अकाली दल सांसद गुजराल बोले- दिल्ली पुलिस का ऐसा ही रवैया हमने 1984 में देखा था
नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल के सांसद और पूर्व पीएम आईके गुजराल के बेटे नरेश गुजराल ने हाल की हिंसा में दिल्ली पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नरेश गुजराल ने कहा है कि जिस तरह की निष्क्रियता पुलिस ने दिखाई, वो करीब-करीब वैसी ही थी जैसी हमने 1984 में सिखों के खिलाफ हिंसा के दौरान देखी थी। तब भी पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया था और अब भी ऐसा ही हुआ है। गुजराल ने दिल्ली के उपराज्यपाल और गृहमंत्री शाह को चिट्ठी भी लिखी है। उन्होंने कहा है कि ये बताने के बावजूद कि मैं सांसद हूं पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। उन्होंने हिंसा को लेकर पुलिस को फोन किया था।
नरेश गुजराल ने ये भी कहा कि कोई भी समझदार नागरिक नहीं चाहेगा कि देश में कहीं भी फिर से 1984 जैसी हिंसा फिर से हो। ऐसे में जरूरी है कि जो भी कोई हिंसा भड़काने में शामिल है, उसके साथ सख्ती से पेश आया जाया। किसी भी सूरत में धार्मिक सद्भाव को खराब ना होने दिया जाए। उन्होंने ये भी कहा कि ट्रंप के दौरे के वक्त जिस तरह से हिंसा हुई वो देश की छवि को भी धक्का है। गुजराल ने गुरुद्वारों में हिंसा पीड़ितों को जगह देने और खाना वगैरह उपलब्ध कराने के लिए भी तारीफ की।
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर विपक्ष दल लगातार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को घेर रहे हैं। शिअद एनडीए का पहला ऐसा दल है, जिसके नेता ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कड़ी आलोचना की है। शिरोमणि अकाली दल और भाजपा पंजाब और दिल्ली में लंबे समय से साथ चुनाव लड़ते आ रहे हैं।
इससे पहले गुरुवार को दिल्ली हिंसा को लेकर कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला। राष्ट्रपति से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, हमने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह 'राजधर्म' की रक्षा के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करें। जिस तरह की हिंसा दिल्ली में बीते चार गिनों में हुई वो राष्ट्र के लिए शर्मनाक है। सरकार अपनी ड्यूटी में फेल हुई है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा देने को कहा है। गांधी ने कहा है कि बतौर गृहमंत्री अमित शाह अपना काम ठीक से नहीं कर पाए। दिल्ली में हिंसा हुई और जानमाल का भारी नुकसान हो गया। उन्हें पद पर रहने का नौतिक अधिकार नहीं है। वो इसकी जिम्मेदरी लेते हुए इस्तीपा दे दें।