Coronavirus: दिल्ली में 60 फीसदी वेंटिलेटर बेड पर मरीज, लेकिन रिकवरी रेट बढ़ने से मुश्किल हुई आसान
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 बेड्स पर मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है और वेंटिलेटर की मांग भी बढ़ी है। यहां कोरोना वायरस के नए मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसके पीछे कई कारण हैं। जैसे मौसम में बदलाव आना, बढ़ता प्रदूषण और लोगों का बचाव नियमों का पालन ना करना। जानकारी के मुताबिक इस समय करीब 40 फीसदी कोविड-19 बेड और 60 फीसदी वेंटिलेटर इस्तेमाल में हैं।
13 अक्टूबर को 587 वेंटिलेटर और बिना वेंटिलेटर वाले 616 आईसीयू बेड इस्तेमाल हो रहे थे। जिनकी संख्या में 29 अक्टूबर को क्रमश: 780 और 1190 की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि रोजाना 4000 लोग रिकवर हो रहे हैं और नए मरीजों में से ज्यादातर को होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है, जिसके चलते बेड की संख्या को लेकर परेशानी नहीं आ रही है। सरकारी अस्पताल के मुकाबले निजी अस्पताल में ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर कोविड-19 बेड के आंकड़े देखें तो सभी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए 15,760 बेड की अलग से व्यवस्था है। इनमें से 6,242 भरे हुए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, लोकनायक अस्पताल में 2010 बेड में से 1435 शुक्रवार की शाम तक खाली रहे। निजी अस्पतालों में अपोलो अस्पताल में 300 में से 148 बेड खाली हैं और साकेत के मैक्स अस्पताल में 250 में से केवल 24 बेड ही खाली हैं। दिल्ली में उपलब्ध वेंटिलेटर में से 60 फीसदी इस्तेमाल में हैं। शहर के अस्पतालों में 1244 वेंटिलेटर में से 787 इस्तेमाल हो रहे हैं। राजीव गांधी अस्पताल में 200 में से 198 वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है, वहीं लोकनायक अस्पताल में 200 में से केवल 14 वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इन आंकड़ो से साफ पता चल रहा है कि नए मामलों की संख्या बेशक बढ़ रही है लेकिन बेड की संख्या को लेकर कोई समस्या नहीं है।
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