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Delhi Assembly Elections: जानें चुनाव प्रचार में भी केजरीवाल, पीएम मोदी पर क्यों हमलावर नहीं हो रहे ?

Delhi Assembly Elections: Kejriwal Even in Election Campaign, Why Not Attack PM Modi? दिल्ली विधानसभा चुनाव: जानें चुनाव प्रचार में भी केजरीवाल, पीएम मोदी पर क्यों हमलावर नहीं?

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बेंगलुरु। दिल्ली में चुनाव हैं तो आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान मचा हुआ हैं। आप के पास मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसा चेहरा है और सरकार की मुफ्त बिजली-पानी व महिला बस यात्रा जैसी लोकलुभावन योजनाओं के सहारे वह सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है। भाजपा इस सच्चाई से वाकिफ है और वह किसी भी सूरत में इस चुनाव में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।

modikejriwal

चुनावों को लेकर भाजपा खासी गंभीर है भाजपा को भी अपने उम्मीदवारों पर भरोसा है कि वो इस बार दिल्ली में कमल खिलाएंगे। तो कांग्रेस की कमान मदन चोपड़ा के हाथों में है। कुल मिलाकर तीनों ही राष्‍ट्रीय पार्टियां एक दूसरे के साथ आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर, ये दावे पेश कर रहे हैं कि सरकार उनकी ही सरकार बनेगी। लेकिन आपने क्या इस पर गौर किया हैं कि आम आदमी पार्टी के मुखिया दिल्ली विधान सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमला नहीं बोल रहे है। आइए जानते हैं मोदी पर लगातार प्रहार करने वाले केजरीवाल आखिर क्‍यों शां‍त हो गए। जानते हैं इसके पीछे की वजह ?

ये वही केजरीवाल है जो हमेशा रहते थे पीएम मोदी पर हमलावर

ये वही केजरीवाल है जो हमेशा रहते थे पीएम मोदी पर हमलावर

बता दें केजीवाल में ये बदलाव नया नहीं है आपको याद हो तो 2019 के चुनाव के बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में एंटी-मोदी रवैय्या बहुत बदलाव देखने को मिला था। आम चुनाव के बाद से लेकर अभी भी वो ही रवैय्या अपनाए हुए हैं। मालूम हो कि केजरीवाल ने पीएम मोदी के खिलाफ 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ा था। जहां 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान वह पीएम मोदी पर तीखे हमले करते रहे थे। उन्‍होंने पिछले दिल्ली के विधानसभा चुनाव 2015 में वह लगातार केंद्रीय सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की मुहिम छेड़ रखी थी।

केजरीवाल तब तक हमलावर रहे जब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो पर भी अपना दावा नहीं ठोका दिया और जब सीबीआई ने दिसंबर 2015 में दिल्ली सरकार के कुछ दफ्तरों पर छापा मारा। तब अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को मनोरोगी के साथ कायर कह दिया था। केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक के बाद एक जमकर ट्वीट किए । उसी समय उन्‍होंने एक ट्ववीट में लिखा था कि जब पीएम मोदी मुझसे राजनीति में नहीं जीत पाए तो उन्होंने ये कायरता दिखाई है। उन्होंने कहा कि वह मोदी की सीबीआई से नहीं डरते हैं।

सर्जिकल स्‍ट्राइक पर केजरीवाल ने मांगा था मोदी सरकार सबूत

सर्जिकल स्‍ट्राइक पर केजरीवाल ने मांगा था मोदी सरकार सबूत

बता दें दुश्‍मन देश पाकिस्‍तान द्वारा जब पुलवामा आतंकी हमला किया गया तो भारत ने जवाबी कार्रवाई के तहत बालाकोट स्ट्राइक की। इसको लेकर केजरीवाल ने इंडियन एयर फोर्स की तारीफ की लेकिन पीएम मोदी और अमितशाह के खिलाफ अपना एक बार भी गुस्‍सा जमकर निकाला था। इसके बाद 2016 में जब भारतीय सेना ने उरी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की। तो अरविंद केजरीवाल उन नेताओं में से थे, जिन्होंने मोदी सरकार से उसका सबूत मांगा था।

केजरीवाल ने कभी कहा था मोदी का राष्ट्रवाद झूठा है

केजरीवाल ने कभी कहा था मोदी का राष्ट्रवाद झूठा है

केजरीवाल ने पीएम मोदी पर हमले करना 2019 के लोकसभा चुनाव तक जारी रखा। फरवरी 2019 में केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी अन्य पार्टियों के मुख्यमंत्रियों को ऐसे डरा रहे हैं, जैसे वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हों। उन्होंने केंद्र सरकार के दिल्ली एसीबी पर कंट्रोल का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि दिल्ली को पाकिस्तान की सेना ने कब्जे में लिया हुआ है। मई 2019 को एक चुनावी रैली के दौरान केजरीवाल ने कहा कि मोदी का राष्ट्रवाद झूठा है। वह देश के लिए खतरनाक हैं। नका पाकिस्तान के साथ एक सीक्रेट कनेक्शन है, जिसे उजागर करने की जरूरत हैं जिसका नतीजा था कि लेकिन लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की बुरी हार हुई। दिल्ली अकेला ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है, जहां उसमें इस चुनाव में महज एक सीट जीत पायी थी।

