दिल्ली दंगा: हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या से भी तो नहीं जुड़ रहे ताहिर हुसैन के तार ?
नई दिल्ली- आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों में अबतक पकड़े गए आरोपियों में सबसे बड़ा नाम है और उसपर दंगों को लेकर आरोप भी सबसे गंभीर हैं। दिल्ली पुलिस की एसआईटी और क्राइम ब्रांच कई मामलों में उससे पूछताछ कर रही है। इसमें आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या से लेकर उसके घर से मिले दंगों में इस्तेमाल हथियार और दंगा भड़काने में उसके हाथ को लेकर सवाल शामिल हैं। अब पुलिस उससे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चांद बाग इलाके में हुए उस उग्र प्रदर्शन को लेकर भी पूछताछ करने वाली है, जहां पर प्रदर्शन में शामिल दंगाइयों ने दिल्ली पुलिस की उस टीम पर जानलेवा हमला कर दिया, जो प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने गई हुई थी। इस हमले में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल शहीद हो गए थे और डीसीपी अभी भी अस्पताल के आईसीयू में पड़े हुए हैं।
रतन लाल की हत्या से भी जुड़े ताहिर के तार ?
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान हेड कॉस्टेबल रतन लाल की हुई हत्या और डीसीपी और एसीपी समेत पुलिस वालों पर हुए कातिलाना हमले को लेकर एसआईटी की जांच तेज हो गई है। पिछले 24 फरवरी को चांद बाग के दयालुपुर इलाके में हुई इस वारदात से जुड़े तीन विडियो अबतक सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक एसआईटी इन सभी विडियो की पड़ताल कर रही है। जानकारी ये भी है कि करीब 10 संदिग्धों की पहचान हो चुकी है और वे सारे एसआईटी के रडार पर हैं। दरअसल, उस दिन दंगाइयों ने अचानक पुलिस वालों पर हमला बोल दिया था, जब पुलिस वाले हिंसक भीड़ के मुकाबले बहुत कम तादाद में थे। इस हमले में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल शहीद हो गए और डीसीपी (शाहदरा) अमित शर्मा गंभीर रूप से जख्मी हो गए और एसीपी (गोकुलपुरी) अनुज कुमार भी गंभीर रूप से जख्मी होने के कई दिनों बाद बातचीत करने की हालत में लौटे। एसीपी अनुज ने भी कहा है कि हमला इतना अचानक किया गया कि डीसीपी बुरी तरह जख्मी हो गए और पुलिस वाले किसी तरह उन्हें वहां से नजदीकी अस्पताल ले गए गए। जबकि, उसी वक्त दंगाइयों में से किसी ने रतन लाल को गोली मार दी थी। इस हमले में डीसीपी के अलावा एसीपी समेत 10 पुलिस वाले जख्मी हुए हैं। ये जो वारदात हुई थी, वह भी ताहिर के घर के बिल्कुल पास है।
'प्रदर्शनकारियों ने बातचीत के लिए बुलाया और हमला कर दिया'
इस मामले में गंभीर रूप से जख्मी डीसीपी अमित शर्मा की पत्नी पूजा शर्मा के बयान ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा है कि एंटी-सीएए प्रदर्शनकारी महिलाओं ने उनके पति को बातचीत के लिए बुलाया था। लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने उन्हें धोखा दिया, महिलाओं ने भी अमित को मारा है। दरअसल, संदिग्ध विडियो में साफ दिख रहा है कि दंगाइयों में बुर्का पहनी महिलाएं भी नजर आ रही हैं, जो पुलिस वालों पर पत्थरबाजी कर रही हैं। इसलिए अब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उस दिन वजीराबाद रोड जाम करने वाले प्रदर्शनकारी भी जांच के दायरे में हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक भी डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा और एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार 24 फरवरी को दोपहर बाद करीब एक बजे प्रदर्शनकारियों से सड़क खाली करने के लिए बात करने गए थे। तभी प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। एक वक्त तो ऐसी स्थिति बन गई थी कि पुलिस वालों को दंगाइयों ने घेर लिया था और सामने डिवाइडर की ग्रिल थी और सभी पुलिस वालों को लग गया था कि वो नहीं बच पाएंगे और इसी हमले में रतन लाल ने तो दम ही तोड़ दिया।
