दिल्ली पुलिस ने रद्द की जिग्नेश मेवाणी की 'हुंकार रैली' की परमिशन
नई दिल्ली। गुजरात के वडगाम से विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की 9 जनवरी को दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट पर बुलाई गई हुंकार रैली के लिए पुलिस ने इजाजत नहीं दी है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि गणतंत्र दिवस की तैयारियों के मद्देनजर रैली करने की इजाजत नहीं दी गई है। पुलिस का कहना है कि यदि जबरदस्ती रैली की गई तो कार्रवाई की जाएगी। जिग्नेश मेवाणी ने पार्लियामेंट स्ट्रीट में 9 जनवरी को सामाजिक न्याय के लिए 'युवा हुंकार रैली' का ऐलान किया है। हालांकि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे ने परमिशन रद्द होने की खबरों को गलत बताया है। जिग्नेश मेवाणी ने भी परमिशन रद्द होने की खबर को कोरी अफवाह बताते हुए ट्वीट किया है।
दलित उत्पीड़न को लेकर है रैली
जिग्नेश मेवाणी ने देश में दलितों पर हो रहे अत्याचार और सहारनपुर के भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को रिहा की मांग को लेकर रैली बुलाई है। जिग्नेश ने हाल ही में भीमा कोरेगांव की हिंसा को लेकर भाजपा पर कड़ा रुख अपनाया है। वहीं पुलिस का कहना है कि गणतंत्र दिवस की वजह से इस पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी जाती है, ऐसे में ऐसे किसी कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी जा सकती।
मनुस्मृति लेकर मोदी के पास जाने का ऐलान
भीमा कोरेगांव में हिंसा के बाद जिग्नेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं इसको लेकर जिग्नेश ने खुद को निशाना बनाने की बात कही है। जिग्नेश ने कहा है कि मोदी संविधान में यकीन नहीं करते, बल्कि उन्हें मनुस्मृति पर भरोसा है। जिग्नेश ने कहा कि 9 जनवरी को दिल्ली में रैली के बाद वो एक हाथ में मनुस्मृति और एक हाथ में संविधान लेकर प्रधानमंत्री कार्यलय जाएंगे और पीएम से दोनों में से एक कॉपी चुनने को कहेंगे ताकि देश को पता चले वो किसे मानते हैं।
गुजरात के ऊना कांड से चर्चा में आए थे मेवाणी
जिग्नेश मेवाणी गुजरात के ऊना में 2016 में हुए दलितों के साथ बेरहमी से मारपीट का मामला सामने आया था। जिसके बाद उन्होंने इसको लेकर आंदोलन किया था। उन्होंने दलितों को लामबंद कर मरे हुए पशुओं को उठवाने से मना कर दिया था। बीते साल गुजरात चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर वडगाम सीट से विधानसभा सीट जीता है।
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