प्रदूषण से लोग रोज मर रहे, इससे अच्छा सबको एक बार में बम से क्यों नहीं उड़ा देते: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में भारी प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुनवाई के दौरान कहा, एक-दूसरे पर आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। आखिर क्यों लोगों को गैस चेंबर में जीने को मजबूर किया जा रहा है, इससे अच्छा हो कि लोगों को एक दफा में ही मार दिया जाए। क्यों ना 15 विस्फोटक से भरे बैग दिल्ली में रख दिए जाएं और सब उड़ जाएं। लोगों के लिए रोज के मरने से तो यही बेहतर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब की सरकारों को भी फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर कहा है कि लोगों को स्वच्छ पेयजल और वायु उपलब्ध नहीं कराने पर उन्हें मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया जाना चाहिए। इस पर छह हफ्ते मेें जवाब देना होगा।
दिल्ली जहन्नुम से बदतर हुई
दिल्ली और एनसीआर में बीते एक महीने से वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है, हवा की गुणवत्ता ऐसी नहीं है कि जिसमें सांस लिया जा सके। इस पर कई याचिकाएं अदालत मे दाखिल की गई हैं, जिन पर सुनवाई हो रही है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट सरकारों की ओर से किए जा रहे इंतजामात से खफा दिखा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए पूछा, दिल्ली जहन्नुम से बदतर हो गई है। आप क्या कर रहे हैं? पानी और हवा के प्रदूषण को रोकने के लिए आपने क्या किया है? कहां है रिपोर्ट?
दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र और राज्य, दो केंद्र होने चलते दिक्कत पेश आ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि दोनों अपने बीच दूरी कम करें और एकसाथ बैठकर 10 दिन के भीतर शहर के विभिन्न भागों में एयर प्यूरिफाइंग टावर्स लगाएं।
सीपीसीबी से मांगी रिपोर्ट
जस्टिस अरुण मिश्रा ने सेंट्रल पॉल्यूश बोर्ड को आदेश दिया कि वह दिल्ली में चल रही फैक्ट्रियों के प्रदूषण पर पड़ने वाले प्रभाव की एक रिपोर्ट कोर्ट में फाइल करें। साथ ही रिपोर्ट में ये भी बताया जाए कि दिल्ली में किस प्रकार की फैक्टरियां चल रही है।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हम दिल्ली में पानी के प्रदूषण के विवाद पर स्वतः संज्ञान लेंगे ताकि पता चले कि दिल्ली का पानी पीने लायक है या नहीं। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इस देश में जिंदगी इतनी सस्ती नहीं है, आपको इसका मुआवजा देना होगा।
पंजाब, यूपी को फटकार
सुप्रीम कोर्ट पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पराली जलाने को लेकर भी खफा दिखा। तीनों राज्यों के सचिवों को कोर्ट ने फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि हम राज्य की हर मशीनरी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराएंगे। आप इस तरह लोगों को मरने नहीं दे सकते।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि पराली जलाने पर सख्त कदम उठाए गए हैं। ऐसे मामलों में करीब एक हजार एफआईआर हुई हैं और 1 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।
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