दान उत्सव 2018: आप भी बनिए किसी की खुशी में हिस्सेदार
दो से आठ अक्टूबर तक मनाया जाएगा दान उत्सव, आप भी बनिए हिस्सा
नई दिल्ली। दान उत्सव भारत का अपना त्यौहार है। इस साल भी ये उत्सव 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। दस साल पहले शुरू हुआ ये उस्तव आपको किसी व्यक्ति या संगठन को धन, सामग्री या कौशल में योगदान करने का मौका देता है। दान को उदारता का प्रतीक माना गया है। ये सही है कि आज के दौर में हर रोज काम के दबाव, परिवार और अपनी जरूरतों को पूरा करने और जीवन पर आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के दबाव के चलते हम बेहद व्यस्त रहते हैं। वहीं कई लोगों की बहुत सारी ऐसी प्रेरणादायक कहानियां भी पढ़ते हैं, जो हर दिन अपना थोड़ा सा कुछ अलग करने के लिए निकालते हैं, वो भी अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए।
दान उत्सव दूसरों के लिए कुछ करने की क्षमता के लिए मनाया जाता है। यह बताता है कि किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरना से हमें बहुत बड़ी खुशी मिलती है। मुश्किल वक्त में किसी की मदद करना खुशी देता है, भले ही वो किसी खास मौके पर ही क्यों ना हो। यह एक ऐसा कोई संगठन नहीं है जो किसी के द्वारा किसी खास के लिए चलाया जा रहा हो, ये तो उत्सव है, 'दान का उस्तव'। इसे भारत भर में सैकड़ों वालेंटियर मिलकर चला रहे हैं।
पिछले 10 वर्षों में, दान उत्सव को पूरे देश में लाखों लोगों ने प्रोत्साहित और प्रेरित किया है। एक साधारण विचार के रूप शुरू हुआ ये उत्सव, अब एक बड़ा आंदोलन बन गया है, जिसमें निगम, स्कूलों, कॉलेजों, गैर-लाभकारी, सरकारों और समुदायों की बड़ी साझेदारी है। हमारी स्वैच्छिक भागीदारी की मान्यता है कि 'देने वाला मंगलवार' अब भारत में भी मनाया जाता है।
2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती समारोह की शुरुआत भी है, जिन्होंने लोगों को समाज को कुछ वापस देने के लिए प्रेरित किया है। हमें दूसरों के लिए कुछ करने को इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।
इस साल, हम आपके लिए उत्सव में शामिल होने की आशा करते हैं और हमें उम्मीद है कि आप अपने परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और पड़ोसियों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। आप यहां आकर दूसरों के लिए कुछ करके, उस खुशी का अनुभव कर सकते हैं। जरूर नहीं कि आप पैसे से ही किसी की मदद करें, आप बुजुर्गों के साथ समय बिताने, किसी को किताबें, खिलौने और अन्य सामग्री को उन लोगों को दे सकता है जो उन्हें खुद ले पानें में समर्थ नहीं हैं। आप इतना कर सकते हैं, तो ये बहुत है।
उड़ीसा के बदाम्बा में रिक्शा चालकों से प्रेरणा लें, जो अपने गांव से स्थानीय चिकित्सा शिविर तक बुजुर्गों को फ्री ले जाते हैं। चेन्नई में सब्जी विक्रेताओं ने स्थानीय गैर सरकारी संगठनों को सब्जियों के बैग दान किए। मुंबई के एक दृष्टिहीन युवक ने सेंट्रल रेलवे स्टेशन पेंट कर अपना हुनर दिखाई। ये हजारों कहानियों में से कुछ हैं। हम में से हर कोई इतना या इससे भी ज्यादा कर सकने में सक्षम है।
विचार और प्रेरक चीजें चारों ओर हैं, आप ऐसे कईसंगठन ढूंढ सकते हैं जो जरूरतमंदों की मदद करते हैं और आपकी किसी भी मदद का वो स्वागत करेंगे। कई संगठन, वेबसाइट्स और प्लेटफॉर्म आपको दान करने, वॉलेंटियर बनने या ऐसे दूसरे खोज करने की अनुमति देते हैं। आप वह व्यक्ति चुन सकते हैं जो आपको सही लगे। या आप सीधे उस शख्स की मदद कीजिए, जिसके बारे में आप जानते हैं कि उसे मदद की जरूरत है। ये सब आप पर निर्भर है। इसे निःस्वार्थ भाव खुशी से करिए।
अभिनेता अमिताभ बच्चन और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम और अजीम प्रेमजी भी भी दान उत्सव को लेकर हस्ताक्षर करेंगे। उनके साथ लता मंगेशकर, नारायण स्वास्थ्य के डॉ देवी शेट्टी, अनु आगा, भारत की पहली महिला सरपंच छवी राजवत और प्रसिद्ध न्यायवादी न्याय श्रीकृष्ण होंगे।
इस साल इस उत्सव को मनाते हुए हमने आगे एक अतिरिक्त कदम उठाने का फैसला किया है। क्रिसमस, दिवाली, ईद, नवरोज और कई त्योहार हमारे देश में मनाए जाते हैं। हमने इस साल और हर साल 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर को हमारे कैलेंडर में दान उत्सव के तौर पर दिखाया है।