दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन भाजपा के लिए करेगा संजीवनी का काम, जानिए कैसे
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच नजर आ रहा है। हालांकि कांग्रेस भी इस बार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। पार्टी ने तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और आला नेताओं को मैदान में उतारा है। लेकिन कांग्रेस के सामने दिल्ली में सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपने वोट बैंक को अपने साथ बरकरार रखे। 8 फरवरी को दिल्ली में होने वाले चुनाव के दौरान तीनों ही दलों के कोर वोटर किस ओर जाते हैं यह काफी अहम साबित होगा।
कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो उसके वोटर लगातार उसके साथ बने हुए हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के बड़े वोटबैंक में सेंधमारी की है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी के चलते पार्टी की हालत काफी खस्ता हो गई थी और वह दिल्ली में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटबैंक तकरीबन पूरी तरह से आप के खाते में चला गया था, अहम बात यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी जोकि दिल्ली में 15 साल से 1998 सरकार में थी वह अपना वोट बैंक बचाने में पूरी तरह से विफल रही थी।
कांग्रेस की चुनौती भाजपा नहीं केजरीवाल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच एक ही कोर वोट बेस के बीच जंग है। यही बड़ी वजह है कि प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का भविष्य मुख्य रूप से कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर है। ऐसे में यह साफ है कांग्रेस के लिए दिल्ली में सबसे बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल हैं। लिहाजा पार्टी को अपना वोट बैंक आप से बचाना काफी अहम होगा। आम आदमी पार्टी की बात करें तो पिछले 5-6 सालों में पार्टी की हालत काफी बेहतर हुई है, लेकिन कांग्रेस की बात करें तो दिल्ली में उसके हालात कुछ बेहतर नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के सामने चुनौती
कांग्रेस दिल्ली में अभी भी आंतरिक मतभेद के दौर से गुजर रही है। पार्टी में नेताओं के बीच मनमुटाव साफ देखा जा सकता है। पार्टी में आंतरिक सत्ता और व्यक्तिगत अकांक्षाओं को लेकर टकराव चल रहा है। पार्टी के कई नेताओं ने अलग-अलग वजहों का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से मना कर दिया। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए काफी हद तक कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर है। अगर कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ता है तो इसका सीधा असर आम आदमी पार्टी पर होगा और उसकी सीटें कम होंगी।
2013 के आंकड़े
वर्ष 2013 के चुनाव की बात करें तो दिल्ली विधानसभा की कुल 70 में से आप ने 28 सीट पर जीत दर्ज की थी और उसे 29.49 फीसदी वोट मिले थे। जबकि 2015 में पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की और उसे 54.3 फीसदी वोट मिले। वहीं कांग्रेस ने 2013 में 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसे 24.55 फीसदी वोट मिले , लेकिन 2015 में कांग्रेस का वोट फीसदी घटकर 9.8 फीसदी पहुंच गया और पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
भाजपा की नजर कांग्रेस पर
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पार्टी ने 2013 में 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 33.07 फीसदी वोट मिला था। जबकि 2015 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 3 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी और उसे 32.1 फीसदी वोट मिला। यानि पार्टी के वोट में बहुत ज्यादा अंतर नहीं हुआ लेकिन उसकी सीटों में भारी अंतर देखने को मिला। लिहाजा भारतीय जनता मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर है, अगर पार्टी का वोटबैंक एक बार फिर से छिटकता है तो इसका सीधा फायदा आप को होगा, लेकिन अगर कांग्रेस अपना वोट बैंक वापस लाने में सफल होती है तो इसका फायदा भाजपा को होगा।
कांग्रेस की उम्मीद
इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि वह अपना वोटबैंक और सीटों की संख्या दोनों बढ़ाने में सफल होगी। इसकी एक बड़ी वजह है कि नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और मुसलमान वोटर उसे अपना समर्थन दे सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने राजद के साथ गठबंधन किया है, लिहाजा उसे उम्मीद है कि बिहारी वोट भी उसके पक्ष में आ सकता है जोकि दिल्ली में तकरीबन 4-5 सीटों पर अहम हैं। इसके अलावा पार्टी को उम्मीद है कि सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, नवजोत सिंह सिद्धू, खुशबू सुंदर, नगमा जैसे स्टार कैंपेनर उसके लिए अहम अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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