दिशा रवि की याचिका पुलिस को बदनाम करने, जांच एजेंसी पर दबाव बनाने का प्रयास: दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को हाई कोर्ट से कहा कि दिशा रवि की पर्सनल चैट को मीडिया में लीक करने से रोके जाने से संबंधित हाई कोर्ट में उनकी याचिका पुलिस को बदनाम करने, दोषी ठहराने और जांच एजेंसी पर दबाव बनाने का प्रयास है।
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को हाई कोर्ट से कहा कि दिशा रवि की पर्सनल चैट को मीडिया में लीक करने से रोके जाने से संबंधित हाई कोर्ट में उनकी याचिका पुलिस को बदनाम करने, दोषी ठहराने और जांच एजेंसी पर दबाव बनाने का प्रयास है। आपको बता दें कि अदालत दिशा रवि द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अनुरोध किया गया था कि दिल्ली पुलिस को टूलकिट मामले की जांच के तहत किसी भी जांच सामग्री को लीक करने से रोका जाए।
पुलिस का दावा है कि दिशा उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ किसानों के विरोध पर एक दस्तावेज साझा किया था। हाईकोर्ट में दिशा द्वारा दायर की गई याचिका में यह भी कहा गया था कि उनके और तीसरे पक्ष के बीच व्हाट्सऐप पर मौजूद किसी भी कथित निजी वार्तालाप की सामग्री या अन्य चीजें प्रकाशित करने से भी पुलिस को रोका जाए। पुलिस ने पहली सूचना रिपोर्ट में निहित किसी भी जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने से इनकार किया है जिसके बाद अदालत ने पुलिस को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।
Recommended Video
जस्टिस प्रथिबा एम सिंह, जो दिशा की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, ने उनकी याचिका पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन नेटवर्क 18 और टाइम्स नाउ न्यूज चैनलों को नोटिस जारी किया था। 22 वर्षीय दिशा ने अपनी याचिका में कहा, 'वह पूर्वाग्रह से ग्रसित उनकी गिरफ्तारी और मीडिया ट्रायल से काफी दुखी हैं, जहां उन पर प्रतिवादी 1 (पुलिस) और कई मीडिया घरानों द्वारा स्पष्ट रूप से हमला किया जा रहा है।'
उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ द्वारा 13 फरवरी को बेंगलुरु से उनको गिरफ्तार किया जाना भी पूरी तरह से गैरकानूनी और निराधार था।' दिशा रवि ने अपनी याचिका में दलील दी कि मौजूदा परिस्थितियों में इस बात की काफी आशंका है कि आम जनता इन खबरों से याचिकाकर्ता को दोषी मान ले। याचिका में उन्होंने कहा, 'इन परिस्थितियों में, और प्रतिवादी को उनकी निजता, उनकी प्रतिष्ठा और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करने से रोकने के लिए, याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका को आगे बढ़ा रही है।