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'अपने बच्चे को गले लगाना चाहता हूं लेकिन मजबूर हूं', दिल्ली के पहले कोरोना सर्वाइवर ने सुनाई आपबीती

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नई दिल्ली। कोरोना के संक्रमण को लेकर दुनियाभर में फैली दहशत के बीच दिल्ली के रहने वाले बिजनेमैन रोहित दत्ता ने इसे मात दी है। दिल्ली में पहला केस रोहित दत्ता के रूप में सामने आया था। 45 वर्षीय रोहित दत्ता देश के हजारों अन्य लोगों की तरह कोरोना वायरस की चपेट में आए, लेकिन उन्होंने परेशान होने या छिपने की बजाय तत्काल अपनी जांच कराई और संक्रमण का पता चलने पर संयम खोए बिना पूरे धैर्य से अपना इलाज कराया। रोहित दत्ता को हाल में अथॉरिटी ने अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए कहा था। लेकिन रोहित ने कहा कि वे अभी इसे लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि मैंनेइटली जाने से पहले अपना ब्लड डोनेट किया था। डॉक्टरों के हिसाब से मैं तीन महीने बाद ही रक्तदान कर सकता हूं। जैसे ही सरकार मुझे अमुमति देती है, मैं अपना प्लाज्मा डोनेट कर दूंगा। उन्होंने कहा कि, मैंने पीएम केयर्स में भी दान दिया है।

इटली से लौटे थे रोहित दत्ता

इटली से लौटे थे रोहित दत्ता

अपने अनुभव को साझा करते हुए रोहित ने बताया कि, फरवरी के दूसरे पखवाड़े में अपने काम के सिलसिले में इटली गए थे और वहां से बुडापेस्ट और वियना होते हुए 25 फरवरी को भारत लौटे थे। जब में भारत में उतरा तब बिल्कुल ठीक था। जब उनसे पूछा गया कि, वह वापस आने के बाद क्वारंटाइन में क्यों नहीं गए तो उन्होंने कहा कि, मुझे नहीं मालूल कि सरकार ने चीन को छोड़कर इटली या अन्य देशों से आने वालों के लिए कोई एडवाइजरी जारी की थी। उन्होंने कहा कि, जब मैं इटली में था तब वहां कोरोना का कोई मामला नहीं था, अगर ऐसा कुछ होता मैं वहीं रुकता भारत वापस नहीं आता। मैं खुद की जिन्दगी और अपने परिवार को क्यों खतरे में डालता, मैं एक जिम्मेदार इंसान हूं।

दिल्ली वापस आने तक तबियत ठीक था लेकिन..

दिल्ली वापस आने तक तबियत ठीक था लेकिन..

25 फरवरी को मैं भारत पहुंचा लेकिन उसी रात मुझे बुखार हो गया था। मुझे 99.5 डिग्री बुखार था। मुझे लगा कि हो सकता है लंबे हवाई सफर से लौटने के कारण ऐसा हुआ हो। उसके बाद मैंने डॉक्टर को दिखाया। मुझे ठीक महसूस हुआ। 28 फरवरी को मेरे बेटे का 12 वां जन्मदिन था। मैंने होटल हयात में एक छोटी सी पार्टी दी थी, जिसमें मेरी पत्नी, मां, बच्चे और दो दोस्त शामिल हुए थे। पार्टी के मुझे फिर से बुखार आ गया। इसके बाद अगले दिन 29 फरवरी को, मैं और मेरी पत्नी सीधे राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल गए और कोरोनॉयरस के लिए परीक्षण का अनुरोध किया। जब तक इटली यात्रा प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आई थी। मैंने डॉकटरों को अपनी ट्रेवल हिस्ट्री और लक्षण के बारे में बताया।

मुझे छोड़कर वाकी लोगों का कोरोना टेस्ट निगेटिव निकला

मुझे छोड़कर वाकी लोगों का कोरोना टेस्ट निगेटिव निकला

उन्होंने मुझे तुरंत अस्पताल में अलग कर दिया। उसके बाद सरकार को एक मार्च को पता चल गया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं और मैं दिल्ली में कोरोना वायरस का पहला मरीज हूं। इसके बाद मुझे सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। मैं बहुत डर गया था लेकिन मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैं ठीक हो जाऊंगा। इसके बाद सरकार की ओर से एक टीम मेरे घर भेज दी गई। उन सब की स्क्रीनिंग की गई जिन जिन से मैं मिला था। सभी लोगों के टेस्ट निगेटिव आए सिर्फ मेरा ही टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था। उन दो-तीन दिनों के दौरान मैं जिस किसी से भी मिला सभी का टेस्ट निगेटिव था। इसके बाद मुझे भर्ती किया गया ।

कोरोना से लड़ने में ये सब चीजें रहीं मददगार

कोरोना से लड़ने में ये सब चीजें रहीं मददगार

शारीरिक पीड़ा के बारे में बात करते हुए, दत्ता ने बताया, "मैं एक गंभीर खांसी और शरीर में दर्द से पीड़ित था। सफदरजंग अस्पताल में सुविधा मेरी उम्मीदों से परे थी। यह साफ था और डॉक्टर समय पर गए, भोजन और अन्य सुविधाएं भी अच्छी थीं। डाक्टरों ने समय पर बीमारी के पकड़ में आने के कारण उनके जल्द ठीक होने की उम्मीद जताई और डरने या परेशान होने की बजाय रचनात्मक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखने का आग्रह किया।मेडिटेशन को ‘पैनिक हीलर' बताने वाले रोहित का कहना है कि वह मेडिटेशन करने में माहिर नहीं थे, फिर भी इसके अभ्यास से वह अवसाद से बचे रहे। इसके अलावा उन्होंने संगीत सुनकर और जल्द ठीक होने की उम्मीद के साथ अपना वक्त गुजारा।

रोहित ने साझा किए कड़वे सामाजिक अनुभव

रोहित ने साझा किए कड़वे सामाजिक अनुभव

इलाज के बाद जब में घर वापस आया तो मेरी मां और पत्नी बहुत रोई। वहीं मैं अपने बच्चों को गले लगाना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं कर सकता था। मैं 14 दिनों घर में क्वारंटाइन में रहा। रोहित बताते हैं कि अपनी और अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए उन्होंने खुद को घर के एक कमरे में सीमित कर लिया। यहां तक कि अपनी मां और अपने बच्चों से वह कम से कम दो मीटर का फासला बनाए रहे और उनके कपड़ों, बर्तन और अन्य सामान को सावधानी से साफ किया गया। उन्होंने अपने कुछ कड़वे अनुभव को साझा करते कहा कि उन्हें समाज द्वारा कलंकित किया गया था और उन्हें अपने जीवन के लिए लड़ने के अलावा मानसिक उत्पीड़न से भी गुजरना पड़ा। जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। मैंने कोई पार्टी नही दी। मेरे बेटे ने अपने जन्मदिन पर कक्षा 6 के सभी क्लास में कैंडी बांटी थी। लोगों ने अफवाह फैला दी कि मैं आगरा गया थाऔर अन्य लोगों को संक्रमित किया, जबकि मैं दिल्ली से बाहर तक नहीं गया।

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English summary
Delhi's first coronavirus survivor Rohit Datta shares his story
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