दिल्ली हाईकोर्ट ने कन्हैया कुमार के खिलाफ JNU की कार्रवाई को बताया गैर कानूनी
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और छात्र कन्हैया कुमार पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लगाए गए दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने जेएनयू के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। जेएनयू ने हाल ही में कन्हैया कुमार पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए जुर्माना लगाया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कन्हैया कुमार को लेकर 4 जुलाई को दिया गया जेएनयू का आदेश तर्कहीन, अनियमित और अवैध है। हाईकोर्ट ने कहा, 'बेहतर है कि आप जुर्माना वापस ले रहे हैं वरना मैं अपने आदेश में यह लिख दूंगा कि आपने जो जुर्माना कन्हैया कुमार पर लगाया है उसमें क्या-क्या खामियां हैं और क्यों इस तरह का जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए था।' दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू को इस मामले में दोबारा कन्हैया कुमार को सुनने और पूरे मामले की दोबारा से देखने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट के आदेश सुनाने के दौरान जेएनयू प्रशासन के वकील ने कहा कि वो कन्हैया कुमार पर लगाये गए जुर्माने को वापस ले रहे हैं। कन्हैया ने अपनी याचिका में कहा था कि इस आदेश में न्याय के सिद्धांतों पर गौर करने में भारी चूक हुई है और दिल्ली हाईकोर्ट के 12 अक्टूबर, 2017 को जारी निर्देशों का उल्लंघन किया गया है।
कन्हैया की याचिका वकील तरन्नुम चीमा और हर्ष बोरा की तरफ से दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने चार जुलाई को अपने मुख्य प्रॉक्टर के जरिए जेएनयू के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। चार जुलाई के आदेश में जेएनयू ने कन्हैया को अनुशासन के नियमों और जेएनयू के छात्रों के उचित आचरण की धारा 3 के तहत दोषी ठहराया और उनपर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
कन्हैया कुमार की वकील ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बिना सुनवाई का मौका दिए ही जेएनयू की उच्च स्तरीय जांच समिति ने उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया और कहा गया कि अगर यह जुर्माना नहीं भरा गया तो वह अपनी थीसिस जमा नहीं करा पाएंगे।