क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कुतबु मीनार में पूजा की मांग, कोर्ट ने कहा- 800 साल से वहां देवता बिना पूजा रह रहे हैं, अब ऐसे ही रहने दीजिए

वाराणसी में ज्ञानवापी मामले के बीच अब दिल्ली की कुतुब मीनार को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 24 मई: वाराणसी में ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मामले के बीच अब दिल्ली की कुतुब मीनार को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। देश की राजधानी के महरौली इलाके में स्थित कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों की पुनर्स्थापना को लेकर दिल्ली की साकेत कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसपर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने दलील दी कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर उसकी जगह पर बनाई गई है। वहीं, इस दौरान भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने याचिका का विरोध किया।

'परिसर में पूजा-पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए'

'परिसर में पूजा-पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए'

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील हरिशंकर जैन ने कहा, 'अगर किसी देवता की मूर्ति को तोड़ा जाता है, तो फिर भी देवता अपनी दिव्यता या पवित्रता नहीं खोते हैं। कुतुब मीनार परिसर में देवताओं की मूर्तियां हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर देवता जीवित रहते हैं, तो पूजा का अधिकार बच जाता है। इसलिए कुतुब मीनार परिसर में पूजा-पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए।' इस मांग पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, 'अगर कुतुब मीनार में देवता बिना किसी पूजा-पाठ के 800 साल से रह रहे हैं तो अब उन्हें आगे भी ऐसे ही रहने दीजिए।'

'कौन सा कानून स्मारक को पूजा स्थल में बदलने का अधिकार देता है'

'कौन सा कानून स्मारक को पूजा स्थल में बदलने का अधिकार देता है'

वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर साकेत कोर्ट ने पूछा कि आपको क्या लगता है, वो एक स्मारक है या फिर पूजा स्थल? कौन सा कानूनी अधिकार आपको किसी स्मारक को पूजा स्थल में बदलने का अधिकार देता है?

एएसआई ने किया याचिका का विरोध

एएसआई ने किया याचिका का विरोध

हालांकि सुनवाई के दौरान भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कुतुब मीनार 1914 से एक संरक्षित स्मारक है और इसलिए उसकी संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता। एएसआई ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा कि जिस समय कुतुब मीनार को संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया गया, उस वक्त वहां पर पूजा पाठ की कोई प्रथा नहीं थी। इसलिए, किसी को भी कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने का अधिकार नहीं है और ना ही हम पूजा-पाठ की अनुमति दे सकते हैं।

ये भी पढ़ें- 'शिवलिंग' पर अखिलेश और गहलोत के बयान से नाराज कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम, कहा- शिव आस्था का विषयये भी पढ़ें- 'शिवलिंग' पर अखिलेश और गहलोत के बयान से नाराज कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम, कहा- शिव आस्था का विषय

9 जून को फैसला सुनाएगा साकेत कोर्ट

9 जून को फैसला सुनाएगा साकेत कोर्ट

सुनवाई के बाद साकेत कोर्ट ने कहा कि कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों की पुनर्स्थापना को लेकर दाखिल की गई याचिका पर अदालत 9 जून को अपना फैसला सुनाएगी। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

Comments
English summary
Delhi Court Hearing On Restoration Of 27 Hindu And Jain Temples In Qutub Minar Complex
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X