Delhi Assembly Elections 2020: दिल्ली चुनाव में ये वोटर निर्णायक बन कर पलट सकते हैं पूरा गेम
How can the voters of Purvanchal, Bihar and illegal colonies living in Delhi change the electoral results in the Delhi Assembly elections 2020? दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में दिल्ली में रह रहे पूर्वांचल,बिहार और अवैध कालोनियों रहने वाले वोटर जाने कैसे बदल सकते हैं पूरा चुनावी परिणाम,
बेंगलुरु। दिल्ली चुनाव 2020 का प्रचार अभियान अपने निर्णायक चरण में पहुंच गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सत्ता में वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं भाजपा चुनाव में अपनी जीत हासिल कर वर्षों बाद दिल्ली की सल्तनत पर काबिज होने के लिए पूरा दम-खम लगा रही हैं। वहीं तीसरी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस भी चुनाव की तारीख नजदीक आने पर प्रचार तेज कर चुकी हैं। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भले ही आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच हो और कांग्रेस रस्मअदायगी निभा रही हो लेकिन सरकार बनाने में ये वोटर ही निर्णायक की भूमिका निभाएंगे। ये वो वोटर हैं जिनके वोट गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। ये ही निर्धारित करेंगे कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा ? जानिए ये कौन हैं ये वोटर
दर्जनों सीट पर है इस समुदाय का दबदबा
दिल्ली में यूपी और बिहार के नेताओं का जमावड़ा इस बात का सबूत है कि हार-जीत का फैसला भी पूर्वांचल और बिहार के लोग करेंगे। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ अमित शाह और नरेंद्र मोदी से ही नहीं जूझ रहे हैं, योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार जैसा नेता भी बराबर चुनौती दे रहे हैं। बता दें दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले वोटर राजधानी में पैदा हुए लोगों के मुकाबले आधे ही हैं, लेकिन करीब एक तिहायी सीटों पर उनका दबदबा है। इतना ही नहीं करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर तो फैसला उनके हाथों में ही हैं।
बदल चुके हैं ये समीकरण
गौरतलब है कि दिल्ली की राजनीति में पहले पंजाबी और वैश्य समुदाय का बोलबाला था। लेकिन वक्त के साथ समीकरण बदले। 90 के दशक में दिल्ली में पंजाब और हरियाणा के लोगों का दबदबा था अधिकांश नेता इन्हीं राज्यों के थे लेकिन धीरे धीरे पूर्वांचल के लोगों ने पंजाबियों को इस मामले में पछाड़ दिया है। वर्तमान समय में वो चाहे आम आदमी पार्टी हो या भाजपा की यहां उसकी प्रदेश इकाई कमान फिलहाल पूर्वांचल से आये नेताओं के ही हाथ में है।
29 फीसदी वोटर बन सकते है निर्णायक
दिल्ली के आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में जन्म लेने वाले वोटरों का प्रतिशत 57 फीसदी अवश्य है लेकिन यूपी और बिहार से आने वाले वोटर 29 फीसदी दखल रखते हैं और इसीलिए निर्णायक भूमिका में रहते हैं। दिल्ली में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे इलाके हैं जहां पूर्वांचल के वोटर ही हार जीत का फैसला करते हैं। जिसमें दिल्ली का बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, देवली, अंबेडकर नगर, छतरपुर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, पटपड़गंज, लक्ष्मीनगर, विश्वासनगर, कृष्णानगर, शाहदरा, सीमापुरी, रोहतास नगर, सीलेमपुर , घोंडा, मुस्तफाबाद, करावल नगर, मटियाला, विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, नजफगढ़, बुराड़ी, बादली, किराड़ी, नांगलोई और मादीपुर क्षेत्र शामिल है।
पीएम मोदी ने रखा इनकी दुखती रग पर हाथ
गौरतलब है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शहादरा में चुनावी रैली में एक घंटे तक भाषण दिया। रैली में अन्य मुद्दों के अलावा पीएम मोदी ने जो वहां रह रहे यूपी बिहार के लोगों का पुराना जख्म की याद दिला दी जो केजरीवाल ने उन्हें कुछ माह पूर्व दिया था। र् शहादरा सहित पूर्वी दिल्ली में रह रहे यूपी-बिहार और अन्य राज्यों से आए लोगों को मोदी ने याद दिला दिया कि केजरीवाल ने किस तरह तंज किया था कि वे यहां आकर 500-500 रुपये में इलाज करवाकर चले जाते हैं। आपको बता दें किसी भी समुदाय को अपना अपमान गवारा नहीं होता। नीतीश कुमार पहले ही चुनावी रैली में आकर कह चुके है कि बिहार से आने वाली बसों को दिल्ली में आने से रोका जा रहा है। अब ऐसे में क्या ये वोटर आम आदमी पार्टी को वोट देंगे?