रतन लाल की हत्या की घटना में भी ताहिर से पूछताछ
अभी तक की तफ्तीश में ये बात सामने आई है कि घटनास्थल से जुड़े वायरल हुए दो विडियो में से एक चांद बाग के धरना स्थल की तरफ की एक इमारत से बनाया गया है, जबकि दूसरा यमुना विहार की ओर से बना है। तीसरे विडियो की तफ्तीश जारी है। सबसे गंभीर बात ये भी है कि उस दिन जिस धरना स्थल की भीड़ ने पुलिस वालों पर जानलेवा हमला शुरू किया वह जगह आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी ताहिर हुसैन के घर के बिल्कुल ही पास है। अब जानकारी सामने आ रही है कि स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ताहिर हुसैन से उस एंटी-सीएए प्रोटेस्ट को उसके समर्थन को लेकर भी पूछताछ करेगी, जहां से भड़के दंगे ने पूरी उत्तरी-दिल्ली में हिंसा की आग लगा दी। मतलब कि ताहिर पर पहले ही तीन एफआईआर दर्ज हैं और अब हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या और इलाके के डीसीपी-एसीपी समेत बाकी पुलिस वालों पर जानलेवा हत्या को लेकर भी उसपर शक गहरा गया है।
हफ्ते भर बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा ताहिर
बता दें कि एक हफ्ते तक कानून को चकमा देने के बाद ताहिर गुरुवार को तब पुलिस के हत्थे चढ़ गया था, जब वह दिल्ली के एक कोर्ट में सरेंडर की कोशिश कर रहा था। हालांकि, अदालत ने भी उसकी सरेंडर याचिका ठुकरा दी थी और फिर पुलिस ने उसे दबोच लिया। ताहिर हुसैन पर दिल्ली में दंगा भड़काने और आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। फिलहाल, ताहिर से क्राइम ब्रांच पूछताछ कर रही है और संभावना है कि इंटेलिजेंस के अधिकारी भी उससे दिल्ली दंगों का राज उगलवाएंगे। यह पूछताछ 23 फरवरी (जबसे हिंसा भड़की थी) से लेकर 25 फरवरी तक की वारदातों को लेकर हो रही है। बता दें कि ताहिर शुरू से खुद को बेकसूर बता रहा है, लेकिन उसके कथित गुनाहों से जुड़े कई संदिग्ध विडियो सबूत मौजूद हैं, जिसको सामने रखकर पुलिस उससे सच उगलवाने की कोशिश में है।
क्या कई सबूत मिटा चुका है ताहिर ?
क्राइम ब्रांच उससे यह भी उगलवाने की कोशिश करेगा कि 25 फरवरी को जब अंकित का कत्ल हुआ तब ताहिर अपने घर पर मौजूद था या नहीं। ताहिर का दावा है कि वह 24 फरवरी को ही घर से चला गया था, ऐसे में सवाल उठता है कि घर से एक बार सार्वजनिक रूप से निकलने के बाद वह साजिश के तहत फिर से वापस तो नहीं लौट आया था? अगर वह 25 को घर पर नहीं भी था तो क्या वह अंकित के हत्यारों को फोन पर निर्देश तो नहीं दे रहा था? क्राइम ब्रांच को उससे ये सारी बातें उगलवानी हैं। साथ ही यह भी कि क्या 24 फरवरी को पुलिस वालों के खिलाफ दंगाइयों को भड़काने में भी तो वह शामिल नहीं था? लेकिन, इस सब बातों के लिए उसके मोबाइल फोन और दोनों सिम का हाथ लगना जरूरी है। क्योंकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी बातें भी बताई जा रही हैं कि पुलिस को उसने अपना मोबाइल नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर उसने सबूत मिटाने के लिए मोबाइल फोन को नष्ट कर दिया होगा तो फिर क्या होगा ?