पिछले 5 सालों में सिर्फ 61 दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा सांस लेने लायक!
बेंगलुरु। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ गया है। दिल्ली की खराब क्वालिटी एयर इमरजेंसी की कैटगरी में पहुंच चुकी है। जिस कारण दिल्ली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। इतना नहीं दिल्ली और आसपास के शहरों में बीते दो दिनों से हवा एक बार फिर से जहरीली हो गई है।
इसी बीच दिल्ली के प्रदषण को लेकर एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। यह रिपोर्ट सेन्ट्रल पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा की गयी एक स्टडी पर आधारित है। जिसमें खुलासा किया गया है कि पिछले पांच वर्षों में केवल 61 दिन ही ऐसे थे जब दिल्ली की हवा सांस लेने लायक थी। यानी कि जाड़ा हो या गर्मी दिल्लीवासी साल भर में चंद दिनों को छोड़कर जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
बता दें दिल्ली की हवा पर सीएसई ने वायु प्रदूषण के पिछले आंकड़ो पर जांच पड़ताल कर यह रिपोर्ट तैयार की । इस स्टडी के अनुसार पिछले पांच सालों में 1825 दिन में सिर्फ 61 दिन ऐसे थे जब दिल्ली एनसीआर के लोगों को साफ हवा मिली।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 2015 में सिर्फ पांच दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा सांस लेने लायक थी। 2016 में तो एक भी दिन ऐसा नहीं था जब दिल्ली की हवा सांस लेने लायक हो। वहीं 2018 में सिर्फ 18 दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा जहरीली नहीं थी। इस साल अगस्त तक सिर्फ 18 दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा जहरीली नहीं थी।
सीएसई के रिसर्चर अविकल सोमवंशी ने मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में बताया कि यह स्टडी 2015 से अब तक प्रदूषण के आंकड़ों पर आधारित है। जाड़ा ही नहीं साल भर में महज चंद दिनों को छोड़कर बाकी सभी दिन दिल्ली की हवा सांस लेने लायक नही थी।
मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण की दो बड़ी वजह है। पहला तापमान का गिरना, जिसकी वजह से धूप नहीं निकल रही है और दूसरा हवा की रफ्तार कम होना, जिसकी वजह से पॉल्यूटेंट्स डिस्पर्स नहीं हो पा रहे हैं। मौसम विभाग की माने तो अगले तीन-चार इसमें अत्यधिक सुधार होने की संभावना नही है। जैसे जैसे तापमान में गिरावट आएगी वैसे वैसे समस्या बढ़ती जाएगी।
दिल्ली के कई इलाकों में एअर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इन इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 700 के पार हो चुका है। इतना ही नहीं दिल्ली से सटे शहर फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद और नोएडा में भी वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। बता दें दिल्ली और आसपास के इलाकों के एयर क्वालिटी इंडेक्स लोधी रोड में 500, आनंद विहार में 545, आरके पुरम में 360, गाजियाबाद में 543 और नोएडा में 650 है।
हेल्थ इमरजेंसी में ऐसे करें खुद का बचाव
आपको बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स में 401 से 500 के बीच को 'गंभीर' जबकि 1000 होने पर 'इमरजेंसी' की स्थिति मानी जाती है। इमरजेंसी कैटगरी के प्रदूषण में सेहत का ख्याल रखना भी एक चुनौती भरा काम है। ऐसी स्थिति में ये उपाय करके जानलेवा हवा से खुद को कुछ हद तक बचा सकते हैं।
एक्यूआई इंडेक्स 400 के पार हो तो घर के अंदर रहें, सामान्य वॉक भी ना करें। जब तक प्रदूषण है तब तक बच्चों को बाहर खेलने ना निकलने दें। साइकिलिंग करने से बचें, ज्यादा देर पैदल ना चलें। अगर घर से बाहर निकलना भी पड़े तो बिना मास्क के बिल्कुल न निकलें। इस इमजेन्सी की स्थिति में बाइकिंग मास्क सबसे सही रहेंगे।
सांसों से शरीर में पहुंचे जहर को बाहर निकालने के लिए पानी बहुत जरूरी है। इसलिए पानी पीना नहीं भूलें। दिन में तकरीबन 4 लीटर तक पानी पिएं। घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पिएं। खाने में जितना हो सके विटामिन-सी, ओमेगा-3 को प्रयोग में लाएं।
शहद, लहसुन, अदरक का खाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। खांसी, जुकाम की स्थिति में शहद और अदरक के रस का सेवन करें। कफ की दिक्कत है तो शहद में काली मिर्च मिलाकर लें. वहीं, लहसुन में एंटीबॉयटिक तत्व होते हैं जो प्रदूषण से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।
अस्थमा के मरीज हैं तो दवाइयां हमेशा साथ रखें. गर्भवती महिलाएं घर में रहने के दौरान भी मास्क पहनें। सुबह के वक्त प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है इसलिए मॉर्निंग वॉक पर नहीं जाएं. धूप निकलने के बाद ही बाहर ही निकलें. मोटरसाइकल या साइकिल से बाहर नहीं निकलें। घर के लिए ना सही, लेकिन कार के लिए एयर प्यूरिफायर जरूर लिया जा सकता है।
ज्यादा ट्रैफिक वाले समय में घर से बाहर निकल रहे हैं तो ये बचाव का एक बहुत अच्छा उपाय साबित हो सकता है। झाडू की जगह वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें इससे धूल के कण उसमें जमा हो जाएंगे। क्योंकि झाडूं लगाते समय उड़ने वाली धूल के कण प्रदूषण फैलाने का काम करते हैं। ऐसे में अगर प्रदूषित इलाकों में आप घर में झाडू की जगह वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करेंगे तो सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी।
इसे भी पढ़े- Pollution पर हिलाने वाला सर्वे: Delhi-NCR के 40 फीसदी लोग शहर छोड़ना चाहते हैं