दिल्ली-राजस्थान में अब बरसेंगे आग के गोले, गर्म हवाओं और धूल भरी आंधी से होगा सामना, Alert जारी
नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान के लिए अगले दो दिनों के लिए 'रेड अलर्ट' जारी किया है, तो वहीं उसने अपने लेटेस्ट अपडेट में कहा है कि आने वाले 7 दिनों में दिल्ली और राजस्थान में गर्मी चरम सीमा पर होगी और गर्म हवाएं चलेंगी, इसलिए लोगों को काफी सचेत रहने की जरूरत है तो वहीं इस हफ्ते के अंत में दिल्ली में धूल भरी आंधी चलने अनुमान है, हालांकि बारिश हल्की ही होगी लेकिन उमस भरा माहौल हो सकता है।
दिल्ली-राजस्थान में अब बरसेंगे आग के गोले
तो यही हाल राजस्थान का भी रहेगा, मौसम विभाग के मुताबिक जयपुर में आज तापमान 45 डिग्री तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है। हफ्त के अंत में आसमान में बादल छाए रहने का अनुमान। विभाग ने पहले ही दिल्ली-राजस्थान समेत पंजाब-हरियाणा में रेड अलर्ट जारी किया हुआ है, विभाग का कहना है कि मानसून आने तक अब देश में भीषण गर्मी पड़ने वाली है।
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पड़ने वाली है भीषण गर्मी, रहें सावधान
बता दें कि दिल्ली के सभी हिस्सों में अभी तापमान 45-46 डिग्री के आसपास है तो वहीं राजस्थान के चूरू और पिलानी में देश का सर्वाधिक तापमान 47.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। दो दिनों से इस साल का सर्वाधिक तापमान देखा जा रहा है, आईएमडी के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून के 1 जून से 5 जून के बीच केरल के तट पर पहुंचने की संभावना है।
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लू से होगा लोगों का सामना: मौसम विभाग
इसके बाद 15-20 जून के बीच ये मुंबई पहुंच जाएगा, जबकि गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, मानसून मौजूदा सामान्य तारीखों की तुलना में 3-7 दिनों की देरी से आएगा लेकिन तब तक उत्तर भारत में लोगों को लू के थपेड़ों का सामना करना पड़ेगा।
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गर्मी के टूटेगा रिकार्ड: वैज्ञानिक
इससे पहले वैज्ञानिकों ने कहा था कि साल 2020 निश्चित रूप से दुनिया का सबसे गर्म साल होगा, इस साल गर्मी बीते 4 साल के सारे रिकॉर्ड को तोड़ देगी। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने भी अनुमान लगाया है कि साल 2020 काफी गर्म होने वाला है, अमेरिकी एजेंसी ने यह भी कहा कि 2020 बीते पांच सालों के गर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा।
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जानिए आखिर 'मानसून' कहते किसे हैं?
मानसून मूलतः हिंद महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।