दार्जिलिंग के बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को 12 घंटे में शहर छोड़ने की मोहलत
दर्जिलिंग। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड बनाने की मांग पर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब और आक्रामक रूप ले चुका है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने अब दार्जिलिंग के बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यहां से निकलन के लिए 12 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। जीजेएम ने कहा है कि जिनके बच्चे यहां के बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ रहे हैं उन्हें 12 घंटे के अंदर यहां से निकाल लिया जाए।
शुक्रवार को सुबह छह बजे से शाम छह बजे का समय
जीजेएम के सहायक सचिव बिनय तमांग ने बुधवार को कहा कि स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के पास शुक्रवार को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक का समय होगा कि वह यहां से निकल जाएं। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की जब तक बंध जारी रहेगा किसी भी वाहन को शहर से बाहर जाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'स्कूल के छात्रों को स्कूल बसों में दार्जिलिंग के बाहर जाने की मंजूरी होगी। अनिश्चितकालीन बंद जारी रहेगा और सिर्फ छात्रों को यहां से सुरक्षित निकलने की मंजूरी होगी।' हजारों बच्चे दार्जिलिंग, कुर्सेयांग और कलिमपोंग में रहते हैं। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, थाइलैंड, हांगकांग और भूटान से भी बच्चे यहां के बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ने के लिए आते हैं। जीजेएम के अनिश्चितकालीन बंद की की वजह से ये बच्चें यहां पर फंस कर रहे गए हैं।
मरीजों को नहीं लाएगी एंबुलेंस
पिछले दिनों यह खबर आई थी कि पश्चिम बंगाल की सरकार ने स्कूलों में बंगाली भाषा को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। इसके बाद से ही दार्जिलिंग में सरकार के फैसले और अलग गोरखालैंड बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। बुधवार को दार्जिलिंग के एंबुलेंस ड्राइवर्स ने एक मीडिया काफ्रेंस में जानकारी दी कि वे मरीजों को सिलीगुड़ी और दूसरे हिस्सों से लेकर नहीं आएंगे अगर जीजेएम के कार्यकर्ता उन्हें परेशान करते रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जीजेएम कार्यकर्ता एंबुलेंस का रास्ता रोक रहे हैं और मरीजों को ले जाने के एवज में ड्राइवर्स से पैसे ले रहे हैं, खासतौर पर तब जब मरीजों के साथ उनके परिवार के लोग होते हैं। एक एंबुलेंस ड्राइवर बीआर तमांग ने जीजेएम कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे उन्हें मरीजों को ले जाने दे और साथ ही उन्हें पास जारी करें ताकि रास्ते में उन्हें न तो रोका जाए और न ही परेशान किया जाए।