तीस हजारी हिंसा: पुलिस की बाइक में आग लगाने वाली महिला वकील की हुई पहचान
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने उस महिला वकील की पहचान कर ली है जिसने पिछले साल नवंबर में तीस हजारी कोर्ट कॉम्प्लेक्स में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान पुलिसकर्मी की मोटरसाइकिल को आग लगाई थी। लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है क्योंकि घटना की न्यायिक जांच जारी है। बता दें कि, इस घटना के बाद एक सहायक उप-निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया था और एक अन्य पुलिस अधिकारी को इस घटना में शामिल होने के आरोप में स्थानांतरित किया गया था।
अभी वकील के खिलाफ कोई 'दंडात्मक कार्रवाई' नहीं की जा सकती
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि दो नवम्बर को हुई हिंसा के मामले में किसी भी वकील के खिलाफ कोई 'दंडात्मक कार्रवाई' नहीं की जा सकती। इस मामले में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती क्योंकि मामले की न्यायिक जांच लंबित है। अपराध शाखा ने कई सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद वकील की पहचान की है। इनमें से एक फुटेज में महिला शाम 4 बजकर 14 मिनट पर तीस हजारी अदालत परिसर की हवालात के बाहर पार्क पुलिस की बाइक में आग लगाती नजर आ रही है।
वकीलों के एक समूह ने पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था
इसके करीब पांच मिनट बाद ही पुलिस की अन्य बाइकों में भी आग लगा दी गई थी। अन्य फुटेज में चार बजकर 19 मिनट पर वकील पत्थरों से भरी एक बोरी लाती दिख रही है। इसके बाद ही वकीलों के एक समूह ने पुलिस कर्मियों पर पथराव करना शुरू किया था। उस दिन पुलिस की 13 बाइकों को आग लगाई गई थी। सीसीटीवी फुटेज में 4:21 बजे पर डीसीपी-रैंक की एक वरिष्ठ अधिकारी गेट नंबर 1ए से अंदर आती दिख रही हैं। वे हाथ जोड़कर लोगों से शांत होने की गुहार लगा रही है और उनके पीछे वाहन जलते दिख रहे हैं।पुलिस के अनुसार 4:22 बजे पर उनके साथ हाथापाई होने की भी फुटेज है।
झड़प में पुलिस की 13 बाइक सहित 17 वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे
तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प में पुलिस की 13 बाइक सहित 17 वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे। इसमें 21 पुलिसकर्मी और कुछ वकील घायल हो गए थे। हाईकोर्ट इस घटना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस पी गर्ग द्वारा घटना की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिए थे। अदालत के निर्देश के बाद जांच लंबित रहने तक विशेष आयुक्त संजय सिंह, अतिरिक्त डीसीपी हरेंद्र सिंह का स्थानांतरण कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने साफ किया था कि किसी वकील के खिलाफ कोई 'दंडात्मक कार्रवाई' नहीं की जाए। दिल्ली पुलिस ने सात एफआईआर की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था। जिसमें हत्या के प्रयास का आरोप शामिल था।
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