गंदगी में रहने की आदत से भारत कोरोना से बेहतर तरीके से लड़ पाया, CSIR की स्टडी रिपोर्ट
नई दिल्ली। कोरोना का सबसे अधिक कहर अमेरिका और यूरोपीय देशों में देखने को मिला है। भारत में अमेरिका समेत अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से कम मौतें देखने को मिली हैं। अब इसके पीछे की एक बड़ी बजह सामने आई है। सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि, गंदगी और कम गुणवत्ता वाले पानी की वजह से जिन देशों में हाइजीन का लेवल खराब है, वहां कोविड-19 से मौत का खतरा भी साफ-सुथरे देशों की तुलना में कम है। यह स्टडी ऐसे समय सामने आई है जब हाल ही में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को गंदा बोला था।
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गंदगी में रहने की आदत के चलते भारत अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से बेहतर तरीके से लड़ पाया
एक नए शोध से पता चला है कि जिन देशों में खराब साफ-सफाई के साथ कम गुणवत्ता वाले पानी का इस्तेमाल होता है वहां पर कोविड-19 से मरने वालों का आंकड़ा उन अमीर देशों से कम है। जहां पर स्वच्छता के उच्च मापदंड हैं। स्टडी में कहा गया है कि, गंदगी में रहने की आदत के चलते भारत अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से बेहतर तरीके से लड़ पाया। मेड्रिक्सिव में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि, जीवन में शुरुआती रोगजनकों के संपर्क में आने वाले लोगों को बाद में एलर्जी से होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं। इस थ्योरी को हाईजीन हाइपोथिसिस कहते हैं।
ऑटो-इम्यून बीमारियां कोविड-19 से होने वाली मौतों से जुड़ी हैं
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर मांडे कहते हैं कि जनसांख्यिकी, स्वच्छता में सुधार और ऑटो-इम्यून बीमारियां सकारात्मक रूप से कोविड-19 से होने वाली मौतों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस और चेन्नई के मैथमेटिकल इंस्टीच्यूट ने 25 से 30 पैमानों पर 106 देशों में प्रति 10 लाख लोगों पर हुई मौतों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया है। इन पैमानों में पानी और साफ-सफाई जैसे पैमाने शामिल हैं। इस शोध से पता चलता है कि जिन देशों में पानी की स्वच्छता ख़राब है वहां पर प्रति 10 लाख लोगों पर कोविड-19 की मौतों का आंकड़ा कम है।
बिहार में सबसे कम रही कोरोना से मृत्युदर, ये है वजह
बिहार इसका जीता-जागता उदाहरण है। बिहार में स्वच्छ पानी एक ब़ड़ा मुद्दा है। वहां बड़ी आबादी साफ पानी की कमी से जूझ रही है। लेकिन कोरोना की मृत्युदर यहां 0.5 फीसदी रही। जबकि राष्ट्रीय मृत्युदर 1.5% है। केरल और असम में 0.4%, तेलंगाना 0.5 और झारखंड और छत्तीसगढ़ में 0.9% की मृत्युदर (सीएफआऱ) है। 1% या उससे कम की सीएफआर केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय स्तर का लक्ष्य है। इसके विपरीत, शोधकर्ताओं ने बताया कि, अधिक विकसित राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब में सीएफआर 2% या उससे अधिक है।
उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देशों में अधिक मौतें हुईं
अध्ययन में कहा गया है कि कोविड -19 की गंभीरता और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी बीमारियों जैसे कई गैर-संचारी विकारों के बीच एक दिलचस्प संबंध है। इन विकारों के साथ एक बड़ी आबादी उच्च मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) देशों में रहती है, इन देशों में कोविड -19 के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकारों और श्वसन संबंधी विकारों के साथ सह-अस्तित्व सीएफआर के महत्वपूर्ण निर्धारक के रूप में उभरा हो सकता है। इसी तरह, अध्ययन में पाया गया कि 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को भी अधिक जोखिम है, ऐसे लोगों का प्रतिशत उच्च एचडीआई देशों में काफी अधिक है।
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