Delhi Fire: मौत को सामने देख प्रग्नेंट पत्नी को किया कॉल, कहा था- जिंदा नहीं बचूंगा, बच्चों का ख्याल रखना
नई दिल्ली। दिल्ली के सदर बाजार इलाके में रविवार तड़के करीब 5 बजे लेडीज पर्स, बैग और प्लास्टिक आइटम बनाने की चार मंजिला फैक्टरी में भीषण आग लग गई। हादसे में 43 लोगों की मौत हो गई जबकि 17 लोग बुरी तरह झुलस गए हैं। इस आग में कई जिंदगियां खाक हो गईं। कई घरों में तो पेट भरने वाला एक मात्र सहारा भी नहीं बचा। आग की लपटों में धुएं के बीच आखिरी सांस के लिए तड़पते हुए अंदर फंसे लोगों ने जो किया उसे जानकर किसी का भी कलेजा फट जाए। अंदर फंसे लोगों में कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने सामने से मौत को आता देख अपने परिवार से बार बात कर आखिरी अलविदा कहा। कुछ लोगों को तो भागने तक का मौका नहीं मिला।
शाकिर ने किया प्रेग्नेंट पत्नी को फोन, कहा-जिंदा नहीं बचूंगा, बच्चों को ख्याल रखना
बिहार के रहने वाले शाकिर हुसैन भी मरने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। इमारत में जब पूरी तरह से आग फैल चुकी थी तब मौत को सामने देखकर अंदर फंसे शाकिर ने अपनी गर्भवती पत्नी को फोन लगाया। उन्होंने पत्नी से कहा कि इमारत में आग लग गई है। उनके कई साथी मर चुके हैं। उनके कमरे में दो दोस्त भी मर गए। वे ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं और अब वे जिंदा नहीं रह पाएंगे। बच्चों का ध्यान रखना। इसके बाद फोन कट हो गया।
मुशर्रफ ने फोन पर कहा- भैया आज तैं खत्म होने वाला हूं
दिल्ली के अनाज मंडी अग्निकांड का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में आग की लपटों के बीच घिरे एक युवक को अपने दोस्त से बात करते हुए सुना जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, संकट की घड़ी में अपने दोस्त को कॉल करने वाले युवक का नाम मुशर्रफ है। आग और धुएं के बीच उसे बचने की जब कोई उम्मीद नहीं दिखी तो उसने अपने एक दोस्त मोनू को अग्निकांड के बारे में बताया। करीब साढ़े तीन मिनट के इस कॉल में मुशर्रफ ने अपने दोस्त से कहा, 'मोनू भैया आज मैं खत्म होने वाला हूं। मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं है। मैं आग और धुएं के बीच घिर गया हूं। मेरे दोस्त मेरे परिवार और बच्चों को ध्यान रखना। अभी इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताना।' इसके बाद मुशर्रफ की आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई।
जानिए घटनाक्रम
बता दें कि दिल्ली की रानी झांसी रोड स्थित अनाज मंडी में रविवार सुबह तड़के आग लग गई थी। इस अग्निकांड में 43 लोगों की मौत हो गई। वहीं, कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मरने वालों में कई बिहार के हैं। जिस पांच मंजिला इमारत में आग लगी थी, उसमें स्कूल बैग बनाया जाता था। काम करने वाले मजदूर उसी इमारत में रहते थे। वहीं, इमारत से निकलने के लिए एक ही रास्ता था। ऐसे में सभी मजदूर आग लगने के बाद भाग नहीं पाए और आग में जलकर व दम घुटने से 43 लोगों की मौत हो गई।
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