दिल्ली हाईकोर्ट से निजी स्कूलों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर राहत नहीं, LG से मांगा जवाब
नई दिल्ली। निजी स्कूलों को आप सरकार पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में देरी संबंधी याचिका पर फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि, निजी अवैतनिक स्कूल संघ की तरफ से दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय के निदेशक से जवाब जरूर मांगा है। न्यायमूर्ति सुनील गौर ने शिक्षा निदेशालय निदेशक व उपराज्यपाल ऑफिस को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अप्रैल 2018 में शिक्षा निदेशालय द्वारा कुछ निजी स्कूलों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने वाले आदेश पर स्टे देने से इन्कार कर दिया।
जस्टिस सुनील गौड़ की बेंच ने मामले में कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए, दिल्ली सरकार को अपना पक्ष दायर करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी। मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकारी व सहायता प्राप्त संस्थान सातवें सीपीसी की सिफारिशों को लागू कर रहे हैं, लेकिन निजी संस्थान उसी लाभ को देने में आनाकानी कर रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार के कोर्ट को बताया की निजी स्कूल ऐसी याचिका दायर कर अपने खातों की जांच में देरी कर रहें हैं, कोर्ट तुंरत उनकी याचिका रद्द करे।
याचिकाकर्ता के वकील कमल गुप्ता ने दायर याचिका में दावा किया था कि सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों को बढ़े वेतन और भत्ते सरकार अपने राजकोष से दे सकती है, लेकिन निजी संस्थान पूरी तरह से ऐसी देनदारियों को पूरा करने के लिए छात्रों से प्राप्त फीस पर निर्भर हैं। याचिका में कहा गया है कि कार्यान्वयन और पूर्ववर्ती कार्यान्वयन में देरी न केवल उन स्कूलों के लिए बड़ी समस्याएं पैदा करती है, जिन्हें धन इकट्ठा करना होता है, बल्कि बकाया राशि का भुगतान करने वाले माता-पिता के बीच भारी असंतोष पैदा करती है।
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