दिल्ली चुनाव : केजरीवाल Vs सुनील यादव, कैसा है मुक़ाबला
पिछले पांच विधानसभा चुनाव से नई दिल्ली सीट जीतने वाला ही दिल्ली का मुख्यमंत्री बनता आया है. तीन बार कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित यहां से जीत कर आईं और पिछले दो बार से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल जीतते रहे हैं. इस बार कांग्रेस की तरफ़ से रोमेश सबरवाल अपना भाग्य आजमा रहे हैं. बीजेपी के लिए ये सीट कभी भी आसान नहीं रही.
पिछले पांच विधानसभा चुनाव से नई दिल्ली सीट जीतने वाला ही दिल्ली का मुख्यमंत्री बनता आया है. तीन बार कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित यहां से जीत कर आईं और पिछले दो बार से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल जीतते रहे हैं.
इस बार कांग्रेस की तरफ़ से रोमेश सबरवाल अपना भाग्य आजमा रहे हैं. बीजेपी के लिए ये सीट कभी भी आसान नहीं रही. इस बार सुनील यादव बीजेपी के उम्मीदवार हैं. अपनी 'गली बॉय' की छवि से जीतने का दम भर रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रचार का जिम्मा अपनी पत्नी और बेटी को सौंप दिया है.
सवाल यहां भी एक ही है - क्या शाहीन बाग़ का मुद्दा दिल्ली वालों पर हावी है या फिर केजरीवाल सरकार में मुफ्त मिलने वाले पानी, बिजली की वजह से अब ही वो आम आदमी की छवि बनाए रख पाने में कामयाब हैं.
आम आदमी पार्टी का प्रचार
दिन के डेढ़ बजे है. आम तौर पर ये वक़्त होता है दोपहर के खाने का या फिर खाना खाकर सुस्ताने का.
लेकिन ठंड से ठिठुरती दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से धूप इतनी गुनगुनी हो रही है कि लोग खाना खाकर कुछ देर धूप का मज़ा लेते हैं और उसी दौरान कैम्पेनिंग के लिए निकलती हैं, दिल्ली में मिसेज़ केजरीवाल और उनका पूरा साथ देती हैं बेटी हर्षिता केजरीवाल.
सलवार कमीज़ और स्पोर्ट्स शूज़ में बिना किसी सिक्योरिटी के, आम आदमी पार्टी के दो वालंटियर के साथ माँ-बेटी निकलती हैं डोर-टू-डोर कैम्पेन के लिए.
ये पूछने पर कि इस बार अरविंद केजरीवाल अपने क्षेत्र में क्यों नही दिख रहे हैं, सुनीता केजरीवाल कहती है, "उनको 70 विधानसभा सीटें देखनी हैं, तो मैंने सोचा थोड़ा काम हल्का कर दूं. वैसे जब समय मिलता है, तो शाम को वो (मुख्यमंत्री) यहीं दिखते हैं".
नई दिल्ली विधान सभा में ज़्यादातर इलाक़ा सरकारी कर्मचारियों का है या फिर सर्वेंट क्वाटर में रहने वालों का. कुछ गुर्जर बहुल गांव भी है और कुछ झुग्गी बस्तियां भी आती हैं. कुल मिला कर यहां हर तबके के वोटर आपको मिल जाएंगे. इसी विधानसभा क्षेत्र में पंडारा पार्क इलाक़े के सर्वेंट क्वॉर्टर में हमारी मुलाक़ात सुंदर लाल से हुई.
सुनीता केजरीवाल बस कुछ ही समय पहले वहां से डोर-टू-डोर कैम्पेन करते हुए वहाँ पहुँचीं. उनके जाते ही सुंदर लाल वहां मौजूद दूसरी महिलाओं के साथ बहस करने लगे.
बहस इस बात पर चल रही थी, क्या जनता को फ़्री की आदत लगाना ठीक है?
मोहल्ले की महिलाएं अरविंद केजरीवाल के समर्थन में थीं, जबकि कुछ पुरुष विरोध में. मामला जब शांत हुआ, तो सुंदर लाल ने बहुत इत्मीनान से कहा, देखो बहनजी, " मुफ़्त की चीज़ किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन आदत लग जाएगी, तो फिर हर कुछ मुफ़्त में ही मांगेगी जनता. अब कांग्रेस ने भी मुफ़्त वाली घोषणा कर दी ना, इनकी देखा देखी."
