आज देश को मिलेगा पहला राफेल फाइटर जेट, फ्रांस में ही 'शस्त्र पूजन' करेंगे राजनाथ सिंह
देश को आज पहला राफेल फाइटर जेट मिल जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में खुद 36 राफेल जेट में से पहले जेट की डिलीवरी लेंगे।
नई दिल्ली। देश को आज पहला राफेल फाइटर जेट मिल जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में खुद 36 राफेल जेट में से पहले जेट की डिलीवरी लेंगे। आज विजयादशमी है, इसलिए राजनाथ सिंह फ्रांस में ही आज शस्त्र पूजा भी करेंगे। राफेल की डिलीवरी लेने के लिए राजनाथ सिंह सोमवार को ही फ्रांस पहुंच गए थे। राजनाथ सिंह के साथ भारतीय वायुसेना प्रमुख, चीफ एयरमार्शल आरकेएस भदौरिया भी फ्रांस में मौजदू हैं। राफेल पहले 19 सितंबर को भारत आने वाला था लेकिन बाद में इसकी तारीखों में बदलाव किया गया। आज भारतीय वायुसेना अपना 87वां वायुसेना दिवस भी मना रही है।
शस्त्र पूजा के बाद राफेल में उड़ान भरेंगे राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोर्डयूक्स के करीब मेरिग्नैक में राफेल की डिलीवरी लेंगे। शस्त्र पूजा करने के बाद रक्षा मंत्री राफेल में उड़ान भरेंगे। आईएएफ सूत्रों की ओर से बताया गया है कि एक फ्रेंच पायलट फ्रंट कॉकपिट में होगा जबकि रक्षा मंत्री पीछे कॉकपिट में होंगे। नौ अक्टूबर को वह सीनियर एयरफोर्स और डिफेंस ऑफिसर्स की टीम के साथ पेरिस जाएंगे। यहां पर उनके साथ वाइस एयरचीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एचएस अरोड़ा भी होंगे।
RB-01 होगा राफेल जेट का टेल नंबर
पहले राफेल जेट का टेल नंबर RB-01 होगा। यह टेल नंबर आईएएफ चीफ भदौरिया को सम्मानित कते हुए राफेल को एलॉट किया गया है। आईएएफ चीफ ने करीब 60,000 करोड़ की इस डील में अहम रोल अदा किया था। डील साल 2016 में साइन हुई थी और इसके तहत 36 राफेल आईएएफ को मिलेंगे। भारत के लिए तैयार राफेल को इसकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए खास उपकरणों से लैस किया गया है। इस फाइटर जेट्स में भारतीय पायलट के एक ग्रुप को पहले ही ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब मई 2020 में तीन बैच में 24 पायलट्स को फिर से ट्रेनिंग दी जाएगी।
गोल्डन एरो स्क्वाड्रन होगी राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट
राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट वही गोल्डन एरो स्क्वाड्रन होगी, जिसे सन् 1999 में कारगिल की जंग के समय आईएएफ के पूर्व चीफ एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कमांड किया था। वहीं इस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगी। यहां पर राफेल की स्क्वाड्रन को चीन से सटे बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए रखा जाएगा। आईएएफ की 17 स्क्वाड्रन ने कारगिल की जंग के समय मिग-21 को ऑपरेट किया था और इसके पास उस समय की नंबर प्लेट भी है। आईएएफ की योजना राफेल की एक स्क्वाड्रन को उत्तर प्रदेश के सारस्वत एयरबेस पर तैनात करने की भी थी लेकिन जमीन के अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दों की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हरियाणा का अंबाला एयरबेस काफी अहम है। यह एयरबेस जगुआर एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन का बेस है और इस पर पाकिस्तान को प्रतिक्रिया देने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। युद्ध की स्थिति में इस एयरबेस से सबसे पहले जेट टेक ऑफ करेंगे।