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असंवेदनशीलता: नदी में डूबे जवान की मां को पेंशन देने से पहले कहा जा रहा, बेटे की डेडबॉडी दिखाओ

सेना के लेखा विभाग की ओर से असंवेदनशीलता का एक बड़ा मामला सामने आया है। लेखा विभाग की ओर से एक जवान की मां को पेंशन के लाभ देने के लिए उसके बेटे के शव की मांग की गई है। यह जवान अरुणाचल प्रदेश चीन से सटी सीमा पर तैनात था और इसकी मृत्‍यु नदी में गिरने की वजह से हुई थी।

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चंडीगढ़। सेना के लेखा विभाग की ओर से असंवेदनशीलता का एक बड़ा मामला सामने आया है। लेखा विभाग की ओर से एक जवान की मां को पेंशन के लाभ देने के लिए उसके बेटे के शव की मांग की गई है। यह जवान अरुणाचल प्रदेश चीन से सटी सीमा पर तैनात था और इसकी मृत्‍यु नदी में गिरने की वजह से हुई थी। आज तक उनका शव नहीं मिल सका है और उनकी मां को पिछले कई वर्षों से इस असंवेदनशीलता की वजह से पेंशन का फायदा भी नहीं मिल सका है। इस जवान को सेना की ओर से मृत मान लिया गया है और उनकी मौत को बैट कैजुअल्‍टी करार दिया गया है लेकिन इसके बाद भी यह आदेश दिया गया है। लेकिन अकाउंट्स विभाग का कहना है कि जवान सिर्फ गायब है और उनकी मौत नहीं हुई है तो पेंशन नहीं दी जा सकती है। इंग्लिश डेली इंडियन एक्‍सप्रेस की ओर से यह खबर जारी की गई है।

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सेना ने मान लिया है मृत

ऑर्म्‍ड फोर्सेज ट्रिब्‍यूनल की चंडीगढ़ बेंच में हिमाचल प्रदेश की रहने वाली कमला देवी ने पेंशन के लिए याचिका दायर की थी। इस बेंच के जस्टिस एमएस चौहान और लेफ्टिनेंट जनरल मुनीश सिब्‍बल की ओर से यह आदेश दिया गया है। कमला देवी के बेटी राइफल मैन रिंकू राम जम्‍मू कश्‍मीर राइफल्‍स के साथ अटैच थे। नवंबर 2009 में जब वह लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर एक मुश्किल रास्‍ते पर पेट्रोलिंग पर थे तभी उनका पैर फिसल गया और वह तेज बहाव वाली नदी में गिर गए। यह इलाका ऐसा है जहां पर शवों का मिलना असंभव है। इसके बाद सेना और संबंधित अथॉरिटीज ने रिंकू राम की मौत को 'बैटल कैजुअल्‍टी' घोषित कर दिया था। सेना की ओर से डूबने, हिमस्‍खलन या फिर बाढ़ में हुई मौत को युद्ध में हुई मौत माना जाता है तो रिंकू राम की मौत को भी बैटल कैजुअल्‍टी माना गया।

साल 2009 से माता-पिता काट रहे चक्‍कर

साल 2009 से ही उनके माता-पिता चक्‍कर काट रहे हैं। जब उनके पेंशन रिलीज करने से जुड़े पेपर्स इलाहाबाद स्थित प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स के आफिस भेजे गए तो ऑफिस ने उनके क्‍लेम को यह कहकर खारिज कर दिया गया जवान का शव नहीं मिला है तो ऐसे में उन्‍हें मृत नहीं माना जा सकता है। कई आर्मी चीफ की तरफ से भी लगातार इस मामले को सुलझाने का अनुरोध किया जा चुका है लेकिन अभी तक फैमिली पेंशन को रिलीज नहीं किया गया है। सिर्फ इतना ही जवान की मौत के बाद एक्‍स ग्रेशिया के तौर पर जो रकम आश्रितों को दी जाती है वह भी कई अनुरोध के बाद अटकी हुई है। कई विशेषज्ञ इस केस को चौंकाने वाला केस मान रहे हैं जहां पर अकाउंट आफिसर्स जवान का शव दिखाने की असंवेदनशील मांग कर रहे हैं।

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English summary
Defence accounts department has asked mother of a soldier to show his son's dead body for pension claim.
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