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JNU फीस विवाद में दलाई लामा भी कूदे, रख दी बड़ी मांग

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नई दिल्ली- केंद्र सरकार फीस में इजाफे के खिलाफ जेएनयू छात्रों के विरोध से निपटने की कोशिशों में जुटी है। इसको लेकर एक हाई लेवल कमिटी भी बनाई गई है। स्टूडेंट्स की मांग पर सहमति जताते हुए जेएनयू के कई सेंटर 12 दिसंबर से आयोजित होने वाली परीक्षाओं के बहिष्कार के उनके फैसले का समर्थन करने पर भी विचार कर रहे हैं। इसी बीच सरकार के सामने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा भी चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं। उन्होंने भी तिब्बती छात्रों के फीस में इजाफे पर आपत्ति जताते हुए अपील की है कि उन्हें विदेशी छात्र नहीं माना जाय।

फीस इजाफे पर दलाई लामा की सरकार से अपील

फीस इजाफे पर दलाई लामा की सरकार से अपील

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के दफ्तर ने केंद्र सरकार से शिकायत की है कि जेएनयू के स्टूडेंट्स की जो फीस बढ़ाई गई है वह बहुत ही ज्यादा है। दलाई लामा के कार्यालय से केंद्र सरकार को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि जुलाई में विदेशी छात्रों की फीस में इजाफे से तिब्बती छात्र भी प्रभावित हो रहे हैं। चिट्ठी में इस बात की शिकायत की गई है कि तिब्बती छात्रों को भारत में शरणार्थी मानने के बजाय उन्हें गलत तरीके से विदेशी छात्र माना जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 27 नवंबर को भेजी गई चिट्ठी में विदेश मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस मामले में तत्काल दखल देने की मांग की गई है। दलाई लामा की ओर से तिब्बती पुनर्वास नीति के तहत जेएनयू समेत देश के सभी विश्वविद्यालयों को तिब्बती छात्रों के लिए विशेष रियायत के निर्देश देने की गुजारिश की गई है।

तिब्बती स्टूडेंट्स को विदेशी मानने पर आपत्ति

तिब्बती स्टूडेंट्स को विदेशी मानने पर आपत्ति

जानकारी के मुताबिक दलाई लामा के कार्यालय से शिकायत मिलने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मामले में जेएनयू प्रशासन से एक रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि दलाई लामा की ओर से यह दलील दी गई है कि ज्यादातर तिब्बती छात्र भारतीय स्कूलों या एचआरडी मंत्रालय के स्वायत्त केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन के तहत ही पढ़े हैं, इसलिए उन्हें फीस में इजाफे से छूट मिलनी चाहिए। गौरतलब है कि पिछले जुलाई महीने में जेएनयू ने विदेशी कोटा के तहत नामांकन लेने वाले स्टूडेंट्स की वार्षिक फीस सोशल साइंस के लिए 100 डॉलर से बढ़ाकर 1,200 डॉलर और साइंस के स्टूडेंट्स की फीस 1,700 डॉलर तक बढ़ा दी थी। ये फीस उन तिब्बती स्टूडेंट्स पर लागू होता है, जो विदेशी कोटा से दाखिला लेते हैं। दलाई लामा को इसी बात पर आपत्ति है कि तिब्बती छात्रों को विदेशी मानकर उनसे अत्यधिक फीस वसूली जा रही है, जो कि अनुचित है।

फीस पर हाई लेवल कमिटी ने सौंपी रिपोर्ट

फीस पर हाई लेवल कमिटी ने सौंपी रिपोर्ट

इस बीच जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के विवाद को लेकर केंद्र की ओर से गठित हाई लेवल कमिटी ने एचआरडी मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अचानक इजाफे के फैसले से परहेज किया जा सकता था। कमिटी ने स्टूडेंट्स की नाराजगी मिटाने के लिए मंत्रालय को कुछ सुझाव भी दिए हैं, लेकिन वह फिलहाल इसपर जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के हक में नहीं है। गौरतलब है कि फीस विवाद बढ़ने के बाद मंत्रालय ने सभी पक्षों की राय जानने के लिए यह कमिटी गठित की थी। तीन सदस्यों वाली इस कमिटी में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष वीएस चौहान, एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे और यूजीसी के सचित रजनीश जैन शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बीच सत्र में फीस बढ़ाने से बचा जा सकता था और इसे टाइमलाइन के तहत लागू किया जा सकता था। यही नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन को इसके लिए आम सहमति बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए थी।

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English summary
Tibetan religious guru Dalai Lama has written a letter to the central government against increasing fees in JNU by considering Tibetan students as foreigners
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