रक्षा मंत्रालय ने पीएमओ के सामने राफेल डील को लेकर जताया गया था विरोध, रक्षा सचिव ने किया साफ इनकार
नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर देश में कांग्रेस और सत्ताधारी बीजेपी के बीच घमासान मचा हुआ है। इस बीच अखबार द हिंदू की रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रक्षा मंत्रालय की ओर से इस डील पर जारी समान समझौतों को लेकर पीएमओ के सामने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। इस रिपोर्ट का जिक्र कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने शुक्रवार की सुबह अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी किया है। हिंदू ने अपनी इस रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मिले उसे एक नोट का जिक्र भी किया है। राफेल डील भारत और फ्रांस के बीच साल 2015 में हुई थी और 36 फाइटर एयरक्राफ्ट की लिए डील को मंजूरी दी गई थी।
24 नवंबर 2017 का नोट
रिपोर्ट में 24 नवंबर 2017 के उस नोट का हवाला दिया है जो रक्षा मंत्रालय की ओर से दर्ज कराए गए विरोध से जुड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नोट से साफ है कि पीएमओ की ओर से जारी समान वार्ता की वजह से रक्षा मंत्रालय और भारत की टीम से की ओर से जारी बातचीत कमजोर पड़ती जा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी खींचतान की तरफ डील के समय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पार्रिकर का भी ध्यान गया था। रिपोर्ट में आधिकारिक डॉक्यूमेंट्स के हवाले से कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की ओर से पीएमओ के रुख का विरोध किया गया था।
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अधिकारी ने नोट मानने से किया इनकार
रक्षा मंत्रालय और भारत की नेगोशिएटिंग टीम की ओर से पीएमओ के खिलाफ रुख अख्तियार किया गया था। डील के समय रक्षा सचिव रहे जी मोहन कुमार ने खुद इस बात का आधिकारिक तौर पर जिक्र किया था। उन्होंने रक्षा मंत्री को भेजी चिट्ठी में लिखा था, 'रक्षा मंत्री, कृप्या इसे देखें। पीएमओ को इस तरह की वार्ता से बचना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से हमारी स्थिति गंभीर रूप से कमजोर होती है।' वहीं जी मोहन कुमार ने द हिंदू की रिपोर्ट में दिए गए नोट को खारिज कर दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा है कि जो नोट उनकी तरफ से भेजा गया था, उसका कीमत से कोई लेना-देना नहीं था। यह सिर्फ आम शर्तों और संप्रभुता से जुड़ा हुआ था।
अप्रैल 2015 में हुई थी राफेल की डील
द हिंदू की इस रिपोर्ट में सरकार की ओर से अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट को डील से जुड़ी जो बात कही गई है, उसका भी जिक्र है। सरकार की ओर से कहा गया था कि राफेल डील से जुड़ी वार्ता को सात लोगों की एक टीम ने अंजाम दिया था जिसकी अध्यक्षता डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ कर रहे थे। उस समय वार्ता में पीएमओ के रोल का कोई जिक्र नहीं हुआ था। अप्रैल 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने 36 राफेल फाइटर्स को खरीदने का फैसला किया। इसके अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने उस समय स्वीडन में बने ग्रिपेन और अमेरिकी फाइटर जेट एफ-16 को खरीदने के बारे में भी जानकारी दी थी।
IAF चीफ ने बताया राफेल को गेम चेंजर
भारत को 36 राफेल जेट की पहली खेप 2019 में मिलेगी और इसी खेप के पहले राफेल का परीक्षण नवंबर माह में किया जा चुका है। आईएएफ चीफ मार्शल बीएस धनोआ, राफेल जेट को एक बेहतरीन जेट करार दे चुके हैं। उनका कहना है कि राफेल भारत के लिए एक अच्छा जेट है और यह भारतीय उप-महाद्वीप में गेम-चेंजर साबित होगा। धनोआ के मुताबिक यह डील एक अच्छे पैकेज के तहत हुई है और डील के साथ देश को काफी फायदा होगा। धनोआ के मुताबिक आईएएफ को फाइटर स्क्वाड्रन की सख्त जरूरत है और राफेल जेट इस कमी को पूरा कर सकते हैं।