छत्तीसगढ़: Coronavirus के समय एक साथ दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं दंतेवाड़ा के SP
नई दिल्ली- छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में पुलिस-प्रशासन की चुनौती इस समय बहुत ज्यादा बढ़ गई है। उन्हें कोरोना को भी रोकना है और नक्सलियों के नापाक इरादों को भी चकनाचूर करना है। ये स्थिति प्रदेश के हर नक्सल प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों और एसपी की है। लेकिन, दंतेवाड़ा जिले एसपी की स्थिति अपने सभी समकक्षों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। इसकी वजह ये है कि वे जिले के पुलिस कप्तान तो हैं ही, पेशे से डॉक्टर भी रहे हैं। अच्छी बात ये है कि वो इस वक्त अपनी इन दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं।
दो मोर्चों पर बखूबी लड़ रहे हैं ये एसपी
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव की ड्यूटी आजकल पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गई है। उन्हें पता है कि सरकार ने उन्हें नक्सल प्रभावित जिले की जिम्मेदारी दे रखी है। लेकिन, इस वक्त वे कोरोना वायरस से भी अपने दम पर ही जंग लड़ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि एसपी साहब आईपीएस बनने से पहले पेशे से डॉक्टर रह चुके हैं। उनके पास डॉक्टरी की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है। कोविड-19 के प्रकोप का असर उनपर ये हुआ है कि वे आजकल जहां भी जाते हैं,अत्याधुनिक हथियारों से तो लैस होते ही हैं, साथ में एक डॉक्टर होने की जिम्मेदारी लेकर भी चलते हैं। मतलब, आज वे जहां जाते हैं, वे अपने पास एक डॉक्टर की तरह ही दवाई का बैग भी लिए चलते हैं। क्योंकि, नक्सलियों से निपटने के लिए अगर एके-47 चाहिए तो कोरोना से बचाव के लिए एहतियाती कदम उठाने भी जरूरी हैं।
कोरोना के खिलाफ गांव-गांव को जागरुक कर रहे
डॉ. अभिषेक पल्लव आज दंतेवाड़ा के जिस इलाके में भी पहुंचते हैं, वो गांव वालों से लेकर पुलिस वालों तक को कोरोना संक्रमण से बचने के एहतियाती उपाय बताते हैं और उसके खिलाफ सबको जागरुक करते हैं। वो जहां भी पहुंचते हैं, लोग मौसमी सर्दी-बुखार की शिकायत लेकर जरूर पहुंच जाते हैं और एसपी साहब उन्हें आवश्यक उपचार देने के साथ ही कोरोना से बचे रहने के तरीके भी बताते हैं। इसी कड़ी में रविवार को वो कटेकल्याण ब्लॉक के जारम कैंप में पहुंचे तो जवानों को बताया कि कोरोना संकट के समय जंगलों में किस तरह से नक्सलियों से मोर्चा लेना है। उन्होंने जवानों और गांव वालों को सैनिटाइजर और मास्क का महत्त्व बताया तो सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत भी बताई। जागरुक एसपी की पहल का नतीजा ये दिख रहा है कि गांव वालों ने खुद से नाकेबंदी कर ली है और उन्होंने अपने घरों में ही रहना शुरू कर दिया है।
Recommended Video
कोरोना के संकट में भी नक्सली हमले का खतरा
बता दें कि पिछले हफ्ते ही दंतेवाड़ा के पास ही छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे और कई जख्मी भी हुए थे। करीब 250 नक्सलियों के हमले की चपेट में डीआरजी और एसटीएफ की 5 टीमें आ गई थीं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने भी सीपीआई (माओवादी) के नक्सलियों पर जवाबी कार्रवाई की और कई नक्सली ढेर भी हुए। ये मुठभेड़ करीब तीन घटे तक चली थी। जानकारी के मुताबिक हमले के बाद नक्सली शहीद और जख्मी जवानों के हथियार और गोला-बारूद भी उठाकर ले गए थे। यानि, उस घटना ने नक्सल प्रभावित जिलों के पुलिस को सचेत किया है कि भले ही दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है, लेकिन वामपंथी नक्सली अपनी हरकतों से बाज नहीं आएंगे। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में अभिषेक पल्लव जैसे पुलिस अधिकारियों की चुनौती बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है।
इसे भी पढ़ें- कोरोना संकट: अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर शरद पवार ने जनता को चेताया, दी ये सलाह