"केजरीवाल जी सब अच्छा कर रहे हैं लेकिन उनको भी सरकार चलाने के लिए पैसे तो चाहिए होंगे, एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से ले लेंगे. आदत तो वही अच्छी, जो निभ सके" आगे उन्होंने अपनी बात पूरी की.
लेकिन सुंदर लाल की पत्नी ही उनकी इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखतीं. तुरंत अपने पति घर को अंदर बुलाते हुए उन्होंने कहा, कमाई अठन्नी और खर्चा रुपया कैसे कर दें. हम तो खुश हैं जी.
इस बहस में न पड़ते हुए, सुनीता केजरीवाल और बेटी हर्षिता अगले घर के आगे बढ़ लिए.
जब मैंने उनसे पूछा कि क्या उनको अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जो मुँह पर ही विरोध जता देते हैं? उन्होंने कहा, "हां, एक दिन में 4 -5 लोग ऐसे मिल जाते हैं और ये सब दूसरी पार्टियों के कैडर वोटर होते हैं. उनका आप कुछ कर नहीं सकते."
केजरीवाल की बेटी हर्षिता नौकरी करती हैं और फिलहाल पांच महीने की छुट्टी पर अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में मोर्चा संभाल रखा है. उनके साथ भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी थे, जो हर घर में दरवाज़े पर जाकर पहले सीएम साहब की बेटी का परिचय देते और फिर हर्षिता की आवाज़ आती, 'अंकल-आंटी आपका आशीर्वाद चाहिए."
हाथों में आम आदमी पार्टी का गारंटी कार्ड थमाते हुए कहती, " ध्यान से देख लीजिए, झाड़ू का ही बटन दबाना. हो सकता है एक जैसे दिखने वाले बहुत से बटन हों जैसे टॉर्च. उसको मत दबा देना."
दरअसल, 2015 के चुनाव में आप के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद भी विधानसभा चुनाव में झाड़ू की तरह दिखने वाले टॉर्च के निशान पर हजारों की संख्या में वोट पड़े थे. ये चेतावनी उसे देखते हुए दी गई थी.
माँ-बेटी की इस जोड़ी से कोई विधवा पेंशन न मिलने की गुहार लगता है, तो कोई सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइट लगवाने की. एक शख़्स ने तो दोनों से आम आदमी पार्टी का प्रदूषण प्लान ही मांग लिया. लेकिन बड़े ही सलीके से हर्षिता ने समझते हुए कहा, " हमारे गारंटी कार्ड में उसका भी ज़िक्र है. पांच साल में जो काम अधूरा रह गया है, वो इस बार पूरा करेंगे. कई घरों में तो दरवाज़ा खुलते ही लोगों ने हाथ जोड़कर कहा, आप निश्चिंत होकर जाएं."
यहां कुछ घरों पर बीजेपी प्रत्याशी के पोस्टर तो दिखे, लेकिन कांग्रेसी प्रत्याशी का कोई नाम लेने वाला नहीं मिला.
बीजेपी का प्रचार
आप पार्टी के पूरे कैम्पेन के दौरान किसी ने ना तो शाहीन बाग़ का ज़िक्र किया, न ही 370 का. हाँ, बातों बातों में एक ने ये ज़रूर कहा कि ऐसे मैसेज फ़ोन पर बहुत आते हैं.
सारी कसर तब पूरी हो गई जब हम नई दिल्ली के बीजेपी उम्मीदवार सुनील यादव के चुनावी यात्रा में पहुंचे.
अब दोपहर के 3.30 बज चुके थे. लुटियन्स दिल्ली का नार्थ एवेन्यू इलाक़ा. जब हम वहाँ पहुंचे, तो किसी से पूछने की ज़रूरत नही पड़ी कि सुनील यादव कहाँ कैम्पेन कर रहें हैं. सरकारी मकान के बाहर ही बड़ी-बड़ी गाड़ियां, ओपन जीप और कुछ सिपाही मिल गए.
हैरानी हो कर मेरे ही ड्राइवर ने मुझे से पूछ लिया, "मुख्यमंत्री की बीवी बिना सुरक्षा गार्ड के और बीजेपी के विधायक पद का उम्मीदवार सुरक्षा गार्ड के साथ. ये क्या हाल है."
