NGT के सामने दिल्ली के मुख्य सचिव ने माना- प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदम अधूरे
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव को तलब किया था। ट्रिब्यूनल ने डीपीसीसी के चेयरमैन और सीबीसीपी के मेंबर सेक्रेटरी समेत पर्यावरण मंत्रालय के सेक्रेटरी को भी तलब किया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली के मुख्य सचिव ने माना कि जो भी कदम उठाए गए हैं, वे अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि अभी और कदम उठाने की आवश्यकता है।
एनजीटी ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि कूड़ा जलाने के मामलों को रोकने के लिए वह क्या कर रही है। इस पर दिल्ली के मुख्य सचिव ने एनजीटी को बताया कि कूड़ा जलाने के मामलों में कमी आई है। जो कोई भी कूड़ा जलता हुआ देखता है, वह हमें सूचित कर सकता है और हम लापरवाही को लेकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
वहीं, एनजीटी ने केंद्र से भी प्रदूषण रोकने के उपायों के बारे में पूछा तो सरकार की तरफ से बताया गया कि राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक हुई है। हमने इस समस्या से निपटने के लिए 1150 करोड़ रु संबंधित राज्यों को दिए हैं। 14 हजार मशीनें पिछले साल ही उपलब्ध कराई गई थीं और 50000 मशीनें इस साल उपलब्ध कराई गई हैं।
दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने पर हमें बताया जाता है कि निर्माण कार्य की हर गतिविधि रोक दी गई है। लेकिन इससे कौन पीड़ित होता है? कंस्ट्रक्शन मजदूर, वे बेरोजगार हो जाते हैं। इसके पहले, प्रदूषण के मामले पर एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि लोगों को स्वच्छ हवा देना उनका दायित्व है और लोगों का अधिकार है। एनजीटी ने कहा कि था कि लोगों को उनके इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।