अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवासियों के इलाज का फैसला संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ, इसलिए बदला: एलजी
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अधीन अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों के ही इलाज को लेकर दिए केजरीवाल सरकार के फैसले को बदलने पर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने प्रतिकिया दी है। मंगलवार को बैजल ने कहा कि ये फैसला संविधान में दिए समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है। इसमें जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है। लोगों को स्वास्थ्य सेवा देना राज्य की जिम्मेदारी है। बैजल ने कहा, दिल्ली सरकार का ये फैसला संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है।
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बैजल ने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच का एक जजमेंट है जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ दिल्ली और एक दूसरे जज ने जीने के अधिकारे के साथ स्वास्थ्य का अधिकार भी जोड़ा था। अगर इस तरह का आदेश जिसमें क्षेत्र के हिसाब से इलाज को मना किया जाता तो ये संविधान का हनन होता। इसलिए मेरे पास ये अधिकार था कि मैं इसको बदलूं ताकि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सभी को मिल सके।
दिल्ली में कोरोना संकट को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक भी की है। बैठक में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद एलजी ने कहा, जरूरी है कि केंद्र, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय मिलकर इस महामारी से लड़ने के लिए काम करें। इसीलिए मैंने आज सभी पार्टी की मीटिंग बुलाई। बैठक में कई उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए हैं।
बैठक के बाद दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि कुछ दलों को छोड़कर सभी दल इस बात पर सहमत हुए हैं कि दिल्ली सरकार का फैसला गलत था, जिसमे कहा गया था कि जो लोग दिल्ली के निवासी नहीं है उनका एसिम्पटोमैटिक टेस्ट नहीं होगा और इनका दिल्ली के अस्पतालों में इला नहीं होगा। वहीं इस बैठक के बाद आप नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्लीवालों का जीवन सुरक्षित रह सके इसके लिए ये फैसला लिया गया था। खट्टर सरकार और योगी सरकार के दवाब में फैसला बदला गया क्योंकि उनकी स्वास्थ्य सेवाएं बिलकुल फेल हैं।
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