निठारी कांड: 'नर पिशाच' सुरेंद्र कोली को सजा ए मौत
नई दिल्ली। निठारी कांड के मुख्य दोषी सुरेंद्र कोली को नंदा देवी मर्डर केस में दोषी ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज फांसी की सजा सुनाई है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोली से इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार की ओर से दायर याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का आदेश दिया गया था।
क्या था निठारी कांड?
दिसंबर 2006 में नोएडा के डी-5 कोठी में सिलसिलेवार हो रहे हत्याकांड का खुलासा नोएडा पुलिस ने किया था। उस कोठी में आसपास के इलाकों से 2005 से गायब हो रहे बच्चों की लगातार हत्या की जा रही थी।
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इस कांड में कोठी मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरिंदर कोली को आरोपी बनाया गया था। सुरिंदर कोली नौकर के रूप में कोठी के गेट पर नजर रखता था और शाम ढलने वक्त जब इलाके में सन्नाटा छा जाता था तो वहां से गुजरने वाली लड़कियों को पकड़ लेता था।
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उसके बाद उनका मुंह बांध कर उससे दुष्कर्म करता और फिर उसकी हत्या कर देता। उस पर शव के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है और उसके बाद शव के टुकड़े कर उसे खाने और फिर बचे टुकड़े को दफन कर देने का आरोप है। उसने ये बातें नारको टेस्ट में कबूल की है।
कौन है सुरेंद्र कोली
सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है। साल 2000 में वह दिल्ली आया था। साल 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में आया था। उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा। 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया। इसके बाद वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे, जिसके बाद उन लोगों ने निठारी कांड को अंजाम दिया था।
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2009 में हुई थी फांसी की सजा
इस साल जनवरी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 14 साल की रीमा हलदर की हत्या के मामले में कोली को मिली फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। कोली को गाजियाबाद स्थित स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 13 फरवरी 2009 को फांसी की सजा सुनाई थी।