बिहार में नीतीश कुमार 'ठीके हैं' या नहीं पर बहस
बिहार में इन दिनों 'स्लोगन पॉलिटिक्स' चल रही है.सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने पार्टी मुख्यालय पर बैनर लगाकर एक नया नारा दिया गया है- "क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार." इसके जवाब में विपक्षी पार्टी राजद के मुख्यालय के सामने कार्यकर्ताओं ने एक बैनर लगाकर जवाब दिया है, "क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार."
बिहार में इन दिनों 'स्लोगन पॉलिटिक्स' चल रही है.
सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने पार्टी मुख्यालय पर बैनर लगाकर एक नया नारा दिया गया है- "क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार."
इसके जवाब में विपक्षी पार्टी राजद के मुख्यालय के सामने कार्यकर्ताओं ने एक बैनर लगाकर जवाब दिया है, "क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार."
सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार के नए नारे के जवाब में कई नारे दिए जा रहे हैं, जिनमें से एक है, "हो चुका है विचार, देंगे उखाड़, कहीं के नहीं रहेंगे नीतीश कुमार."
यह नारा कुछ वक़्त पहले तक नीतीश कुमार के समर्थक समझे जाने वाले क़रीब 3.96 लाख नियोजित शिक्षकों की तरफ़ से दिया गया है.
कहां से आया नारा
मंगलवार दोपहर जब हम पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित जदयू के मुख्यालय पहुंचे, मेन गेट पर ही इस नए नारे वाले दो बैनर नज़र आए.
मुख्यालय प्रभारी सह राष्ट्रीय सचिव रवीन्द्र प्रसाद सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा, "ये जनता के बीच से आया है. बीते लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब हम गांवों, क़स्बों में गए तो लोगों का यही रिस्पॉन्स मिला था. जनता कह रही है कि उसे विचार नहीं करना है, नीतीश कुमार ठीक हैं."
Bihar: Poster seen outside Janata Dal (United) office in Patna. pic.twitter.com/XhTiAVhaUG
— ANI (@ANI) 3 September 2019
इससे पहले भी चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार से जुड़े कुछ नारे आ चुके हैं. पहली बार आया था- ''अबकी बार, नीतीश कुमार.'' फिर आया- ''बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है." अब जो नारा आया है, वह तीसरा है.
'ठीके' का क्या मतलब?
नारे में इस्तेमाल एक शब्द "ठीके" को लेकर बहुत तरह की चर्चाएं चल रही हैं. यह कहा जा रहा है "ठीके" लिखने से ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार बस ठीकठाक यानी कामचलाऊ हैं. कहा जा रहा है कि यह शब्द इस नारे में उतना असरदार नहीं लगता है.
इस बारे में रवींद्र कहते हैं, "जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं, उनको गंवई, बिहारी और ठेठ बिहारी भाषा की समझ कम है. गांव की जनता से नीतीश कुमार के विकास कार्यों और सुशासन को लेकर हमने अपील की थी नीतीश कुमार पर ज़रूर विचार करें तो उससे यही जवाब मिला था. ठेठ भाषा में व्याकरण का दोष नहीं निकाला जाता. अब अगर लोग इसी बात को हिन्दी में कहें तो कहेंगे- अच्छा तो है नीतीश कुमार."
रवीन्द्र कहते हैं कि इसे जदयू की ओर से विधानसभा चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत कहा जा सकता है. उन्होंने कहा, "हालांकि अभी तो सिर्फ दो बैनर पार्टी मुख्यालय पर ही लगाए गए हैं, मगर अब इस पर इतनी बात हो चली है कि हम आने वाले दिनों में पूरे बिहार में इस नारे को पहुंचा देंगे."
राजद का जवाबी नारा
उधर राजद मुख्यालय पर लगे पोस्टर के संबंध में हमारी बात हुई मुख्यालय में मिले पार्टी के वरिष्ठ नेता और बीते लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से प्रत्याशी रहे तनवीर हसन से.
वो कहते हैं कि राजद मुख्यालय के सामने लगाया गया बैनर पार्टी ने नहीं कार्यकर्ताओं ने लगाया है.
वो कहते हैं, "पर उनकी बात सही है. बिहार में लॉ एंड ऑर्डर, शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर तमाम चीज़ों का जो हाल है, वही तो पोस्टर में दिखाया गया है. आख़िर किस मुंह से नीतीश कुमार की छवि को लेकर स्लोगन गढ़ा जा रहा है? हमारी पार्टी उनके इसी स्लोगन की काट को अपना हथियार बनाएगी."
