तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा चीन मुझे विखंडनवादी मानता है
धर्मशाला। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि वह विखंडनवादी नहीं हैं लेकिन चीन उन्हें मानता है। दलाई लामा ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग 1974 से तिब्बत के मुद्दे पर चीन के साथ एक आपसी सहमति वाले समाधान के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग ऐसे समाधान पर विचार के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि वह चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता के इच्छुक नहीं हैं।
यूरोपियन यूनियन की तारीफ
दलाई लामा ने कहा कि सन् 1974 में तिब्बत के लोगों ने आजादी मांगने के बजाय आपसी सहमति वाले समाधान को पाने का फैसला किया था। सन् 1979 में चीन सरकार के साथ सीधी बातचीत हुई। इसलिए बुनियादी तौर पर रुख एकदम साफ है। उन्होंने कहा, 'मैं विखंडनवादी नहीं हूं, लेकिन चीन सरकार मुझे विखंडनवादी मानती है।' दलाई लाम के मुताबिक ऐसे में चीन सरकार चाहती है कि मैं तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लड़ूं।दलाई लामा ने कहा कि एक तरह के पुनर्मिलन के तहत उन्होंने तिब्बत के चीन के साथ रहने को तरजीह दिया। तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी समृद्ध विरासत से एक दूसरे को लाभान्वित कर सकते हैं। चीन तिब्बत की आर्थिक रूप से मदद कर सकता सकता है जबकि तिब्बत अपना ज्ञान चीन को प्रदान कर सकता है। दलाई लामा ने यूरोपीयन यूनियन की भावना की भी सराहना की।
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