शादी की उम्र समान करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली HC ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
नई दिल्ली। शादी की समान न्यूनतम उम्र की मांग को लेकर दायर पीआइएल पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरका और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की अलग-अलग न्यूनतम उम्र लैंगिक समानता व न्याय और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है।
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख दी है। बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका में दलील दी गई है कि उम्र में यह अंतर संविधान में समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। साथ ही यह महिलाओं की गरिमा के खिलाफ भी है। याचिका में मांग की गई है कि इस व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर एक समान उम्र लागू किया जाए।
इसके अलावा इस याचिका में ये भी दलील दी गई है कि हिंदू धर्म में उम्र का यह अंतर इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, पारसी एंड डिवोर्स एक्ट स्पेशल मैरिज एक्ट, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम के विभिन्न कानूनी प्रावधानों के कारण है। याचिका में दलील दी गई है कि लड़की और लड़के की शादी की उम्र अलग-अलग रखना पितृ सत्तात्मक सोच को दर्शाती है।
इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। ऐसे में ये महिलाओं के साथ न्याय है। क्योंकि वर्तमान में समाज में सोच और महिलाओं को देखने का नजरिया बदल गया है, इसलिए अब शादी की उम्र भी समान की जाए। क्योंकि महिलाओं को समान हक और अधिकार दिए जाने की जरूरत है। याचिका में कहा गया है कि शादी की वजह से बहुत सारी लड़कियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। जिसकी वजह से उनको आगे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
यह भी पढ़ें- थोड़ा सा होश आने पर उन्नाव पीड़िता ने बयां की उस दिन की खौफनाक कहानी