दिल्ली की अदालत ने निजामुद्दीन मरकज मामले में 122 मलेशियन नागरिकों को दी जमानत
नई दिल्ली। निजामुद्दीन मरकज मामले में मंगलवार को 122 मलेशियाई नागरिकों को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जमानत दे दी। इन सभी लोगों को 10 हजार के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई। हालांकि जब तक केस खत्म नहीं होता, वे अपने देश मलेशिया वापस नहीं जा सकते। अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आरोपी विदेशी नागरिकों की पेशी हुई थी। आरोपी विदेशी नागरिकों पर विजा नियम उल्लंघन और कोरोना महामारी नियमों के उल्लंघन का आरोप है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी आरोपी पेश हुए थे और आरोपी जहां रुके हुए थे, वहां क्राइम ब्रांच के अधिकारी आरोपियों के शिनाख्त के लिए मौजूद थे।
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में भी कहा कि विदेशी नागरिकों को वीजा प्राप्त करने या रद्द वीजा को जारी रखने का कोई मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है। केंद्र ने 2,765 विदेशी नागरिकों के वीजा निरस्त करने और उन्हें तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल होने के चलते प्रतिबंधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। केंद्र ने कहा कि दुनियाभर में वीजा जारी करना पूरी तरह सरकारों का संप्रभु कार्य है और वीजा नहीं दिये जाने, खारिज किये जाने या निरस्त किये जाने से संबंधित मामलों को चुनौती नहीं दी जा सकती। भारत में यात्रा करने से दस साल के लिए प्रतिबंधित किये गये 34 अन्य देशों के नागरिकों की याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल किया गया।
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मालूम हो कि मार्च के आखिर में तमाम प्रतिबंधों के बाद भी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात ने सालाना जलसे का आयोजन किया था, जिसमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल हुए थे। इस जमात के चलते देशभर के जिन-जिन इलाकों में जमात से जुड़े लोग पहुंचे वहां कोरोनावायरस के मामलों में बढ़त देखी गई। मरकज की बिल्डिंग में ही कई लोग कोरोना पॉजिटिव मिले थे।