फेसबुक बैन को चैलेंज करने वाली आर्मी ऑफिसर की याचिका दिल्ली HC में खारिज
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक ऑफिसर की तरफ से फेसबुक बैन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। डायरेक्ट जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलीजेंस (डीजीएमआई) की तरफ से आर्मी ऑफिसर्स को आदेश दिया गया था कि वो फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स को अपने फोन से डिलीट कर दें। इसी आदेश के विरोध में ऑफिसर की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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'फेसबुक से प्यार है तो अपना इस्तीफा दे दीजिए'
लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी की तरफ से हाई कोर्ट में आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट की डिविजन बेंच की तरफ से इस मामले की सुनवाई की गई है। इस बेंच का नेतृत्व जस्टिस राजीव एंडलॉ और जस्टिस आशा मेनन कर रहे थे और उन्होंने याचिका को रद्द करने का आदेश दिया। 14 जुलाई को जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तो कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाया था। हाई कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि उन्हें सेना की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन करना पड़ेगा। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि या तो वह अपने संगठन के निर्देशों को मानें नहीं तो अपने पद से इस्तीफा दे दें।कोर्ट ने उन्हें दो टूक कहा था कि इस आदेश पर स्टे नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह मसला देश की सुरक्षा और रक्षा से जुड़ा है। कोर्ट ने उनके वकील से कहा, 'आप कृप्या डिलीट कर दें। आप एक नई प्रोफाइल हमेशा बन सकते हैं। यह ऐसे नहीं चल सकता है। आप एक संगठन का हिस्सा हैं। आपको नियमों को मानना ही पड़ेगा।' कोर्ट की तरफ से आगे कहा गया, 'अगर आपको फेसबुक इतना ही प्यारा है तो फिर अपने पेपर्स डाल दीजिए। देखिए, आपके पास विकल्प भी है कि आपको किसे चुनना है। आपके पास दूसरी च्वॉइसेज हैं जिन्हें एक बार अपनाने के बाद आप पीछे नहीं हट सकते हैं।'
क्या थी आर्मी ऑफिसर की दलील
जम्मू कश्मीर में पोस्टेड आर्मी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने याचिका में खुद को सक्रिय फेसबुक यूजर करार दिया था। उनका कहना है कि वह अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों से फेसबुक के जरिए जुड़े रहते हैं। उनकी बेटी समेत परिवार के कई सदस्य भारत के बाहर रहते हैं और ऐसे में फेसबुक उन्हें हर पल उनसे कनेक्ट रखता है। उनके वकील शिवांक प्रताप सिंह ने कहा कि यह आदेश उनके मुवक्किल की निजता और उनके डाटा के अधिकारों के साथ समझौता करेगा। उनका कहना था कि अगर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है तो फिर उनके क्लाइंट का मूल्यवान डाटा अकाउंट्स को डिलीट करने की वजह से खो जाएगा। उनका कहना था कि एक बार अकाउंट डिलीट हो जाए तो फिर डाटा को हासिल नहीं किया जा सकता है।