DRDO के अवार्ड समारोह में बोले रक्षामंत्री, स्वदेशी के विकास के साथ बढ़ी आर्म्ड फोर्सेज की ताकत
नई दिल्ली। Rajnath Singh At DRDO: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के अवार्ड समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान द्वारा रक्षा क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और संगठन से जुड़े व्यक्तियों की तकनीक, आत्मनिर्भरता, एकेडमिक और परफॉर्मेंस एक्सीलेंस के क्षेत्र में पुरस्कार दिए गए। समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने लगातार उच्च तकनीकी सहयोग देकर भारतीय आर्म्ड फोर्सेज को मजबूती प्रदान की है।
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सेना को सौंपे DRDO में विकसित हथियार
डीआरडीओ के अवार्ड समारोह में पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इंडियन एयर फोर्स के प्रमुख आरके भदौरिया को Astra MK-1 BVR एयर टू एयर मिसाइल का मॉडल सौंपा। एस्ट्रा पूर्ण रूप से देश में विकसित की गई पहली बीवीआर (Beyond Visual Range) मिसाइल है जिसे एसयू-30, एलसीए और मिग-29K एयरक्राफ्ट से 100 किमी की दूरी से लॉंच किया जा सकता है।
इस दौरान रक्षा मंत्री ने नेवी चीफ को डीआरडीओ द्वारा विकसित सामुद्रिक स्थिति जागरूकता प्रणाली (Maritime Situational Awareness System) सौंपा। साथ ही आर्मी चीफ नरवणे को डीआरडीओ के द्वारा ही बनाया गया बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (BOSS) सौंपा।
ऊंची उड़ान भरने की जरूरत- राजनाथ सिंह
डीआरडीओ के अवार्ड समारोह में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस संगठन ने अपने सफल प्रयोगों के माध्यम से देश के रक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने में मदद की है। चाहे वह मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट तेजस (Multirole Fighter Aircraft Tejas) हो या फिर बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम (Ballistic Missile System) और फिर रडार सिस्टम हो। उन्होंने कहा कि DRDO ने यंग साइंटिस्ट लैब जैसे कार्यक्रम चलाए जिनके माध्यम से वह वर्तमान के साथ ही भविष्य की जरूरतों के लिए भी काम कर रहा है। डीआरडीओ ने कई स्वदेशी तकनीक का विकास कर आत्मनिर्भरता में मदद की है।
इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने कोरोना काल में डीआरडीओ के कामों की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की शुरुआत में ही डीआरडीओ ने वेंटिलेटर, पीपीई किट्स, मास्क और सैनेटाइजर्स जैसी जरूरी चीजों का निर्माण शुरू कर दिया था जिससे कोरोना के खिलाफ जंग में लगे लोगों को बहुत मदद मिली। डीआरडीओ की चुनौतियों का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने 200 प्रतिशत की क्षमता से काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बदली हुए परिस्थितियों में जिस तरह के रक्षा समीकरण बन रहे हैं हमें और ऊंची उड़ान भरने की जरूरत है।
'संघर्ष इतना बढ़ गया जिसकी कल्पना नहीं कई गई थी'
वहीं आज ही रक्षामंत्री ने मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में भी हिस्सा लिया। पहली बार आयोजित हुए इस फेस्टिवल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने आयोजन की शुरुआत को ही इसकी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि 'हमारे यहां लिटरेरी फेस्टिवल और फिल्म फेस्टिवल तो होते रहे हैं लेकिन मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल एक नई शुरूआत है।'
उन्होंने कहा कि 'यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बदलते समय में युद्ध के खतरे और इसका चरित्र भी बदला है। भविष्य में सुरक्षा से जुड़े और भी मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं। धीरे-धीरे संघर्ष का दायरा इतना बढ़ गया है जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी।'
रक्षा मंत्री ने कहा कि मिलिट्री साहित्य को आम लोगों से जोड़ने को लेकर उनकी खुद की भी रुचि रही है। "मैं चाहता हूं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारे देश के इतिहास को, खास तौर पर सीमा क्षेत्र के इतिहास को अच्छी तरह से जानें। इसके लिए रक्षा मंत्री बनने के बाद ही मैने एक कमेटी का गठन किया। यह हमारे सीमाई इतिहास और इससे जुड़े युद्धों को आसान शब्दों में लोगों तक पहुंचने के लिए काम कर रही है।