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सैन्य अधिकारियों की रैंकिंग के विवादित फैसले को रक्षामंत्री ने वापस लिया

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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सैन्य अधिकारियों की रैंक को कम करने के विवादित आदेश को वापस ले लिया है जिसके चलते सेना के अधिकारियों में काफी नाराजगी पैदा हो गई थी। इस आदेश को वापस लेने के साथ ही रक्षामंत्री ने इस विवाद को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला लिया है। इस आदेश को दो वर्ष पहले जारी किया गया था, जिसमे सैन्य अधिकारियों और उनके समकक्षों को समान दर्जा देने की बात कही गई थी। यह आदेश सशस्त्र बलों की रैंक और उनके रैंक में कमी करने को लेकर लिया गया था।

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2016 में जो आदेश जारी किया गया था उसमे कहा गया था कि सशस्त्र बल सिविल सेवा के एक प्रधान निदेशक को ब्रिगेडियर की बजाए मेजर जनरल की रैंक पर लाया जाएगा। इसमे यह भी कहा गया था कि कर्नल की रैंक के बराबर अधिकारियों को ब्रिगेडियर बनाया जाएगा, साथ ही संयुक्त निदेशक को कर्नल बनाए जाने की बजाए उसे लेफ्टिनेंट कर्नल बनाया जाएगा। सरकार के इस फैसले का सैन्य अधिकारी विरोध कर रहे थे, जिसे खत्म करने के लिए आखिरकार रक्षामंत्री ने इस फैसले को वापस ले लिया है।

वर्ष 2016 में सरकार के इस आदेश के बाद सशस्त्र बलों में काफी नाराजगी पैदा हो गई थी, जिसके बाद रक्षा मंत्री ने इस फैसले को वापस लेने का आदेश दे दिया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल अधिकारियों और सशस्त्र बल मुख्यालय असैन्य सेवा के अधिकारियों के बीच समानता के मुद्दे पर जो पत्र 18 अक्टूबर 2016 को जारी किया गया था उसे वापस लिया जाता है। सरकार ने जिस तरह से 2016 में यह आदेश जारी किया था उसके बाद सैन्य अधिकारियों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह समान दर्जा आदेश गलत है और सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए और हमारी चिंताओं का हल करना चाहिए। उनका तर्क था कि अगर इस नियम के अनुसार निदेशक स्तर के अधिकारी को सशस्त्र बल मुख्यालय कैडर के निदेशक के बराबर का दर्जा दिया गया तो यह असमानता होगी क्योंकि ऐसे में लेफ्टिनेंट कर्नल एएफएचक्यू कैडर के निदेशक के बराबर होगा।

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English summary
Defence minister Nirmala Sitaramn takes back the decision of 2016 of military officer rank. This decision was taken in 2016.
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