गाजीपुर मुर्गा मंडी में अब नहीं कटेंगे मुर्गे, दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की गाजीपुर मुर्गा मंडी में नियमों की अनदेखी कर लगातार जिंदा पक्षियों को काटा जा रहा है। सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने गाजीपुर की मुर्गा मंडी में जिंदा पक्षियों को काटने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि, गाजीपुर मुर्गा मंडी में दुकानदार पक्षियों की केवल बिक्री कर सकेंगे। बता दें कि इस साल की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि गाजीपुर मंडी में नियमों की अनदेखी कर अवैध तरीके से मुर्गे काटे जा रहे हैं।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि, परिस्थितियों और अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते हमारे पास गाजीपुर मुर्गा मंडी को निर्देशित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अब मंडी में पक्षियों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहां केवल पक्षियों की बिक्री की अनुमति होगी। इसके साथ ही अदालत ने अधिकारियों से कोर्ट के साथ आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर दाखिल करने के भी निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने सिविक बॉडी के अधिकारियों से इस इलाके में एक डिजाइन्ड बूचड़ख़ाना के प्लान के साथ आने के लिए कहा है। जब तक कोर्ट का ये अंतरिम आदेश जारी रहेगा। खंडपीठ ने पाया कि, 24 अप्रैल को मंडी का दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने निरीक्षण किया था। उन्होंने पाया था कि, मंड़ी के अंदर नियमों का धड़ल्ले से नियमों की उल्लघंन हो रहा है। बता दें कि, फरवरी 2018 में गाजीपुर मुर्गा मंडी में मांस विक्रेताओं द्वारा की जा रही स्वास्थ्य संबंधी नियमों की अनदेखी पर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार व सिविक एजेंसियों से जवाब मांगा भी था।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से प्रतिनिधित्व करते वकील संजीव राली ने बताया कि, 24 अप्रैल को दिल्ली की आप सरकार ने मंड़ी में चले रहे अवैध बूचड़खाने को बंद करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने पाया कि, पांच महीने बीत जाने के बाद भी यह बूचड़खाने बंद नहीं हुए। वहीं मंड़ी एसोशिएसन का कहना है कि, बूचड़खाने को बंद करने उनकी आजीविका को प्रभावित होगी।
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