शीला दीक्षित ने CM अरविंद केजरीवाल से की मुलाकात, दिल्लीवालों को मुफ्त बिजली देने की मांग की
नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बिजली, पानी, प्रदूषण और बसों की समस्या को लेकर केजरीवाल से यह मुलाकात की है। इस मौके पर दीक्षित के साथ कांग्रेस की तरफ से तीनों कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ, राजेश लिलोठिया और देवेन्द्र यादव मौजूद थे। इससे पहले शीला ने सोमवार को केजरीवाल से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन केजरीवाल ने मुलाकात के लिए बुधवार का समय दिया था।
दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ ने बैठक के बाद कहा कि दीक्षित ने मुख्यमंत्री के साथ बैठक के दौरान लोगों को बिजली और पानी को हो रही दिक्कतों को उठाया और बिजली के बिलों में फिक्स चार्ज को वापस लेने की मांग की। दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि आम आदमी पार्टी सरकार अगले 6 महीने तक दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं से बिजली बिल ना वसूले।
शीला दीक्षित का कहना है कि राज्य सरकार ने गैरकानूनी रूप से दिल्ली के लोगों से पेंशन फंड के नाम पर 7401 करोड़ वसूले हैं और बिजली वितरण कंपनियों को फायदा पहुंचाया है। कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली सरकार ने बिजली पर जो फिक्स चार्ज लगा रखे हैं उससे इतना पैसा जमा हो चुका है कि दिल्लीवालों को 6 महीने तक बिजली मुफ्त दी जा सकती है। ऐसे में दिल्ली सरकार को सभी को 6 महीने तक मुफ्त बिजली देनी चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर दिल्ली सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो कांग्रेस आंदोलन करेगी। जबकि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली में कांग्रेस सरकार के मुकाबले पहले ही सस्ती बिजली दी जा रही है। दिल्ली की ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि आज अगर कांग्रेस के शासनकाल में जिस तरह से बिजली के दाम बढ़ रहे थे वैसे ही बढ़ते रहते तो बिजली 5 गुना तक महंगी होती थी। कांग्रेस शासित राज्यों में बिजली के रेट दिल्ली से कम से कम तीन गुना ज़्यादा हैं।
इस मुलाकात पर सौरभ भारद्वाज (प्रवक्ता, AAP) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्ष 2013 में जब बिजली के मुद्दे पर केजरीवाल दिल्ली की जनता की समस्या लेकर तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित से मिलने आए तो वो नहीं मिली थीं, लेकिन बुधवार को सीएम केजरीवाल जी ने शीला जी की बात सुनी। उन्होंने अपनी बात रखी, लेकिन उसका कोई आधार नहीं था।
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