केजरीवाल सरकार से बेड के लिए गुहार लगाते हो गई कोरोना मरीज़ की मौत
नई दिल्ली- दिल्ली की एक निवासी ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित उसके पिता ने एलएनजेपी अस्पताल में मदद का इंतजार करते-करते दम तोड़ दिया। दरअसल, उस महिला का कहना है कि उसके पिता की हालत नाजुक होती जा रही थी, लेकिन उसे लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के अंदर घुसने तक नहीं दिया गया। बाद में जब घंटों बाद वह किसी तरह से अपने पिता को अस्पताल के इमरजेंसी तक ले गई तो वहां के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह पहली बार नहीं है, वह महिला का दिल्ली सरकार की उदासीनता का सामना तीन दिनों से कर रही थी और मुख्यमंत्री तक से सहायता मांगी थी, लेकिन आज जब उसके पिता की मौत हो गई है तो उसने कहा है कि सरकार ने उसे विफल कर दिया है।
कोरोना पीड़ित की इलाज के अभाव में मौत
दिल्ली की एक निवासी ने आरोप लगाया है कि उसके कोरोना पीड़ित पिता ने समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से दम तोड़ दिया है। अमरप्रीत नाम की उस महिला के आरोप है कि उसने दिल्ली सरकार से मदद मांगी लेकिन, उसे कोई सहायता नहीं मिली। बाद में उसने ट्विटर पर लिखा की आखिर उनके पिता की मौत हो गई। उन्होंने ये भी लिखा है कि सरकार ने उन्हें विफल कर दिया है। उस महिला ने गुरुवार को ट्विटर पर पहले लिखा कि वह अपने कोविड पॉजिटिव पिता को लेकर एलएनजेपी अस्पताल के बाहर इंतजार कर रही हैं, लेकिन घंटों से कोई मदद नहीं मिल रही है। आखिरकार इंतजार करते-करते उनके पिता ने दम तोड़ दिया। असल में वह महिला 2 जून से ही लगातार दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगा रही थी। लेकिन, वह अपने बीमार पिता को नहीं बचा सकी।
सरकार ने हमें विफल कर दिया-अमरप्रीत
गुरुवार सुबह 8.05 बजे अमरप्रीत ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, 'मेरे पिता को तेज बुखार है। हमें उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना है। मैं दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल के बाहर खड़ी हूं और वो उन्हें अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। उन्हें कोरोना है, तेज बुखार और सांस की समस्या है। बिना मदद के वह नहीं बच पाएंगे। प्लीज मदद कीजिए।' एक घंटे के बाद उन्होंने दूसरा ट्वीट डाला, जो सभ्य समाज में सरकारी उदासीनता के बारे में सोचकर किसी को भी झकझोर सकता है। एक घंटे बाद 9.08 मिनट पर उन्होंने लिखा, 'वो नहीं रहे। सरकार ने हमें विफल कर दिया।' हालांकि, दिल्ली के कोरोना ऐप के मुताबिक एलएनजेपी दिल्ली में कोविड अस्पताल है, जहां 1,000 से ज्यादा बेड उपलब्ध हैं।
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हेल्पलाइन पर भी नहीं मिली मदद
ऐसा नहीं है कि गुरुवार को अमरप्रीत अचानक अपने कोरोना पीड़ित पिता को लेकर अस्पताल पहुंच गई थी। सच्चाई ये है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जैसे लोगों से मदद के लिए 2 जून से ही गुहार लगा रही थीं। 2 जून को सुबह 9.54 मिनट पर उन्होंने कोविड हेल्पलाइन नंबर पर जवाब नहीं मिलने पर घबराकर ट्विटर पर लिखा, 'मेरे पिता कोरोना पॉजिटिव हैं और दिल्ली में कोई भी हेल्पलाइन पर जवाब नहीं मिल रहा है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, दिलीप पांडे तुरंत सपोर्ट की जरूरत है।'
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निशाने पर केजरीवाल सरकार
जैसे ही उन्होंने अपने पिता की मौत की जानकारी दी, ट्विटर पर दिल्ली सरकार के खिलाफ जबर्दस्त नाराजगी जाहिर होनी शुरू हो गई। इस मौके पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल सरकार पर समय पर ऐक्शन नहीं लेने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "2 जून सुबह से 4 जून सुबह तक कोरोना पॉजिटिव पिता के इलाज के लिए गुहार लगाती रही ये बेटी..आखिर पिता ने दम तोड़ दिया....ना हेल्पलाइन चली, ना अस्पताल मिला, ना इलाज, इन तीन दिनों में केजरीवाल ने विज्ञापनों पर 12 करोड़ रुपये खर्च किए।"
बुजुर्ग की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
हालांकि, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ने इस घटना पर जवाब दिया है कि मरीज को कैजुअलिटी सेक्शन में बेहोशी की हालत में लाया गया था और बाद में उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहां के डॉक्टरों ने ये भी सफाई दी है कि मरीज को उन्होंने इनकार नहीं किया, बल्कि कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आने पर गंगा राम अस्पताल ने उन्हें होम क्वारंटीन की सलाह दी थी। एलएनजेपी के मुताबिक 68 साल के मरीज की गंगा राम अस्पताल में कोरोना रिपोर्ट 1 जून को पॉजिटिव आई थी। सवाल है कि बुजुर्ग मरीज को घंटों अस्पताल के बाहर इंतजार करना पड़ा, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। जिस बुजुर्ग की दिल्ली में इलाज के अभाव में मौत हुई है वह दक्षिणी दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश के रहने वाले थे।
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