भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के नाम पर बने सीएम, पर खुद के ही मंत्रियों के खिलाफ हुईं सबसे ज्यादा शिकायतें
नई दिल्ली। देश के सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जन लोकपाल की नियुक्ति को लेकर अन्ना हजारे ने बड़ा आंदोलन किया था इसी आंदोलन से निकलकर आम आदमी पार्टी (आप) बनी। इस वक्त दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 'आप' की सरकार चल रही है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात को कहकर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ ही लोकायुक्त को बड़ी मात्रा में शिकायतें मिली हैं। द हिंदू अखबार द्वारा लगाई गई आरटीआई के बाद जो जवाब आया है उसके मुताबिक जब से 2015 में 'आप' पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है उसके बाद से उसके मंत्रियों के खिलाफ 24 शिकायतें मिली हैं। आरटीआई के जवाब में 2008 से लेकर 2018 तक मंत्रियों, विधायकों और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का ब्यौरा दिया गया है।
आम आदमी पार्टी की सरकार के मंत्रियों की बात करें तो उनके खिलाफ सबसे ज्यादा 11 शिकायतें 2017 में लोकायुक्त को मिलीं जो 2008 से लेकर अब तक किसी भी साल में मिली सबसे ज्यादा हैं। विधायकों की बात की जाए तो लोकायुक्त को अब तक आप के कार्यकाल के दौरान 40 शिकायतें मिली हैं। आप के मंत्रियों के खिलाफ 24 शिकायतें मिलीं। कुल मिलाकर आप के कार्यकाल के दौरान 31 जुलाई 2018 तक मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ 64 शिकायतें लोकायुक्त को मिलीं। 2008 से 2013 तक दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार सत्ता में थी उस दौरान दिल्ली लोकायुक्त को मंत्रियों के खिलाफ कुल 34 शिकायतें मिलीं। शिकायतों की सबसे ज्यादा संख्या नौ, 2012 में प्राप्त हुई थी। 2008 से 31 जुलाई, 2018 तक मंत्रियों के खिलाफ 56 शिकायतों में से 47 को निपटाया जा चुका है और नौ लंबित हैं।
केजरीवाल के खिलाफ भी शिकायत
2017 में मिली शिकायतों में से एक तो खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ थी। इसे पूर्व मंत्री और आप से निकाले गए विधायक कपिल मिश्रा के आरोपों के बाद दर्ज किया गया था। मई 2017 में मंत्रिमंडल से निकाले जाने के बाद कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने सीएम के आधिकारिक निवास पर पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन से केजरीवाल को नकद पैसे स्वीकार करते देखा था। बीजेपी के कानूनी सेल के एक सदस्य ने दिल्ली लोकायुक्त में मिश्रा के आरोपों के आधार पर शिकायत दर्ज की थी। लेकिन इस साल अगस्त में केजरीवाल को इस मामले में लोकायुक्त से कलीन चिट मिल गई थी।
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एमएलए और अफसर भी शामिल
आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा के सदस्यों के खिलाफ 2008 से 31 जुलाई, 2018 तक कुल 156 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। विधायकों के खिलाफ 156 शिकायतों में से 125 का निपटारा किया गया था और 31 की जांच की जा रही थी या लंबित थी। लोकायुक्त को 2008 से 31 जुलाई तक दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भी 311 शिकायतें मिलीं इनमें 2011 में सबसे ज्यादा संख्या 66 थी। इनमें से 31 जुलाई 2018 को सिर्फ एक शिकायत लंबित थी।
मजबूत लोकपाल की जरूरत
दिल्ली में 1997 से लोकायुक्त का कार्यालय काम कर रहा है लेकिन इसकी शक्तियों को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। इसे कठोर कार्रवाई करने की कोई पॉवर नहीं दी गई। भ्रष्टाचार के आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी कहती है कि वो मजबूत लोकायुक्त के पक्ष में है लेकिन उनकी सरकार द्वरा पारित जन लोकपाल बिल को केंद्र ने वापस भेज दिया। देश में अब तक लोकपाल की नियुक्त नहीं हो पाई है। केंद्र की बीजेपी सरकार इसे लटकाती रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद ही इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए हैं। लेकिन शायद अभी देश को और इंतजार करना होगा।
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