Delhi MCD Election 2021: क्या AAP ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी?
दिल्ली: पिछले करीब एक हफ्ते में आम आदमी पार्टी के लिए दो राज्यों से अच्छी खबर आई है। एक तो गुजरात में उसने कांग्रेस की जमीन खिसका दी है और सूरत में वह भाजपा के मुकाबले मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है। दूसरा, दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव में उसने भाजपा की राजनीतिक जमीन को भी हिला दिया है। हालांकि, उससे कांग्रेस ने भी यहां सूरत का जोरदार बदला लिया है। वैसे दिल्ली और गुजरात के निकाय चुनावों ने आम आदमी पार्टी को अगले साल होने वाले दिल्ली नगर निगम और विभिन्न राज्यों की विधानसभा चुनावों के लिए उत्साहित तो जरूर कर दिया है। लेकिन, क्या यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है या फिर वह कांग्रेस का विकल्प बन रही है, यह देखना दिलचस्प है।
2022 में एमसीडी के फाइनल से पहले भाजपा का सूपड़ा साफ
एक साल बाद दिल्ली नगर का चुनाव होना है। उससे पहले एमसीडी की पांच खाली पड़ी सीटों पर रविवार को उपचुनाव कराए गए थे। इनमें से चार सीटें सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के खाते में गई हैं, जबकि एक पर कांग्रेस का उम्मीदवार बहुत भारी मतों से जीता है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी के उम्मीदवारों को कल्याणपुरी, रोहिणी-सी, शालीमार बाग (नॉर्थ) और त्रिलोकपुरी में जीत मिली है, जबकि चौहान बांगर सीट कांग्रेस के खाते में गई है। यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि, 'आप' ने उससे शालीमार बाग (नॉर्थ) (महिला सीट) की सीट छीन ली है। यहां पर आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी सुनीता मिश्रा ने भाजपा की सुरभी जाजू को 2,705 वोटों से हराया है। अभी दिल्ली की तीनों निगमों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है और ऐसे में उपचुनाव में एक सीट भी गंवाना उसके लिए खतरे की घंटी मानी जा सकती है।
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कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से लिया सूरत का बदला
जहां तक आम आदमी पार्टी की बात है तो इन पांचों में से शालीमार बाग (नॉर्थ) को छोड़कर चार सीटें पहले से ही उसके पास थीं, जो उसके पार्षदों के विधायक बनने के चलते खाली हुई थीं। दरअसल, केजरीवाल की पार्टी को चौहान बांगर की सीट पर कांग्रेस ने बहुत जबर्दस्त चपत लगाई है। यहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी जुबेर अहमद ने आम आदमी पार्टी के मोहम्मद इशराक खान को 10,642 वोटों से पराजित किया है, जो कि निगम चुनाव के लिए बहुत ही बड़ी मार्जिन है। बता दें कि त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी (दोनों एससी के लिए रिजर्व) और रोहिणी-सी पहले से ही आम आदमी पार्टी के पास थी। यानी दिल्ली के वोटरों ने भाजपा को चेतावनी दी है तो अरविंद केजरीवाल को भी संभल जाने का संकेत दे दिया है।
गुजरात निगम चुनाव में भी 'आप' मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी
पिछले हफ्ते ही गुजरात में 6 नगर निगम के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री की थी। पाटीदारों के दबदबे वाले सूरत नगर निगम में उसने कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत से भी बेदखल कर दिया और 27 सीटें जीत गई। यहां पर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। मंगलवार को गुजरात में जिला पंचायतों, नगरपालिकाओं और तालुकाओं के भी चुनाव परिणाम आए हैं और इसमें भी पार्टी ने जो कुल 2,097 उम्मीदवार उतारे थे , जिनमें 42 को कामयाबी मिली है। खासकर सूरत से आम आदमी को मिली एंट्री से वहां यह चर्चा आम हो गई है कि वह पटेलों के प्रभाव वाली अमरेली और मोरबी इलाकों में भी कांग्रेस की जमीन खिसका सकती है। 2017 के विधानसभा चुनावों में इस इलाके में भाजपा को बड़ी शिकस्त मिली थी। वैसे गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों ने प्रदेश में दो दशक से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की स्थिति और भी बहुत मजबूत कर दी है। लेकिन, यह भी सच है कि विपक्ष में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है।
यूपी में भाजपा के खिलाफ जोर-शोर से तैयारी में 'आप'
दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात के बाद आम आदमी पार्टी की नजर उत्तर प्रदेश पर जा टिकी है। यहां वह भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए किसान आंदोलन को अपना जरिया बनाने की कोशिश कर रही है। रविवार को मेरठ में हुए किसान महापंचायत में पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल खुद को किसानों का 'बेटा' और 'छोटा भाई' बता आए हैं। वह वहां पर बता आए हैं कि दिल्ली से सटे गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार किस तरह से मदद कर रही है। पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी यूपी के मंत्रियों की बहस की चुनौती दे चुके हैं। वहां केजरीवाल ने हर वह मुद्दा उठाने की कोशिश की जो दिल्ली से सटे पश्चिमी यूपी के लोगों को छू सकता है।
गोवा में भी भाजपा सरकार के खिलाफ सक्रिय
आम आदमी पार्टी अपने शुरुआती दिनों से गोवा में सक्रिय रही है। उसे वहां भी स्थानीय निकाय चुनाव में कुछ कामयाबी मिली है। यहां भी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी का वहां अपना पहले से बना बनाया हुआ संगठन है और वह पिछला चुनाव लड़ भी चुकी है। पार्टी वहां पर 200 से ज्यादा सभाएं करने के दावे करती है और उसके हजारों कार्यकर्ता होने की भी बात कहती है। इसके साथ ही उसके पार्षदों ने अब वहां भी दिल्ली की तरह सत्ता में आने पर फ्री सेवाओं के वादे करने शुरू कर दिए हैं। इस वक्त पार्टी वहां एक 'वीज आंदोलन' भी चला रही है। गोवा में बेनॉलिम के पार्टी जिला पार्षद हैंजेल फर्नांडीस ने हाल ही में कहा है कि अगर राज्य में उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो 48 घंटे में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर देगी। वह वहां पर टैक्सी और रिक्शा ड्राइवरों को भी दिल्ली जैसी फ्री सुविधाएं देने की बात कर रही है।
भाजपा नहीं, कांग्रेस का विकल्प बन रही है 'आप'?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कई बार दावा कर चुके हैं कि भाजपा को वही हरा सकते हैं। हाल के कुछ स्थानीय निकाय चुनावों से उसका मनोबल जरूर बढ़ा है। लेकिन, आम आदमी पार्टी अभी देश में बीजेपी को हरा सकती है, ऐसा कहना शायद बहुत ही जल्दबाजी है। वैसे इतना जरूर है कि उसने गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में वह कांग्रेस के विकल्प के तौर पर जरूर उभर सकती है।