नीतीश के नारे पर तंज़ कसते और सवाल उठाते हुए बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद की ओर से एक कविता पेश की गई है. कविता को सोशल मीडिया के तमाम ज़रियों पर शेयर किया जा रहा है.
बिहार में कितना सुशासन?
ऐसा लगता है कि विपक्ष को नए नारे के बाद नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि पर प्रहार करने का मौका मिल गया है.
जहां तक बात सुशासन वाली छवि की है तो अब बिहार सरकार के आंकड़े ही इस पर सवाल उठाते हैं.
बिहार पुलिस के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, 2001 में बिहार में संज्ञेय अपराधों की संख्या 95,942 थी, जो 2018 में बढ़कर 2,62,802 हो गई. अपराधों में कुछ श्रेणियां तो ऐसी हैं जिनमें दोगुनी से भी ज़्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2001 में रेप के 746 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2018 में रेप के 1,475 मामले हुए.
इसी तरह अपहरण की बात करें तो 2001 में 1,689 अपहरण के मामले दर्ज हुए थे. 2018 में यह संख्या बढ़कर 10,310 हो गई है.
जहां तक इस साल का सवाल है तो जनवरी 2019 में बिहार में हत्या के 212 मामले दर्ज किए गए थे, जो मई में बढ़कर 330 हो गए.
अपहरण के मामले जनवरी में 757 थे, जो मई में 1101 हो गए. इसी तरह जनवरी में रेप के 104 मामले दर्ज हुए, जबकि मई में रेप के 125 केस दर्ज हुए.
बिहार में चहुँओर हाहाकार, हत्या, दुराचार, चीत्कार, बलात्कार, शहर में दहशत, गांव में ख़ौफ़, दिन में औसतन 50 मर्डर, सीएम मस्त, क़ानून व्यवस्था पस्त।
मुख्यमंत्री जी, अपराधी आपको खुली चुनौती दे रहे है। पितृपक्ष आने वाला है अपने डिप्टी सुशील मोदी से अपराधियों को विनती करवा दिजीए। pic.twitter.com/J0D327ocw6
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) 4 September 2019
अपराध के आंकड़ों पर क्या कहता है सत्ता पक्ष?
अपराध के बढ़ते ग्राफ़ और क़ानून-व्यवस्था की बुरी हालत ने राजद को प्रदेश सरकार और नीतीश कुमार के नारे पर सवाल उठाने का मौक़ा दे दिया है.
तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और राजद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लगातार इस संबंध में ट्वीट किए जा रहे हैं.
बिहार में चहुँओर हाहाकार, हत्या, दुराचार, चीत्कार, बलात्कार, शहर में दहशत, गांव में ख़ौफ़, दिन में औसतन 50 मर्डर, सीएम मस्त, क़ानून व्यवस्था पस्त।
मुख्यमंत्री जी, अपराधी आपको खुली चुनौती दे रहे है। पितृपक्ष आने वाला है अपने डिप्टी सुशील मोदी से अपराधियों को विनती करवा दिजीए। pic.twitter.com/J0D327ocw6
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) 4 September 2019
पुलिस से डरने की अब रह गई है क्या दरकार
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) 3 September 2019
जब करे मन मार रहे गोली दो-चार
ठीके तो है नीतीश कुमार? pic.twitter.com/vz4QW9vlFW
इस पर जदयू एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि आपराधिक रिकॉर्ड का बढ़ना आबादी की रफ़्तार पर भी निर्भर करता है .
नीरज कुमार कहते हैं, "सुशासन का हमारा मतलब गवर्नेंस से है. और उसको पहले से बेहतर बनाने से है. हम लोग यही काम कर रहे हैं. केवल बढ़ते अपराध के कारण आप हमारे गवर्नेंस पर सवाल नहीं खड़े कर सकते. और अगर अपराधों में भी बात करें तो पहले की तरह अपहरण, फिरौती, नरसंहार जैसे मामले अब नहीं आते. जहां तक आपराधिक रिकॉर्ड्स का सवाल है तो आपको यह भी देखना होगा कि आबादी किस रफ्तार में बढ़ी है."
नीरज कुमार सुशासन पर सवाल उठाने वालों पर आरोप की भाषा में पलटवार करते हैं.
वो कहते हैं, "वे विपक्षी हैं. और वे हमसे किस मुंह बात करेंगे, उनके लोग तो कई संगीन मामलों में सज़ायाफ़्ता होकर जेल में बंद है."