अवैध कॉलोनियों के वोटर
याद करा दें कुछ दिनों पहले दिल्ली में अवैध कालोनियों में रह रहे 40 लोगों को मोदी सरकार उनके घरों को वैध घोषित कर चुकी हैं। जिसका जिक्र पीएम मोदी ने आज अपनी रैली में दिलवाया। पीए मोदी ने कहा कि दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली के 40 लाख लोगों को अवैध कॉलोनियों की समस्या से मुक्त किया। जिनके लिए अपने मकान की रजिस्ट्री कराना सपना था, हमने वो सपना पूरा किया। अब सरकारी बुल्डोलजर से डर की जरूरत नहीं। वे भाजपा की सरकार बनने पर इन कॉलोनियों के लिए विकास बोर्ड बनाने की बात भी कहते हैं। जहां झुग्गी होगी, वहां पक्का घर बनेगा। जिसमें टायलेट होगा, बिजली होगी, गैस होगी, नल होगा, नल में जल होगा, और जल भी शुद्ध होगा। 2022 तक हर गरीब बेघर को अपना घर देने का जो सपना है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह उसी का हिस्साघ है. प्रधानमंत्री मोदी इसी के साथ केजरीवाल सरकार पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि दिल्ली सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू नहीं होने देना चाहती है। हमने देश में दो करोड़ घर बनाए, लेकिन यहां की सरकार ने एक भी घर नहीं बनने दिया। जब तक ये लोग बैठे रहेंगे, वे दिल्ली के लोगों की भलाई के काम में रुकावट डालते रहेंगे।
छोटे कारोबारी वोटर
दिल्ली के वोटरों में एक बड़ा तबका छोटे व्यापारियों का है। पीएम मोदी ने उन्हें भी मंगलवार को हुई चुनावी रैली में संबोधित करते हुए कहा कि हमने 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट कराने की बाध्यता से मुक्ति दे दी है। इसके अलावा टैक्स अथॉरिटी के दबाव से मुक्ति के लिए इनडायरेक्टा टैक्स सेटलमेंट शुरू किया, जिसने अनेक व्यापारियों को कानूनी केस से बचा लिया. ऐसी ही मांग डायरेक्ट टैक्स के लिए की गई। इस बजट में हमने डायरेक्ट टैक्स सेटलमेंट की शुरुआत की। हमने आधूनिक तकनीक की मदद से टैक्स अफसर और व्यापारियों के बीच रिश्तों को ही खत्म करने जा रहे हैं।
इस सर्वे के भी गलत साबित कर सकते है ये वोटर
गौरतलब है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी को वोटिंग होनी है। इस विधानसभा चुनाव के लिए होने वाली वोटिंग से पहले सभी प्रमुख पार्टियों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं की विवादित बयानबाजी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। राजनीतिक दलों के दावे के बीच वोटिंग से चार दिन पहले टाइम्स नाऊ-IPSOS का पोल सामने आया है।
इसके मुताबिक, दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बन सकती है। पोल में अनुमान जताया गया है कि आम आदमी पार्टी 70 में से 54-60 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। जबकि भाजपा 10 से 14 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रह सकती है। कांग्रेस की बात करें तो इस पोल के मुताबिक, पार्टी को अधिकतम दो सीटें (0-2) मिल सकती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल 3 सीटों पर जीत मिल सकी थी जबकि कांग्रेस पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। खैर ये सर्वे कितना सही निकलेगा ये तो आने वाली 11 फरवरी को पता चलेगा लेकिन यूपी, बिहार, अवैध कालोनियों के वोटर और छोटे कारोबारियों के वोटर ये सर्वे के परिणामों का दम रखते हैं।
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