 मोदी के खिलाफ बयानबाजी न करने की ये है बड़ी वजह

मोदी के खिलाफ बयानबाजी न करने की ये है बड़ी वजह

इस जबरदस्‍त हार के बाद आम आदमी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की एक बैठक हुई जिसमें सभी की राय थी कि हम अपनी राजनीति की धूरी अगर मोदी के खिलाफ घुमाएंगे तो पार्टी को ऐसा ही नुकसान होगा। इसलिए केजरीवाल ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ हुई इस बैठक में तय हुआ कि पार्टी की राजनीति को मोदी के इर्द-गिर्द नहीं घुमाएंगे। ये फैसला लिया गया कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले 5 सालों में जो काम किए हैं, उन पर फोकस करेंगी। जिसके बाद से केजरीवाल मोदी के खिलाफ लिए कोई कटाक्ष करने के बजाए सीएए, एनआरसी, एनपीआर समेत अन्‍य मुद्दे जिन पर विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार हमला कर रहे वहीं मोदी चुप्‍पी साधे हुए हैं। इस चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पार्टी और वो केवल आप सरकार में किए गए कार्यों का प्रचार कर रही और उन्‍हीं बल पर उसे भरोसा है दिल्ली का फतह वह फिर हासिल कर दोबारा सरकार बनाएगी।

केजरीवाल को इसका हो चुका है आभाष

केजरीवाल को इसका हो चुका है आभाष

मोदी के खिलाफ चुप्‍पी का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि केजरीवाल राष्‍ट्रीय राजनीति में आने की महत्वाकांक्षा नहीं है। मालूम हो कि आप पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले गोवा, गुजरात, पंजाब के विधानसभा चुनावों और दिल्ली के नगर पालिका चुनाव में हार को भी ध्यान में रखते हुए लिया गया था। इतना ही नहीं हरियाणा और महाराष्ट्र 2019 के अंत में हरियाणा और महाराष्‍ट्र में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया था। यही दूसरा कारण है कि वह केन्‍द्र सरकार और पीएम मोदी पर हमला बोलने से गुरेज करते हुए फिलहाल उनका मकसद केवल और केवल दिल्ली चुनाव जीतना हैं।

केजरीवाल कर चुके हैं इन मौको पर मोदी की तारीफ

केजरीवाल कर चुके हैं इन मौको पर मोदी की तारीफ

आपको याद हो तो भाजपा की विरोधी पार्टियों शामिल केजरीवाल ही थे जिन्‍होंने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले का स्वागत किया था। उन्‍होंने चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा दिल्ली में अवैध कालोनियों को वैध करने के फैसले का स्‍वागत किया था। ये वहीं केजरीवाल थे जिन्‍होंने दिल्ली में दिवाली इवेंट ऑर्गेनाइज करने के लिए मोदी सरकार का एजेंट तक कह दिया था। दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल मोदी और केन्‍द्र सरकार पर हमला करने से इसलिए भी बच रहे हैं कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल न बनने पाएं!

केजरीवाल इसलिए भी अपनी जीत के लिए हैं आश्‍वस्‍त

केजरीवाल इसलिए भी अपनी जीत के लिए हैं आश्‍वस्‍त

वर्ष 2019 में भाजपा के हाथ से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य निकल गए। लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी जीत जरूर मिली, लेकिन राज्यों में पराजय का सिलसिला नहीं थमा। महाराष्ट्र में सहयोगी दल शिवसेना ने कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। पार्टी को हरियाणा में भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिला और जननायक जनता पार्टी को सत्ता में साझीदार बनाना पड़ा। उसके बाद झारखंड में पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा है। लगातार मिल रही पराजय के बीच पार्टी दिल्ली में उतरी है और यह भी चुनाव आसान नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में 67 सीटें जीतकर आप सत्ता में आई थी। इसलिए केजरीवाल को भी पता है कि आम चुनाव में जो मोदी मैजिक काम कर रहा था वो पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं चला और न ही दिल्ली में चलेगा। इसलिए केजरीवाल अपनी पार्टी की जीत पर और भी आश्‍वस्‍त हैं इसलिए फालतू बयानबाजी से बच रहे हैं।

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