रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बताया, पूर्वी लद्दाख में चीन से लगी LAC पर अब तक क्या-क्या हुआ
नई
दिल्ली।
रक्षा
मंत्री
राजनाथ
सिंह
ने
मंगलवार
को
लोकसभा
में
पूर्वी
लद्दाख
में
लाइन
ऑफ
एक्चुअल
कंट्रोल
(एलएसी)
की
स्थिति
के
बारे
में
जानकारी
दी
है।
राजनाथ
सिंह
ने
अपने
संबोधन
में
कहा
है
कि
अप्रैल
माह
से
ही
पूर्वी
लद्दाख
में
चीन
की
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवान
अड़े
हुए
हैं।
इसके
साथ
ही
उन्होंने
सदन
को
भरोसा
भी
दिलाया
है
कि
एलएसी
की
यथास्थिति
में
किसी
भी
सूरत
में
बदलाव
बर्दाश्त
नहीं
किया
जाएगा।
रक्षा
मंत्री
ने
संसद
में
गलवान
घाटी
में
15
जून
को
शहीद
हुए
20
भारतीय
सैनिकों
को
भी
नमन
किया
है।
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38,000 स्क्वॉयर किलोमीटर जमीन पर चीन का कब्जा
रक्षा मंत्री ने कहा, 'जैसा कि यह सदन अवगत है चीन, भारत की करीब 38,000 स्क्वॉयर किलोमीटर की जमीन पर अनाधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, सन् 1963 में एक सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 स्क्वॉयर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है।' उन्होंने कहा कि भारत और चीन, दोनों ने, औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए संयम की आवश्यकता है औ इस मुद्दे को निष्पक्ष, तार्किक और आपसी मंजूरी के साथ शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर अलग-अलग नजरिया है। ऐसे में शांति और स्थिरता बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के समझौते और प्रोटोकॉल्स हैं। इन समझौतों के तहत यह माना गया है कि एलएसी पर शांति और स्थिरता बरकरार रखी जानी चाहिए। इस एलएसी की अपनी-अपनी संबधित स्थितियों सीमा से जुड़े सवालों का कोई असर नहीं माना जाएगा।
रक्षा मंत्री ने स्वीकारा, इस बार हालात अलग
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में माना है कि इस साल की स्थिति पूर्व में हुए टकरावों से बहुत अलग है। उन्होंने बताया कि मई माह की शुरुआत में चीन ने गलवान घाटी भारतीय जवानों के सामान्य और पारंपरिक गश्त करने के तरीकों में रूकावट पैदा करनी शुरू की थी। इसकी वजह से टकराव की स्थिति है। उन्होंने कहा, 'हमने चीन को राजनयिक और सैन्य चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियां, यथास्थिति को एकपक्षीय बदलने की कोशिश है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।' इसके बाद रक्षा मंत्री ने गलवान घाटी में हुई हिंसक घटना का जिक्र किया। उन्होंने संसद में गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी। रक्षा मंत्री ने चीन के साथ साल 1993 और 1996 में हुए समझौतों के बारे में भी बताया है।
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क्यों हुई थी गलवान घाटी में हिंसा
उन्होंने बताया कि कैसे गलवान घाटी में चीन के साथ टकराव हिंसक हो गया था। रक्षा मंत्री के शब्दों में, 'एलएसी पर टकराव बढ़ता हुआ देख कर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की। इस बात पर सहमति बनी कि आपसी कार्रवाई के तहत डिसइंगेजमेंट किया जाए। दोनो पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए थे कि एलएसी को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे यथास्थिति बदले।' उन्होंने आगे बताया, ' इस सहमति के उल्लंघन में चीन की तरफ से हिंसक फेसऑफ की स्थिति 15 जून को गलवान में तैयार की गई थी। इस पर हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे।'
देश हर स्थिति से निबटने में सक्षम
रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा, 'इस सदन की एक गौरवशाली परम्परा रही है, कि जब भी देश के समक्ष कोई बड़ी चुनौती आयी है तो इस सदन ने भारतीय सेनाओं की दृढ़ता और संकल्प के प्रति अपनी पूरी एकता और भरोसा दिखाया है।' उन्होंने संसद को भरोसा दिलाया कि सेनाओं और जवानों का जोश और हौसला बुलंद है। रक्षा मंत्री ने जुलाई माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक लद्दाख दौरे का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, ' प्रधानमंत्री के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर और जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं।'साथ ही उन्होंने आश्वासन दिलाया है कि भारत मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश को इस बात का भरोसा रखना चाहिए कि भारत हर प्रकार परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार है।