सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा की अनुमति देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार, कहा- इससे फैल सकता है संक्रमण
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा समारोह पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने कहा कि अनुमति देना कोविड-19 के सुपर स्प्रेडर के रूप में कार्य करेगा। आपको बता दें दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देते हुए ये याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिसे खारिज कर दिया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने की है।

इससे पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के कारण तालाब और नदी किनारे जैसे सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया था। डीडीएमए ने अपने आदेश में अधिकारियों से ये आश्वस्त करने को कहा था कि नदी किनारे, मंदिर और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा का आयोजन ना हो। डीडीएमए ने जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस उपायुक्तों को भी लोगों को अपने घरों पर त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा था।
इसके बाद मंगलवार को भाजपा पूर्वांचल मोर्चा ने छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि आप सरकार को अगले 24 घंटों के भीतर अपने 'तुगलकी फरमान' को वापस लेना चाहिए या फिर पूर्वांचलवासी सही समय पर सबक सिखाएंगे।
हालांकि इसके बाद सरकार ने घोषणा करते हुए कहा कि 20 नवंबर को छठ पूजा के दिन सार्वजनिक अवकाश रहेगा। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत आज से हो गई है। ये त्योहार भगवान सूर्यदेव और छठी मईया को समर्पित है। हर साल इस त्योहार का आयोजन देशभर में धूमधाम से किया जाता है लेकिन इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण कुछ राज्यों ने सार्वजनिक स्थानों पर पूजा के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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