए हैं।

दिल्ली के सीएम केजरीवाल, जो खुद को नई राजनीतिक के वाहक बतलाते नहीं थकते हैं, उन्होंने भी पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के दमघोंटू हवा में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया। केजरीवाल पूरे 4 वर्ष राज्य विस्तार में लगे रहे और उसमें फेल हुए तो दिल्ली की सत्ता को खोने का डर सताया तो बेचारे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2010 की तैयारियों में जुट गए।

Pollution

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार अब तक 1500 करोड़ से ऊपर की धनराशि चुनावी विज्ञापनों पर खर्च कर चुकी है ताकि वह सत्ता में पार्टी की वापसी सुनिश्चित कर सके, लेकिन दिल्ली की हवा के लिए केजरीवाल एंड पार्टी ने अभी तक क्या किया है, यह शोध का विषय हैं।

दिल्ली की आबोहवा बदलने और प्रदूषित होने के लिए अत्यधिक जनसंख्या का दवाब, बिल्डिंग निर्माण कार्य, अत्यधिक ट्रैफिक और किसानों द्वारा पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है, लेकिन दिल्ली की हवा में सुधार के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा अब तक क्या प्रयास किए गए, उसका कोई रोडमैप किसी पास नहीं हैं।

Pollution

दिल्ली की हवा सुधारने के लिए हर बार दिवाली पर पटाखों को नहीं जलाने वाले विज्ञापन जरूर तैयार कर लिए जाते हैं, लेकिन क्रिमसम, न्यू ईय़र और दिल्ली में होने वाली हर लाखों शादियों में किए जाने वाले आतिशबाजियों पर किसी की नजर नहीं जाती है। शायद दिल्ली के वायु प्रदूषण में सुधार के लिए अभी तक कोई ईमानदार कोशिश नहीं की गई है वरना सुधार के बजाय दिनोंदिन दिल्ली की हवा और पानी बद से बदतर स्थिति में नहीं पहुंचते।

यह भी पढ़ें- प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार से सवाल, ऑड-ईवन समझ से परे, इससे क्या हासिल हुआ

आइए जानते हैं कि दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को कौन जहरीला बना रहा है

दिल्ली-एनसीआर और पड़ोसी राज्यों के किसान है जिम्मेदार

दिल्ली-एनसीआर और पड़ोसी राज्यों के किसान है जिम्मेदार

दिल्ली एनसीआर की हवा को नारकीय बनाने में दिल्ली की सरहद से लगने वाले तीन राज्यों को प्रमुख रूप से जिम्मेदार कहा जाता है, इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब प्रमुख है। कहा जा रहा है कि पड़ोसी राज्यों के किसानों द्वारा धान की ठूंठ (पराली) खेतों में जलाने से दिल्ली की वायु में जहर घुल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक तीनों राज्यों में किसानों द्वारा करीब 25 टन पराली जलाई जाती है, जिससे निकला धुंआ और धूल कण दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले वांशिदों को जीना-मुश्किल कर दिया है।

दिल्ली की भारी ट्रैफिक प्रदूषण के लिए है जिम्मेदार

दिल्ली की भारी ट्रैफिक प्रदूषण के लिए है जिम्मेदार

दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए दूसरा बड़ा कारण दिल्ली की भारी ट्रैफिक को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिससे न केवल दिल्ली की हवा प्रदूषित हो रही है बल्कि ट्रैफिक के धुंओं से दिल्ली में स्मॉग की समस्या उत्पन्न हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली के हवाओं में गंभीर स्तर के प्रदूषण के लिए मोटर व्हीकल्स से निकलने वाले धुएं जिम्मेदार है। नेशनल इन्वॉर्नमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI)ने मोटर गाड़ियों से निकलने वाले धुएं को दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण माना है।

