डसॉल्ट इंवेस्टमेंट और राफेल डील में कोई संबंध नहीं, कांग्रेस गुमराह कर रही है: रिलायंस
नई दिल्ली। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह ने राफेल सौदे पर कांग्रेस के आरोपों को 'झूठ' करार दिया। राहुल गांधी के आरोपों पर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लिमिटेड (RADL)ने सफाई दी है। कंपनी की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि RADL ने साल 2009 में एयरपोर्ट के लिए महाराष्ट्र सरकार के अधीन आयोजित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया था।
राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को गुमराह करने का प्रयास है
रिलायंस ने कहा, कांग्रेस का यह आरोप कि अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये के ठेके मिले, राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को गुमराह करने का प्रयास है। आगामी चुनावों के मद्देनजर रिलायंस समूह और अंबानी को लगातार राजनीतिक लड़ाई में घसीटा जा रहा है। कांग्रेस ने आज एक बार फिर सफेद झूठ का सहारा लिया है और रिलायंस समूह तथा इसके अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत तौर पर अपमानजनक और झूठ भरा अवांछित अभियान चलाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। रिलायंस ने कहा, कांग्रेस का यह आरोप कि अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये के ठेके मिले, राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को गुमराह करने का प्रयास है। आगामी चुनावों के मद्देनजर रिलायंस समूह और अंबानी को लगातार राजनीतिक लड़ाई में घसीटा जा रहा है। कांग्रेस ने आज एक बार फिर सफेद झूठ का सहारा लिया है और रिलायंस समूह तथा इसके अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत तौर पर अपमानजनक और झूठ भरा अवांछित अभियान चलाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
डसॉल्ट निवेश और राफेल डील के बीच में कोई संबंध नहीं है
रिलायंस का दावा है कि, अलग-अलग स्थानों पर RADL के पास करीब 1500 एकड़ जमीन है। वहीं दास्सो का RADL में 309 करोड़ रुपये कीमत का 34.8% इक्विटी स्टेक है। कंपनी के मुताबिक निवेश की यह प्रक्रिया सितंबर 2017 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के तहत अपनाई गई थी। अनिल अंबानी ने कहा कि, डसॉल्ट निवेश और राफेल डील के बीच में कोई संबंध नहीं है। कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है।
सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वह सौदे की जांच करना चाहते थे
राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस डिफेंस को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 284 करोड़ रुपये का भुगतान किया। उन्होंने दावा किया कि विमान सौदे में जांच की स्थिति में कार्रवाई के डर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रातों की नींद उड़ गई है। गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वह सौदे की जांच करना चाहते थे।
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