जैसे-तैसे अंदर हो रही सभा तक हम पहुंच पाए. करीब 30 लोगों की सभा को सुनील यादव संबोधित कर रहे थे. अपने चुनावी वादों की किश्तें गिनानी शुरू कीं. "तीन में से दो जगह हमारी सरकार है, केंद्र में और एमसीडी में भी. नहीं है तो सिर्फ़ दिल्ली में. यहां का ज्यादातर एरिया एनडीएमसी के इलाक़े में आता है, जो गृह मंत्रालय के अंदर आता है. आप बस मुझे चुनो, फिर काम न हो तो बताओ."
वे सीट के इतिहास का भी ज़िक्र भी करते हैं, "पिछले पांच बार से यहां का विधायक मुख्यमंत्री बनता जा रहा है, पूरी दिल्ली की सुनता है, पर अपने लोगों की नहीं. इस बार आप विधायक चुनो, मुख्यमंत्री नहीं. मैं आपके बीच में ही रहूंगा."
ये पहला मौका है जब सुनील यादव विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. सुनील यादव भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे और अरुण जेटली के नज़दीकी बताए जाते हैं. वो डीडीसीए में भी रह चुके हैं. फिलहाल कुछ दिनों से 'आप का पाप' नाम से कैम्पेन चला रहे थे. पेशे से सुनील यादव वकील हैं. बीजेपी समर्थकों की माने तो उनको इस बार टिकट गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर मिला है.
नार्थ एवेन्यू से निकल कर सुनील यादव का क़ाफ़िला पहुंचा पिलंजी गांव. सरोजनी नगर के पास के पिलंजी गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत नई दिल्ली की बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने गोद लिया है.
बीजेपी उम्मीदवार सुनील यादव की गाड़ियों का क़ाफ़िला हमसे पहले वहां पहुंच चुका था. गांव में घुसते ही मोदी-मोदी के नारों की गूंज सुनाई देती है. कुछ भाजपाई "देश के गद्दारों को" वाला नारा लगाने से भी नहीं चूके और उसके बाद नारा लगा 'भारत माता की जय' का. मानो एक रिवाज हो, सारे नारे खत्म हो जाएं तो उम्मीदवार अपना भाषण शुरू करेंगे.
पिलंजी गांव में सुनील यादव के साथ हरियाणा के बीजेपी नेता कृष्णपाल गुर्जर और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी मौजूद थे. तय कार्यक्रम के मुताबिक वहाँ तीनों को पदयात्रा कर के लोगों से सम्पर्क साधना था. लेकिन आधे घंटे तक एक ही कमरे में बंद रहे. बाहर नारेबाज़ी चल रही थी. मौक़ा निकाल कर जैसे ही अंदर पहुंचे तो पता चला बाहर भाजपा के दो गुटों में ही मतभेद है.
पिलंजी गांव, गुर्जरों का गांव है. बीजेपी के नई दिल्ली सीट से भाजपा के उम्मीदवार सुनील यादव के भाई पर एक गुर्जर को जान से मारने का मुकदमा चल रहा है. गांव के प्रधान ने बीबीसी को बताया कि हम सब भाजपा समर्थक है, मीनाक्षी लेखी को हम लोगों ने सिर आंखों पर बिठाया था. कोई और उम्मीदवार होता तो हम समर्थन करते, लेकिन सुनील यादव का समर्थन नहीं कर सकते.
बाद में हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को तीनों नेताओं को आनन-फानन में वहां से निकालना पड़ा. सुनील यादव बिना प्रचार किए ही पिलंजी गांव से चले गए.
आम आदमी पार्टी के बिजली पानी और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी 10 गारंटी दिए हैं. उनकी गारंटी में शामिल है 24 घंटे बिजली, हर घर नल का जल, प्रदूषण मुत दिल्ली, सुरक्षित दिल्ली. इन सबके सामने बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में 2 रुपये प्रति किलो आटा, कॉलेज जाने वाली छात्रों को मुफ्त इलेक्ट्रिक स्कूटी, 9वीं जाने वाले छात्रों को साइकिल देने की बात कही गई है.