कोरोना मृतक के शव को कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया तो शव को श्मशान में जलाया गया
Death from Corona: Cemetery Refuses to Bury, Cremation Burnt in the Cremation Ceremonyकोरोना से मौत: कब्रिस्तान ने दफनाने से किया इनकार, शव को श्मशान में जलाया गया
मुंबई ।कोरोना वायरस के भारत में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ कर 2283 पर पहुंच चुकी है और इस महामारी से देश में 56 लोगों की मौत हो चुकी हैं। कोरोना के वैश्चिवक संकट के बीच अन्य देशों की तरह अब भारत में भी कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार को लेकर उनके परिजनों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं। महाराष्ट्र में भी विगत दिवस एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया जहां कोरोना पॉजिटिव मृतक के शव को दफनाने से मना कर दिया गया। जानिए इसके बाद क्या हुआ?
कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया गया शव फिर....
दरअसल, मुंबई के मालवानी के कलेक्टर परिसर में रहने वाले 65 वर्षीय कोरोना मरीज की मौत बुधवार को सुबह जोगेश्वरी स्थित निगम द्वारा संचालित अस्पताल में हो गई थी, जिसके बाद शव को दफनाने के लिए मलाड के कब्रिस्तान ले जाया गया था। उनके परिजन मृतक का अंतिम संस्कार अपने संप्रदाय के अनुसार ही करना चाहते थे लेकिन परिवार का आरोप है कि उसके शव को कब्रिस्तान के न्यासियों ने दफनाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार बुधवार को हिन्दू श्मशान घाट पर किया गया।
कोरोना पॉजिटिव मृतक था इसलिए नहीं मिली दफनाने की इजाजत
परिजनों का आरोप है कि जब उसके शव को मलाड मालवडनी कब्रिस्तान के पास ले जाया गया, तो उसके ट्रस्टियों ने ये कहते हुए उन्हें वहां दफनाने से इंकार कर दिया क्योंकि मृतक कोरोना पॉजिटिव था। महानगरपालिका ने बुधवार तड़के 4 बजे शव को दफनाने की अनुमति दी थी थी जिसके बाद मृतक के शव लेकर कब्रिस्तान पहुंचा था।
घंटों बाद ऐसे हो पाया मृतक का अंतिम संस्कार
यहां तक कि कोरोना मृतक का शव कब्रिस्तान में दफनाया जाए इसके लिए वहां की स्थानीय पुलिस और एक राजनेता ने हस्तक्षेप भी किया और कब्रिस्तान ट्रस्टियों से गुहार भी लगाई लेकिन वो नहीं मानेइसके बाद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हस्तक्षेप किया और मुस्लिम परिवार से नजदीक के हिन्दू श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने की रिकवेस्ट की। जिस पर परिवार वाले मान गए और तब जाकर घंटों बाद सुबह 10 बजे शख्स का अंतिम संस्कार किया गया।
कोरोना मृतक के बेटे को घंटों तक नहीं मिली कोई मदद
कोरोना से मरने वाले व्यक्ति के बेटे ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु के बाद उसकी सहायता के लिए कोई भी नहीं आया। जिस कारण मैं अस्पताल के बाहर तीन घंटे से अधिक समय तक अस्पताल के बाहर अपने पिता का शव लिए बैठा रहा। हमारी इच्छा थी कि मेरे पिता के शव को मलाड मालवानी कब्रिस्तान में दफनाया जाए। मगर जब हम वहां पहुंचे तो ट्रस्टियों ने यह कहकर हमें शव दफनाने से मना कर दिया कि वो कोरोना से संक्रमित थे। उसने आगे कहा कि पुलिस और अन्य अधिकारियों के दखल देने के बाद शव का हिन्दू के श्मशान स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया।
Recommended Video
मंत्री ने परिजनों पर लगाया ये आरोप
महाराष्ट्र
के
मंत्री
और
मालवानी
विधायक
असलम
शेख
ने
मीडिया
को
बताया
कि
सरकार
के
इस
संबंध
में
जो
गाइड
लाइन
हैं
उसके
अनुसार,
अगर
किसी
मुस्लिम
शख्स
की
मौत
कोरोना
वायरस
के
संक्रमण
से
हो
जाती
है
तो
उसके
शव
को
उस
स्थान
के
नजदीक
स्थित
कब्रिस्तान
में
दफनाया
जाना
चाहिए,
जहां
मरीज
का
निधन
हुआ
हो।
मगर
इस
मामले
में
मृतक
के
परिवार
के
लोग
शव
को
सीधे
मलाड
मालवानी
कब्रिस्तान
लेकर
पहुंच
गए।
उन्होंने
कब्रिस्तान
के
न्यासियों
सहित
किसी
को
भी
इस
बारे
में
सूचना
नहीं
दी
थी
और
फिर
शव
को
दफनाने
की
मांग
करने
लगे।
मंत्री
ने
कहा
कि
उन
निकाय
कर्मचारियों
के
खिलाफ
कार्रवाई
की
जाएगा
जिन्होंने
गाइडलाइन्स
के
बावजूद
शव
को
मलाड
मालवानी
कब्रिस्तान
ले
जाने
दिया।
साथ
ही
मंत्री
ने
बताया
कि
एक
दिन
पहले
ही
यहां
एक
अन्य
शख्स
को
दफनाया
गया
था,
जिसकी
मौत
कोरोना
के
संक्रमण
के
कारण
हुई
थी।
जानिए, दुनिया भर में लॉकडाउन से धरती को क्या हो रहा बड़ा फायदा