दिल्ली चुनाव में पूर्वांचली वोट: क्या भाजपा के लिए आजसू बनेगा जेडीयू
नई दिल्ली। दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के वोटर राजनीति दलों के लिए अनार बन गये हैं। एक अनार सौ बीमार। इस अनार को पाने के लिए मारामारी मची हुई है। इसकी वजह भी है। यहां के करीब 35 फीसदी पूर्वांचली वोटर (उत्तर प्रदेश और बिहार के वोटर) अब चुनावी राजनीति में डिसाइडिंग फैक्टर बन गये हैं। ये जिधर झुके, उसका पलड़ा भारी। इसलिए हर दल खुद को पूर्वांचली लोगों का परम हितैषी बताने के लिए जीन-जान लगाये हुए है। भाजपा और आप तो इस होड़ में पहले से थी बिहार में सत्तारुढ़ जदयू भी ठेलमठेल में शामिल हो गया है। झारखंड की तरह जदयू दिल्ली में भी अलग चुनाव लड़ रहा है। उसने दिल्ली में करीब 35 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। ये वहीं सीटें हैं जहां पूर्वांचल के लोगों की आबादी अधिक है। जदयू के इस फैसले से भाजपा को तगड़ा झटका लग सकता है। यह झटका झारखंड में आजसू की तरह हो सकता है। जदयू ने दिल्ली में भाजपा को टक्कर देने के लिए एक पूर्वांचली नेता को मैदान में उतारा है। जदयू के दयानंद राय भाजपा के मनोज तिवारी को फाइट देंगे। दोनों ही बिहार के रहने वाले हैं। यानी लोहा से लोहा काटने की तैयारी है।
जदयू- भाजपा : लोहा से लोहा काटने की तैयारी
जदयू ने चार महीना पहले से ही दिल्ली चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। पूर्वांचली वोटों को साधने के लिए ही उसने सितम्बर 2019 में दयानंद राय को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाया था। दयानंद राय बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। पहले वे दिल्ली जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। नीतीश कुमार ने अपने परम मित्र संजय झा को दिल्ली का चुनाव प्रभारी बनाया है। संजय झा अभी बिहार सरकार में मंत्री हैं। संजय झा को दिल्ली की राजनीति का गहरा अनुभव है। वे पहले भाजपा में थे। दिल्ली में रहते थे। वहीं नीतीश कुमार से दोस्ती हुई। उन दिनों नीतीश और संजय झा पटना में साथ- साथ डोसा खाने जाया करते थे, तो कभी सिनेमा देखने भी निकल पड़ते थे। मुख्यमंत्री की भाजपा के एक नेता के साथ यह दोस्ती तब सुर्खियों में रहती थी। भाजपा ने संजय झा को विधान परिषद का सदस्य भी बनाया था। संजय झा की नीतीश से ऐसी दोस्ती हुई कि वे 2012 में भाजपा छोड़कर जदयू में शामिल हो गये। अब नीतीश सरकार में मंत्री हैं। वे बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं। जब नीतीश कुमार ने अपने सबसे करीबी नेता संजय झा के कंधे पर दिल्ली चुनाव की जिम्मेदारी डाली तो उन्होंने मिथिलांचल के ही एक नेता पर अपना भरोसा जताया। मधुबनी के रहने वाले संजय झा ने दरभंगा के रहने वाले दयानंद राय को दिल्ली का सूबेदार बनवा दिया। जदयू ने पूर्वांचल के रहने वाले वोटरों पर प्रभाव जमाने के लिए यह फैसला लिया। माना जाता है कि जदयू ने भाजपा की काट में ये नियुक्ति की। अब जदयू के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष दयानंद राय भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को चुनौती देंगे।
पूर्वांचली वोटों पर किस-किस की नजर
अभी स्थिति ये है कि दिल्ली के सभी प्रमुख दल पूर्वांचली चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं। ईमानदार राजनीति की वकालत करने वाली आम आदमी पार्टी ने गोपाल राय को दिल्ली का संयोजक बना कर पूर्वांचली समुदाय पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। गोपाल राय उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले हैं। मऊ आजमगढ़, बलिया से सटा हुआ है। केजरीवाल ने गोपाल राय को आप का दिल्ली संयोजक तब बनाया था जब उन्हें दिल्ली नगर निगम चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी। इस चुनाव में भाजपा के प्रचंड जीत मिली थी। इस चुनाव के कुछ पहले ही भाजपा ने बिहार के रहने वाले भोजपुरी फिल्म अभिनेता और सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। दिल्ली में आप की सरकार थी। इसके बावजूद मनोज तिवारी की अगुवाई में भाजपा ने नगर निगम चुनाव में शानदार जीत हासिल की। तब आप को लगा कि पूर्वांचली वोटरों ने मनोज तिवारी की वजह से भाजपा को वोट किया। तब आप ने भी अपने मंत्री गोपाल राय को दिल्ली का संयोजक बना दिया। 2016 में भाजपा ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना कर इस रणनीति की शुरुआत की थी। सोनिया, राहुल और प्रियंका पर निर्भर रहने वाली कांग्रेस को भी इस होड़ में कूदना पड़ा। उसने अक्टूबर 2019 में सुभाष चोपड़ा को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष तो बनाया लेकिन बिहार के ही रहने वाले कीर्ति आजाद को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाना पड़ा। यानी पूर्वांचली वोट के लिए आप, भाजपा, कांग्रेस और जदयू जैसी पार्टियां टकटकी लगाये बैठी हैं।
केजरीवाल को ताज पहना चुके हैं पूर्वांचली
2015 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के वोटरों ने केजरीवाल के पक्ष में खुल कर मतदान किया था। पूर्वांचल से जुड़े लोग 13 लोग आप से विधायक चुने गये थे। इस योगदान को देख कर ही अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचल के दो लोगों को मंत्री परिषद में शामिल किया था। बाद में इस क्षेत्र के रहने वाले संजय सिंह को राज्यसभा सांसद बनाया था। लेकिन जब से भाजपा ने सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, आप अपने इस वोट बैंक को लेकर चिंतित है। केजरीवाल भले मनोज तिवारी को गवानिया-बजानिया कह कर मजाक उड़ा रहे हैं लेकिव वे जानते हैं कि मनोज तिवारी ने नगर निगम चुनाव में कैसी पटखनी दी थी। केजरीवाल, मनोज तिवारी को अपने जोड़ का नेता नहीं मानते हैं लेकिन मनोज पूर्वांचल के लोगों में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं। कुछ दिनों उन्होंने पहले दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में 20 दिनों का प्रवास किया था। इन कच्ची कालोनियों में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की बहुलता है। पूर्वांचली वोट के लिए मुख्य रूप से आप और भाजपा में ही मुकाबला है। अब देखना है कि 2020 के चुनाव में यह वोट बैंक किस दल की झोली भरता है।