निजी अस्पतालों की मनमानी पर शिकंजा, बिल को लेकर केजरीवाल सरकार ने उठाया बड़ा कदम
नई दिल्ली। देश की राजधानी में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है। इस कानून के तहत अगर मरीज को आपातकाल में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और 6 घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी फीस के एक हिस्से को मरीज के परिजनों से नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए इस नए अध्यादेश में दिल्ली सरकार की ओर से कई प्रस्ताव रखे गए हैं।
आम लोग दे सकते हैं सुझाव
दिल्ली सरकार के इस नए अध्यादेश में बदलाव के लिए लोगों का सुझाव भी लिया जाएगा, इसके लिए लोगों को एक महीने का समय दिया जाएगा, जिससे कि वह इस अध्यादेश में किसी भी तरह का बदलाव करने का सुझाव दे सकते हैं। इस अध्यादेश में जो सबसे बड़ा प्रस्ताव रखा गया है वह यह कि अगर कोई भी मरीज अस्पताल में आपातकाल में भर्ती कराया जाता है और अगले छह घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है तो मरीज के परिजनों को अस्पताल का 50 फीसदी बिल नहीं देना होगा।
24 घंटे के भीतर मृत्यु होने पर 20 फीसदी फीस माफ
सरकार के अध्यादेश में यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि अगर मरीज की मृत्यु भर्ती कराए जाने के 24 घंटे के भीतर होती है तो फीस का 20 फीसदी परिजनो को नहीं देना होगा। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस अध्यादेश के बारे में बताया कि हमे इस तरह की कई शिकायतें मिल रही थी कि प्राइवेट अस्पतालों में गलत तरीके से फीस वसूली जा रही है। ऐसे में यह नई नीति अस्पतालों में पारदर्शिता लेकर आएगी।
फर्जीवाड़ा रोकने में अहम
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल का कहना है कि सबसे अधिक फर्जीवाड़ा उस वक्त होता है जब मरीज की अस्पताल में भर्ती कराए जाने के कुछ घंटों बाद मृत्यु हो जाती है, इसके बाद मरीज के रिश्तेदारों को बड़े-बड़े बिल थमा दिए जाते हैं। हमने इस बात का सुझाव दिया था कि मानवता के आधार पर मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों को बिल में 50 फीसदी की छूट दी जानी चाहिए थी।
सस्ती दवाएं लिखने की अपील
नए अध्यादेश में डॉक्टरों से अपील की गई है कि वह मरीजों को उन 376 दवाओं में से ही दवाएं लिखें जोकि नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन में शामिल हैं। इन दवाओं पर अस्पताल या तो अधिकतम एमआरपी ले सकते हैं या फिर खरीद से 50 फीसदी दाम ले सकते हैं, या फिर दोनों में से जो कम हो वही मूल्य लिया जा सकता है। यह नियम सभी डिस्पोसेबल जैसे कि ग्लव्स, सिरिंज, कॉटन, स्वैब पर लागू होगा। साथ ही सर्जिकल इंप्लांट आदि में अस्पताल एमआरपी पर चीजें दे सकते हैं या फिर 35 फीसदी खरीद से अधिक जो भी कम हो।
मरीज को इलाज की देनी होगी जानकारी
नई नीति में यह भी साफ किया गया है कि अस्पताल को इलाज के दौरान पैकेज की भी जानकारी देनी होगी कि इसमे कितना खर्च आएगा, साथ ही मरीज को इलाज से पहले इसकी पूरी जानकारी देनी होगी कि अधिकतम कितना खर्च अपरिहार्य परिस्थिति में आ सकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी भी मरीज को आपातकाल में पैसे के अभाव में इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है। इन नियमों को लागू कराने के लिए अस्पतालों और नर्सिंग होम को मान्यता देने के नियम में भी बदलाव किया जाएगा। दिल्ली सरकार की इस नीति को पहले कैबिनेट में फिर एलजी के पास से पास होना जरूरी है।
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