सर्दियों में दिल्ली की हवाएं अधिक होती है प्रदूषित

सर्दियों में दिल्ली की हवाएं अधिक होती है प्रदूषित

माना जाता है कि सर्दियां भी दिल्ली की हवाओं की जान की दुश्मन होती हैं, जिसे दिल्ली की हवाओं में मौजूद धूल के कण जहां के तहां जम जाते हैं। इससे प्रदूषित हवाएं एक जगह ठहर जाती और ये मौसम को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली की आसमानों में स्मॉग की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

राजधानी दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या है जिम्मेदार

राजधानी दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या है जिम्मेदार

राष्ट्रीय राजधानी की मौजूदा जनसंख्या 2 करोड़ के आस पास है, जिसे यहां के वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने को अगला जिम्मेदार ठहराया जाता है। माना जाता है बढ़ती आबादी के साथ दिल्ली में वायु प्रदूषण ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ा है।

सार्वजनिक संसाधनों पर कम सरकारी खर्च भी है जिम्मेदार

सार्वजनिक संसाधनों पर कम सरकारी खर्च भी है जिम्मेदार

माना जाता है कि सरकारों द्वारा दिल्ली की सड़कों और परिवहन सुविधाओं पर कम खर्च किया जाना भी दिल्ली और एनसीआर की हवाओं को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार है। तर्क यह है कि संकरे सड़क मार्गों की वजह से ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहनों की गुणवत्ता कमी होने से लोग व्यक्तिगत वाहनों का प्रयोग अधिक करते है। इससे भी हवा की गुणवत्ता खराब होती है। हालांकि दिल्ली मेट्रो सेवा दिल्ली की वायु प्रदूषण को कम करने में बड़ा योगदान कर रही है।

अधिक संख्या में बढ़ा है दिल्ली में बिल्डिंग निर्माण कार्य

अधिक संख्या में बढ़ा है दिल्ली में बिल्डिंग निर्माण कार्य

दिल्ली के वायु में प्रदूषण बढ़ाने के लिए दिल्ली-एनसीआर में भारी मात्रा में बिल्डिंग निर्माण कार्य को दोषी दिया जाता है। शायद यही कारण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और एनसीआर में बिल्डिंग निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की घोषणा की है। दरअसल, दिल्ली में हर समय बड़ी संख्या में बिल्डिंग निर्माण का कार्य अनवरत रूप से चलता रहता है। इसमें री-कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट परियोजनाएं प्रमुख हैं।

इंडस्ट्रियल कचरा और कारखानों से निकलने वाले धुएं

इंडस्ट्रियल कचरा और कारखानों से निकलने वाले धुएं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मौजूद इंडस्ट्रीज दिल्ली के वायु प्रदूषण को बढ़ाने में बड़ा योगदान करते हैं। इंडस्ट्री और कारखानों से निकलने वाले अवशेष और फैक्टरियों की चिमनियों से निकलने वाले केमिकलयुक्त धुएं हवा को प्रदूषित करने में बड़ा योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए नोएडा सेक्टर 16 के रजनीगंधा चौराहे और वजीरगंज के ब्रिटानिया चौराहो को लिया जा सकता है।

पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध का असर नहीं

पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध का असर नहीं

दिल्ली एनसीआर में पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध के हर साल दिवाली मौके पर लाखों टन पटाखे जलाए जाते हैं। हालांकि यह प्रतिबंध दिल्ली में हर साल होने वाले लाखों शादियों पर जलाए जाने वाले आतिशबाजियों पर भी थोपा जाना चाहिए, जिससे दिल्ली की हवाओं को प्रदूषण से मुक्त किया जा सकता है। इसी तरह क्रिममस और न्यू ईयर पर भी आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, लेकिन यह प्रतिबंध केवल दिवाली पर सिमट जाने से प्रयास नाकाफी हो जाते हैं।

Comments
English summary
Delhi CM Arvind Kejriwal only focusing on stubble burning issue for Delhi air pollution while many other reason need to be address to avoid air pollution in Delhi-NCR.Such as Huge traffic on road, Population and industrial wastage.
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