भारत जितना ही तुर्की में है महामारी का खतरा, जानिए फिर तुर्की में क्या कर रहे हैं आमिर खान?
बेंगलुरू। बॉलीवुड फिल्म एक्टर आमिर खान इन दिनों अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग के लिए तुर्की प्रवास पर हैं। अभी हाल में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन की बीवी के साथ तुर्की में उनकी मुलाकात की तस्वीरें चर्चा में थीं। चूंकि भारत और तुर्की के बीच तनाव में आमिर वहां पहुंचे हैं इसलिए उनकी आलोचना हो रही है।
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सवाल है कि कोरोना काल में भारत छोड़कर आमिर जहां कथित शूटिंग के लिए तुर्की पहुंचे हैं, वहां पिछले दिनों ने केवल कोरोना का संकट तेजी से बढ़ा है, बल्कि तुर्की में कोरोना की घातकता भारत की तुलना में अधिक है। अब यह आमिर नहीं कह सकते हैं कि तुर्की फिल्म शूटिंग के लिए सुरक्षित है।
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आखिर आमिर खान ने शूटिंग के लिए तुर्की को ही क्यों चुना?
आखिर आमिर खान ने शूटिंग के लिए तुर्की को ही क्यों चुना? क्या आमिर खान तुर्की की डूब रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कवायद से तुर्की में शूटिंग करने पहुंचे हैं? वो तुर्की जो जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान की भाषा बोल रहा था। वो तुर्की जहां भारतीयों को यात्रा से बचने के लिए भारत सरकार द्वारा बाकायदा गाइडलाइन जारी किया गया है। खुद पीएम मोदी ने अपना तुर्की दौरा रद्द कर दिया था।
एडवाइजरी जारी कर नागरिकों को तुर्की जाने से बचने की सलाह दी गई है
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों को तुर्की जाने से बचने की सलाह दी है, लेकिन कोरोना काल में मिस्टर परफेक्टनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान शूटिंग के लिए तुर्की को चुनते हैं। आमिर खान शूटिंग के लिए ही तुर्की नहीं गए हैं, क्योंकि अगर वो तुर्की कथित रूप से शूटिंग के लिए गए हैं, तो वहां तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन के बीवी के साथ क्या कर रहे हैं। जाहिर सी बात है कि वो भारत के कूटनीतिक दूत भी नहीं हैं।
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की भाषा बोल चुके हैं तुर्की राष्ट्रपति एर्दोवान
भारत के अंदरूनी मुद्दे पर पाकिस्तान की भाषा बोलकर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान ने भारत के साथ रिश्ते तल्ख कर लिए थे। यही वजह था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व निश्चित तुर्की की यात्रा को अचानक कैंसिल कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी को सऊदी अरब होते हुए तुर्की जाना था, लेकिन तुर्की की हरकतों और पाकिस्तान परस्ती के कारण वह दौर रद्द कर दिया गया था।
तुर्की राष्ट्रपति ने एक बार फिर कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से की, लेकिन
ध्यान रहे, तुर्की के कट्टरपन्थी इस्लामिक तानाशाह राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने अगस्त महीने की 2 तारीख को भारत विरोध की सारी हदें पार करते हुए कश्मीर की तुलना एक बार फिर फिलिस्तीन से की थी और कोरोना काल में कश्मीर में भयंकर अत्याचार करने का आरोप भारत पर लगा कर भारत के खिलाफ जम के ज़हर उगला था और इसके तत्काल बाद ही पूरे दल बल को लेकर आमिर खान तुर्की पहुंच गया और तानाशाह का मेहमान बना हुआ था
आमिर ने अजीबोगरीब तर्क देते हुए तुर्की में शूटिंग की सफाई में कहा कि
आमिर खान ने अजीबोगरीब तर्क देते हुए सफाई में कहा कि भारत में कोरोना संक्रमण की समस्या के कारण उसे तुर्की जाकर अपनी फिल्म की शूटिंग करनी पड़ रही है। अपनी तुर्की यात्रा को लेकर आमिर खान द्वारा बोला गया सफ़ेद झूठ ही है। भारत में कोरोना संक्रमण के कारण हुई मौतों का आंकड़ा प्रति दस लाख पर 40 मौतों का है, जबकि तुर्की में यह आंकड़ा प्रति दस लाख पर 73 मौतों का है। यानी तुर्की में मौतों की संख्या से भारत से 80 फीसदी से अधिक है।
भारत में कोरोना संक्रमण की दर 202 संक्रमित प्रति एक लाख है और...
