विश्व मौसम संगठन ने लिखा IMD को पत्र, Amphan के सटीक पूर्वानुमान के लिए की तारीफ
नई दिल्ली। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चक्रवात अम्फान की 'सटीक भविष्यवाणी' के लिए भारत के मौसम विभाग की तारीफ की है, आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रन को संबोधित करते हुए WMO के सेक्रेटरी जनरल ई मनैनकोवा ने 2 जून को एक पत्र लिखा था, इसमें उन्होंने कहा कि चक्रवाती तूफान के बारे में WMO और बांग्लादेश को एडवाइजरी दी गई थी जो विशेष रूप से तूफान अम्फान से प्रभावित हुआ, आईएमडी का आंकलन काफी सही निकला है, इसलिए हम भारतीय मौसम विभाग की सराहना करते हैं।
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चक्रवाती तूफान 'अम्फान' ने मचाई थी तबाही
आपको बता दें कि मई के अंतिम हफ्ते में ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान 'अम्फान' ने जबरदस्त तबाही मचाई थी, इस तूफान की वजह से पश्चिम बंगाल में 85 लोगों की मौत हो गई थी और करोड़ों का आर्थिक नुकसान भी हुआ था, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि ये कोरोना वायरस से भी भारी तूफान था, जिसने राज्य को काफी नुकसान पहुंचाया था। मौसम विभाग ने इसे 21 साल में आया सबसे भयंकर चक्रवात माना था। 1999 में आए तूफान के बाद यह पहला सुपर साइक्लोन था।
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कोरोना से भी भयानक था अम्फान: सीएम ममता बनर्जी
साइक्लोन अम्फान के बाद मची तबाही के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी। ओडिशा के मुकाबले पश्चिम बंगाल में ज्यादा तबाही मची थी लेकिन मौसम विभाग के अलर्ट के बाद इतनी तबाही हुई थी, अगर विभाग अलर्ट जारी नहीं करता तो इससे भी ज्यादा तबाही होती, जिसकी भरपाई कर पाना बहुत मुश्किल होता।
क्यों आते हैं 'चक्रवात'?
पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है, समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है, हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है. जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है, जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है।
और फिर होती है भयंकर बारिश
इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है, आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है, इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है, इसे चक्रवात कहते हैं।
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