भारत में कोरोना संक्रमण की दर 202 संक्रमित प्रति एक लाख व्यक्ति है. जबकि तुर्की में यह दर 295 संक्रमित प्रति एक लाख व्यक्ति है। कहने का मतलब है कि तुर्की में प्रति एक लाख जनसंख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले संक्रमितों की संख्या भारत में प्रति एक लाख जनसंख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले संक्रमितों की संख्या से 46 फीसदी अधिक है। तथ्य कहते हैं कि आमिर तुर्की में शूटिंग के बहाने कुछ और भी कह रहे हैं।
पिछले 12 महीनों में तुर्की की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल चुका है
पिछले 12 महीनों में तुर्की की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल चुका है कि उसकी मुद्रा लीरा का 32 फीसदी का अवमूल्यन हो चुका है। गत 16 अगस्त 2019 को एक डॉलर का मूल्य 5.56 लीरा था जबकि 21 अगस्त 2020 को एक डॉलर का मूल्य 7.33 लीरा हो चुका है। लीरा का यह अवमूल्यन लगभग एक तिहाई के करीब है, जिसमें कोरोना संक्रमण की समस्या की कोई भूमिका नहीं है, बल्कि अमेरिकी प्रतिबंधों की बड़ी भूमिका है।
पाकिस्तान के बाद कट्टरवाद के दूसरे बड़े केन्द्र के रूप में उभरा है तुर्की
वर्तमान समय में पूरी दुनिया में तुर्की पाकिस्तान के बाद धार्मिक कट्टरवाद के दूसरे सबसे बड़े केन्द्र के रूप में उभरा है। परिणामस्वरुप तुर्की की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने वाला उसका पर्यटन उद्योग रसातल में पहुंच गया है। तुर्की को प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा पर्यटन उद्योग से मिलता है। दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक देशों के साथ उसका व्यवसायिक लेन-देन अधर में लटक चुका है।
आमिर खान का तुर्की पहुंचकर फिल्म की शूटिंग करना एक विचित्र संयोग है
तुर्की एक दुश्मन देश हैं और आमिर खान का तुर्की पहुंचकर फिल्म की शूटिंग करना विचित्र संयोग को दर्शाता है। आमिर खान के तुर्की पहुंचकर शूटिंग करने से निः संदेह तुर्की के डूबते पर्यटन उद्योग के लिए संभावनाएं लेकर आएगा, क्योंकि फिल्मों की शूटिंग को प्रचारित करके तुर्की पूरी दुनिया को यह सन्देश देने की कोशिश करेगा कि तुर्की में अब सब कुछ बहुत अच्छा है।
तुर्की के ब्रांड एंबेसडर की तरह तुर्की का प्रमोशन कर रहे हैं आमिर खान
आमिर खान तुर्की का प्रमोशन ऐसे कर रहे हैं जैसे कि वो तुर्की के ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किए गए हों, क्योंकि कोरोना महामारी वाली थ्योरी तो उनकी झूठी निकल चुकी है। यानी एकतरफ अपनी हरकतों से तुर्की को एक ओर जहां पूरी दुनिया में अत्यन्त घृणा की नजरों से देख रही है, वहां दूसरी ओर भारत को अपना घोषित दुश्मन बना चुके तुर्की में फिल्मों की शूटिंग करके आमिर खान उसकी छवि बनाने की असफल कोशिश कर रहे है।
लोकतंत्र सड़क पर चलने वाली एक कार है, मंजिल आती है तो उतर जाते हैं
तुर्की को एक धार्मिक कट्टरवादी देश बना चुके तुर्की राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान 1990 के दशक में जब वो इस्तांबुल के मेयर थे तो उन्होंने लोकतंत्र के बार में कहा था कि लोकतंत्र सड़क पर चलने वाली एक कार है, मंजिल आती है तो उतर जाते हैं। दो दशक बीत जाने के बाद आज तुर्की लोकतांत्रिक संरचना से लगातार दूर होती गई है औऱ कट्टरवाद की ओर बढ़ रही है, जिससे पाकिस्तान के बाद तुर्की पूरी दुनिया की आंखों की किरकिरी बनी हुई है।
2002 में एर्दोवान के सत्ता में आने के बाद से तुर्की का मिजाज बदल गया
मौजूदा तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान की इस्लामी और रूढ़िवादी एकेपी पार्टी वर्ष 2002 में सत्ता में आने के बाद से तुर्की बहुत बदल गया है। कभी धर्मनिरपेक्षता की मिसाल देने वाला तुर्की इन सालों में और ज्यादा धार्मिक हो गया है। जिस तुर्की में कभी बुरके और नकाब पहनने पर रोक थी, वहां हिजाब की बहस के साथ सड़कों पर ज्यादा महिलायें सिर ढंके दिखने लगी।
तुर्की की सारी शक्तियां अब केवल राष्ट्रपति एर्दोवान के पास हैं
करीब 12 साल तक तुर्की के प्रधानमंत्री रहे रेचेप तैयप एर्दोवान वर्ष 2014 में राष्ट्रपति बने और 2018 में चुनाव जीतकर फिर पांच साल के लिए राष्ट्रपति चुने गए। अब तुर्की में प्रधानमंत्री पद खत्म कर दिया गया है। राष्ट्रपति ही अब सरकार का प्रमुख होगा। इस तरह तुर्की में मजबूत रही सेना भी कमजोर होती चली गई। तुर्की में नए सिस्टम के तहत राष्ट्रपति को ही बजट का मसौदा तैयार करना है। यानि राष्ट्रपति एर्दोवान पहले से ज्यादा शक्तिशाली हो गए हैं।
कर्ज में डूबा हुआ है तुर्की, अर्थव्यवस्था में विदेशी कर्ज का अधिक बोझ
तुर्की की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा का दबदबा है और कुल कर्ज में 70 फीसदी से अधिक हिस्सा डॉलर में लिया गया कर्ज है। बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट के आंकड़ें बताते हैं कि स्पेन के बैंक ने तुर्की को 83 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज दिया है, जबकि फ्रांस का 38.4 अरब डॉलर, इटली के बैंकों का 17 अरब डॉलर और जापान के बैंकों का 14 अरब डॉलर तुर्की की अर्थव्यवस्था में लगा है।
15 अगस्त को तुर्की में कोरोना के सर्वाधिक 1,256 नए मामले सामने आए
तुर्की में कोविड-19 के रोजाना नए मामले सामने आने की दर बीते 45 दिन में बीते 15 अगस्त, 2020 को सर्वाधिक रही, जहां संक्रमण के 1,256 नए मामले आये। स्वास्थ्य मंत्री फाहरेतिन कोका ने ट्वीट किया कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों की संख्या भी बढ़कर 668 हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटे में कोविड-19 से 21 लोगों की मौत हो गई और देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 5,955 हो गई है।